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    Kachche Dhaage: शूटिंग के वक्त मरते-मरते बचे थे Ajay Devgn, सैफ को इस कारण डायरेक्टर से पड़ा था जोरदार थप्पड़

    Updated: Mon, 19 Feb 2024 04:57 PM (IST)

    25 Years of Kachche Dhaage मिलन लुथरिया के निर्देशन में बनी फिल्म कच्चे धागे 90 के दशक की सक्सेसफुल फिल्मों में से एक रही है। पहली बार अजय देवगन और सैफ अली खान ने साथ में स्क्रीन शेयर किया था। उनकी जोड़ी ने पर्दे पर आग लगा दिया था। मूवी की कहानी से तो आप सभी रूबरू होंगे चलिए आपको पर्दे के पीछे की कहानी बताते हैं।

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    कच्चे धागे के चक्कर में अजय देवगन से नाराज हो गए थे डायरेक्टर। फोटो क्रेडिट- इंस्टाग्राम

    एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। 25 Years of Kachche Dhaage: शैतान (Shaitaan) के प्रमोशंस में बिजी अजय देवगन की फिल्म कच्चे धागे ने 25 साल का सफर पूरा कर लिया है। 1999 में 19 फरवरी को रिलीज हुई यह उस दौर की सफल और चर्चित फिल्मों में से एक है।

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    इस फिल्म के साथ निर्देशक मिलन लुथरिया के करियर को भी 25 साल हो गये हैं। कच्चे धागे इसकी स्टार कास्ट की वजह से भी सुर्खियों में रही थी। इस फिल्म के साथ उस दौर के लोकप्रिय एक्शन स्टार अजय देवगन (Ajay Devgn) और उभरते हुए रोमांटिक सितारे सैफ अली खान (Saif Ali Khan) पहली बार साथ आये थे।

    अजय की जोड़ी मनीषा कोइराला के साथ बनी थी, जो इससे पहले 1993 की फिल्म धनवान में साथ काम कर चुके थे। नम्रता शिरोडकर को सैफ अली खान के अपोजिट कास्ट किया गया था। 

    मिलन लुथरिया। फोटो- मिलन

    'कच्चे धागे' के नाम से साल 1973 में भी एक फिल्म बनी, जिसमें कबीर बेदी, विनोद खन्ना और मौसमी चटर्जी मुख्य भूमिका निभाई थी। फिल्म का नाम सेम था, लेकिन कहानी बिल्कुल अलग थी। रमेश तौरानी और मिलन जब 'कच्चे धागे' लेकर आए तो उन्हें बिल्कुल भी यकीन नहीं था कि यह मूवी इतनी बड़ी हिट साबित होगी।

    भूतिया गांव में शूट हुई थी फिल्म

    'कच्चे धागे' की कहानी दो भाइयों सैफ और अजय की थी, जिनकी दुनिया एक-दूसरे से बिल्कुल अलग रहती है। बाद में किस्मत उनकी राह एक करती है और फिर वे दुश्मनी छोड़ करीब आ जाते हैं। इस फिल्म की शूटिंग कुलधरा गांव समेत भारत के कई क्षेत्र और स्विट्जरलैंड में हुई है। कुलधरा एक भूतिया गांव कहा जाता है। यह जैसलमेर में स्थित है। कभी इस गांव में ब्राह्मण समुदाय के लोग रहा करते थे।

    बाल-बाल बची थी अजय देवगन की जान

    फिल्म में अजय देवगन ने आफ्ताब का किरदार निभाया था। एक सीन था, जब उन्हें सैफ अली खान के साथ ट्रेन का कोच अलग करना था। जिस तरह मूवी में अजय देवगन मरते-मरते बचे थे, असल में भी ऐसा ही था। फिल्म की शूटिंग के दौरान वाकई अजय देवगन की जान पर बन आई थी। वह इस सीन के दौरान मरते-मरते बचे थे।

    सैफ अली खान को एक्शन डायरेक्टर से पड़ा था थप्पड़

    क्या आप जानते हैं कि 'कच्चे धागे' के सेट पर सैफ अली खान को एक्शन डायरेक्टर टीनू वर्मा ने जोरदार थप्पड़ मारा था। इसकी वजह सैफ का गैर-पेशेवर रवैया था। दरअसल, चलती ट्रेन में एक्शन सीक्वेंस के दौरान सैफ बार-बार शूट करने की बजाय डांस कर रहे थे। शूट रद्द होने के बाद जब डायरेक्टर ने उनसे पूछा कि वह ऐसा क्यों कर रहे थे, तब सैफ ने कहा था कि ट्रेन की धुन सुन उन्हें नाचने का मन हुआ। 

    Kachche Dhaage

    यह बात सुनकर टीनू वर्मा को इतना गुस्सा आया कि उन्होंने सैफ को जोरदार तमाचा मार दिया। बाद में सैफ अपनी एक्स वाइफ अमृता सिंह के साथ टीनू से माफी मांगने आए थे।

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    अजय देवगन पर भड़क गए थे डायरेक्टर

    जब 'कच्चे धागे' के लिए मिलन, अजय देवगन के पास गए तो अभिनेता ने तुरंत इस फिल्म को करने के लिए हामी भर दी। मगर वह बार-बार अन्य फिल्मों की शूटिंग के चलते इसे टालते रहे। करीब 6 महीने बीत गए और डायरेक्टर के सब्र का बाण टूट गया। वह गुस्से में अजय देवगन के घर गए और उनसे फुल एंड फाइनल जवाब मांगा। अभिनेता ने उन्हें समझाया और दो महीने बाद फिल्म की शूटिंग शुरू हुई।

    बाल कटाना सैफ को पड़ा था भारी

    अगर आप फिल्म देखेंगे तो आप नोटिस करेंगे कि शुरुआती कुछ सींस में सैफ अली खान के बाल बड़े हैं और फिर उन्होंने शॉर्ट हेयरकट करवा लिया था। यह फिल्म के लिए कोई डिमांड नहीं थी, बल्कि बिना किसी से पूछे ही सैफ ने अपने बाल छोटे करा लिए थे। 

    कहा जाता है कि इससे प्रोड्यूसर रमेश तौरानी बहुत नाराज हुए थे। सैफ ने उन्हें समझाया कि वह छोटे बाल में ज्यादा यंग और हैंडसम लग रहे हैं। फिर क्या था, प्रोड्यूसर को सैफ के छोटे बालों संग ही शूटिंग करना पड़ा। बॉक्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, 'कच्चे धागे' ने उस वक्त करीब 16 करोड़ का बिजनेस किया था।

    नुसरत से संगीत ने मचाया तहलका

    ये उन चंद बॉलीवुड फिल्मों में शामिल है, जिनका संगीत नुसरत फतेह अली खान ने दिया था। कच्चे धागे का संगीत जबरदस्त हिट रहा और इसके गाने कैसेटों के जरिए घर-घर में पहुंच गये थे। एक जवानी मेरी, तेरे बिन नहीं जीना खूब सुने जाते थे। लता मंगेशकर, कुमार शानू, अल्का याग्निक, सुखविंदर सिंह और हंस राज हंस ने गीतों को आवाज दी थी।

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