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जेएफएफ के मंच पर आए फिल्मकार आनंद एल राय, एक्टर धनुष से लेकर कंगना पर की बातचीत

जागरण फिल्म फेस्टिवल (जेएफएफ) के मंच पर दैनिक जागरण के असोसिएट एडिटर अनंत विजय के साथ परिचर्चा के दौरान आनंद एल राय ने अपने सफर निर्माता बनने की वजहों छोटे शहर की कहानियों में दिलचस्पी और धनुष के साथ अपनी तीसरी फिल्म ‘तेरे इश्क में’ को लेकर बात की।

By Jagran NewsEdited By: Jeet KumarPublished: Mon, 16 Oct 2023 06:52 AM (IST)Updated: Mon, 16 Oct 2023 06:52 AM (IST)
जेएफएफ के मंच पर आए फिल्मकार आनंद एल राय, कई मुद्दों पर की बातचीत

सिनेमा के पेशे में कला और व्यापार दोनों साथ चलते हैं। हालांकि अगर मन में कला के प्रति लगाव ज्यादा हो, तो फिर पैसा प्राथमिकता नहीं रह जाता है। यही वजह है कि फिल्मकार आनंद एल राय टीवी में अच्छा खासा पैसा होने के बावजूद, वहां से निकलकर सिनेमा की दुनिया में संघर्ष करने निकल पड़े और तनु वेड्स मनु, रांझणा समेत कई बेहतरीन फिल्में बनाईं।

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जागरण फिल्म फेस्टिवल (जेएफएफ) के मंच पर दैनिक जागरण के असोसिएट एडिटर अनंत विजय के साथ परिचर्चा के दौरान आनंद एल राय ने अपने सफर, निर्माता बनने की वजहों, छोटे शहर की कहानियों में दिलचस्पी और धनुष के साथ अपनी तीसरी फिल्म ‘तेरे इश्क में’ को लेकर बात की।

  • जागरण फिल्म फेस्टिवल से जुड़ने का अनुभव हमेशा कैसा होता है?

- जागरण ग्रुप के साथ मेरा पुराना रिश्ता रहा है। इस फेस्टिवल में आना मेरा हक बनता है। इस ग्रुप ने मुझे मेरे संघर्ष के दौरान देखा है। मैं तब दर्शकों के बीच बैठता था, तब भी जागरण ग्रुप का हिस्सा था और आज जब मंच पर बैठा हूं, तब भी इसका हिस्सा हूं।

• सिनेमाई करियर की शुरुआत में पहले पांच फिल्मों का निर्देशन किया, फिर निर्माण करने लगे। कहानियों की कमी निर्माण की ओर ले गई ? -जब मैंने अपनी दो-तीन कहानियां

सुना दी, तब मैंने जाने अनजाने एक रास्ता खुद के लिए बना लिया था । जब मैंने तनु वेड्स मनु रिटर्न्स की कहानी कंगना रनोट) को सुनाई, तो उन्होंने पूछा निर्माता कौन हैं? मैंने झट से कह दिया कि मैं। मैं बोल तो आया था, लेकिन वहां से निकलकर सोच रहा था कि पैसे तो हैं नहीं, निर्माण कैसे करूंगा ? खैर, अच्छी नीयत और किस्मत से हो गया। इससे एक रास्ता बन गया, जहां नए निर्देशकों का संघर्ष मैं खत्म तो नहीं कर सकता हूं, लेकिन कम जरूर कर सकता हूं। मुझे अपने भीतर के निर्देशक से इतनी मुहब्बत नहीं है कि मैं किसी और को अपने आगे न देख सकूं।

• जो कहानियां मुंबई के फिल्मकरों से किसी कारण से छूट रही थीं, उन्हें आपने बनाया। छोटे शहर की कहानियां चुनने का ख्याल कैसे आया?

