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    Interview: 2.0 के इस स्टार ने खोले कई राज़, जानिए सुपरस्टार रजनीकांत को क्यों कहा भगवान

    By Hirendra JEdited By:
    Updated: Wed, 05 Dec 2018 05:47 AM (IST)

    बरेली में उन्होंने उसी आर्मी स्कूल से पढ़ाई की है जिसमें प्रियंका चोपड़ा ने भी पढ़ाई की थी..

    Interview: 2.0 के इस स्टार ने खोले कई राज़, जानिए सुपरस्टार रजनीकांत को क्यों कहा भगवान

    हीरेंद्र झा, मुंबई। इन दिनों बॉक्स ऑफिस पर सुपरस्टार रजनीकांत और अक्षय कुमार की फ़िल्म ‘2.0’ की धूम है। इसी फ़िल्म के लिए अभिनेता सुधांशु पांडे भी चर्चा में हैं। सुधांशु ने फ़िल्म में धीनेंद्र बोहरा का किरदार निभाया है।

    फ़िल्म ‘2.0’ के अपने अनुभव से रजनीकांत के बारे में बात करते हुए सुधांशु बताते हैं कि अगर भगवान इंसान के रूप में आये तो वो रजनीकांत की तरह ही दिखेंगे। वो आगे कहते हैं कि- ‘‘दरअसल जब आप इतना बड़ा स्टारडम और एक विराट कद पा लेते हैं जैसा रजनीकांत साहब का है तो उसके बाद मानसिक और शारीरिक संतुलन बनाये रखना बहुत ही मुश्किल काम होता है। ऐसा कोई साधक ही कर सकता है और रजनी सर उस स्तर पे पहुंच गए हैं कि वो आंतरिक रूप से बेहद शांत हैं, जो आप उनकी आंखों में देख सकते हैं!’’

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    आप इस फ़िल्म से कैसे जुड़े यह पूछने पर सुधांशु बताते हैं कि इस फ़िल्म के लिए उनके पास डायरेक्टर शंकर का फोन आया था। क्योंकि वो उन्हें ‘बिल्ला’ फ़िल्म में देख चुके थे। बिल्ला दक्षिण भारत फ़िल्मों में एक काफी लोकप्रिय फ्रेंचाईज़ी है। कमाल की बात ये कि पहली फ़िल्म ‘बिल्ला’ जो सत्तर के दशक में आई थी उसमें रजनीकांत ही थे। एक और ‘बिल्ला’ नब्बे के दौर में आई थी जिसमें अजीत ने अभिनय किया था। अजीत भी साउथ सिनेमा के एक बड़े स्टार हैं। साल 2012 में आई तमिल फ़िल्म ‘बिल्ला’ में भी अजीत थे जिसमें सुधांशु मुख्य खलनायक की भूमिका में थे। जिस फ़िल्म के लिए उनकी काफी सराहना हुई थी।

    बहरहाल, उत्तरप्रदेश के बदायूं में जन्में सुधांशु पांडे ने बहुत ही जतन से अपनी एक पहचान बनाई है। उनका बचपन गोरखपुर से लेकर बरेली तक में गुज़रा। बरेली में उन्होंने उसी आर्मी स्कूल से पढ़ाई की है जिसमें प्रियंका चोपड़ा ने भी पढ़ाई की थी। बहरहाल, सुधांशु शुरू से ही आर्मी में जाना चाहते थे। वो कहते हैं कि मेरे जितने भी क्लासमेट्स थे तब उनमें से ज़्यादातर साथी आज आर्मी में कर्नल हो गए हैं और उनकी भी पूरी तैयारी फौज में जाने की थी। हालांकि बाद में वो दिल्ली आ गए जहां उनका झुकाव अभिनय की तरफ हुआ और उन्होंने वहां खूब थियेटर किये। उसके बाद उन्होंने मुंबई का रुख किया।

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    अपनी कामयाबी का मूलमंत्र पूछने पर सुधांशु कहते हैं कि- ‘महाकाल की मुझपर बहुत कृपा है और मैं अक्सर उनके दर्शन के लिए उज्जैन जाता हूं। मेरी ज़िंदगी वहीं से चलती है और जब भी कहीं कुछ मामला बिगड़ता देखता हूं, वहां पहुंच जाता हूं।’