-मैं जब कहानी सुनाने आगे आया, तो मुझे लगा कि मेरे अंदर का कुछ अंश उसमें होना चाहिए। कहानी का ब्लड ग्रुप मेरे ब्लड ग्रुप जैसा होना चाहिए। वह ब्लड ग्रुप मिडिल क्लास है। मैंने कभी इसका गलत प्रयोग नहीं किया, बल्कि उनसे जुड़ी कहानियों को प्रगतिशील तरीके से दिखाया। हम जैसे हैं, उसे दिखाने में मुझे डर नहीं लगता, क्योंकि उसमें मेरा अंश है, तो झूठ तो नहीं है । मेरी कोई कहानी मुझे पीछे नहीं ले गई, चार बातें सिखाकर आगे ही लेकर गई है। बाकी मेरे पार्टनर हिमांशु शर्मा, जो मेरे साथ लिखते हैं वह भी इस सफर में मेरे साथ रहे। हमारा लक्ष्य छोटे शहर की कहानियां कहना नहीं, बल्कि मध्यम वर्गीय होने को अच्छे से जीना है ।

• आपने तनु वेड्स मनु और शुभ मंगल सावधान फिल्मों की कहानी को आगे बढ़ाया। कुछ कहना रह गया था या इन फिल्मों की सफलता को देखकर लगा कि इसे आगे बढ़ाना चाहिए?

- जब तनु वेड्स मनु बन रही थी, तब सीक्वल की बात जेहन में नहीं थी। जब रांझणा बनाई, तब भी यही मन में था कि तनु वेड्स मनु जैसी कहानी बनाने से पहले एक ट्रेजेडी वाली फिल्म को जी लेते हैं, नहीं तो रोमांटिक कामेडी फिल्मों का स्टैंप मुझ पर लग जाएगा। रांझणा को प्यार मिला, तो एक बात पुख्ता हो गई कि मन का ही करना है।

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• आपकी प्रेम कहानियां अपरंपरागत होती हैं। क्या प्यार की कहानियां सीधी- सपाट नहीं हो सकती हैं?

- मैं कहानी को जबरदस्ती मोड़ता नहीं हूं। उसमें एक अंदरुनी ड्रामा होता ही है। मेरे हिसाब से मैं सीधी कहानियां ही सुनाता हूं, लेकिन उनकी पृष्ठभूमि बहुत अलग होती है। इस वजह से उसका ड्रामा अलग हो जाता है और वह अपरंपरागत लगती हैं।

अभिनेता धनुष के साथ आप तीसरी फिल्म तेरे इश्क में कर रहे हैं। उनके साथ केमेस्ट्री के बारे में कुछ बताएं?

- राझंणा फिल्म के दौरान मैं एक ऐसा कलाकार ढूंढ रहा था, जो भीड़ का हिस्सा बनने की ताकत रखता हो। मैं धनुष को देखकर कहता था कि ऐसा एक्टर चाहिए । फिर लगा, यही क्यों नहीं। वहां से एक एक्टर और डायरेक्टर का रिश्ता शुरू हुआ। फिर वह छोटे भाई बने और अब उन्होंने बेटे जैसा रूप ले लिया है। उनसे साथ मैं 10 मिनट बैठा था, उतनी देर में उन्हें समझ आ गया था कि मैं यह ( रांझणा ) कहानी क्यों सुनाना चाहता हूं।

आपने कई बड़े सितारों के साथ काम किया है। उनका स्टारडम फिल्म को ज्यादा दर्शकों तक पहुंचाने में कितनी मदद करती है?

इससे इन्कार नहीं किया जा सकता है कि स्टारडम दर्शकों को आकर्षित करता है। लेकिन अगर आपकी कहानी बड़ा स्टार नहीं मांग रही है, फिर भी आप उनकी स्टारडम की वजह से फिल्म बनाएं, तो यह गलत होगा। सही कास्टिंग जरूरी है, फिर उस कास्टिंग में अगर एक स्टार आता है, तो बेहतर है, अगर नहीं आता है, तो जो एक्टर उसमें सही फिट बैठता है, उसके साथ काम करना चाहिए।


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