‘Phule’ के कट पर भड़के VBA चीफ प्रकाश अंबेडकर, सीन्स हटाने को लेकर CBFC को दी चेतावनी
प्रतीक गांधी और पत्रलेखा की फिल्म फुले (Phule) लगातार सुर्खियों में घिरी हुई है। कुछ लोगों मूवी के कुछ सीन पर आपत्ति दर्ज कराई है। सीबीएफसी ने भी फिल्म से कई सारे सीन्स को हटाने की डिमांड की है। इस सब के बीच VBA प्रमुख प्रकाश अंबेडकर ने भी बयान जारी किया है। नेता ने सीबीएफसी से कहा कि फिल्म से अगर सीन हटाए गए तो वो धरना प्रदर्शन करेंगे।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। प्रतीक गांधी (Pratik Gandhi) और पत्रलेखा (Patralekha) स्टारर बायोपिक 'फुले' (Phule movie) इन दिनों जबरदस्त चर्चा में है। यह फिल्म समाज सुधारकों ज्योतिराव फुले और सावित्रीबाई फुले के जीवन पर आधारित है और 11 अप्रैल को रिलीज होने वाली थी। हालांकि अब इसकी रिलीज टाल दी गई है। फिल्म को लेकर चल रहे राजनीतिक विवादों और सेंसर बोर्ड द्वारा कुछ दृश्यों पर आपत्ति जताने के कारण इसे रोक दिया गया है।
जातिसूचक शब्दों पर सेंसर की सख्ती
'फुले' में जातिवाद से जुड़ी सामाजिक सच्चाइयों को दिखाने की कोशिश की गई है, लेकिन केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) ने फिल्म से कुछ जातिसूचक शब्दों और दृश्यों को हटाने का आदेश दिया है। इन निर्देशों के बाद फिल्म की रिलीज फिलहाल रोक दी गई है। सेंसर बोर्ड के इस फैसले के खिलाफ वंचित बहुजन अघाड़ी (VBA) प्रमुख प्रकाश अंबेडकर ने नाराजगी जताई है।
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"कट लगाने से मकसद ही खत्म हो जाएगा"
प्रकाश अंबेडकर ने शुक्रवार को CBFC के फैसले के खिलाफ विरोध दर्ज कराया। उन्होंने एएनआई से बातचीत में कहा कि फिल्म में दिए गए सशक्त संदेश को अगर संपादित कर दिया जाता है, तो उसका उद्देश्य ही खो जाएगा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि बोर्ड अपने आदेशों पर कायम रहता है, तो वे CBFC के दफ्तर के बाहर प्रदर्शन करेंगे। अंबेडकर का कहना है कि फुले जैसे क्रांतिकारी व्यक्तित्व की कहानी को बिना सेंसर की झाड़-फूंक के सामने लाना जरूरी है।
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ब्राह्मण संगठनों ने भी जताई थी आपत्ति
विवाद का दूसरा पक्ष ब्राह्मण समुदाय की ओर से सामने आया है। फिल्म का ट्रेलर रिलीज होते ही कुछ संगठनों ने आरोप लगाया कि यह फिल्म जातीय विभाजन को बढ़ावा देती है और एकतरफा नजरिया दिखाती है। ब्राह्मण फेडरेशन के अध्यक्ष आनंद दवे ने कहा कि फिल्म में ‘ब्लैक ब्राह्मण’ समुदाय के योगदान को नजरअंदाज किया गया है, जबकि उनका फुले दंपत्ति के सामाजिक आंदोलनों में महत्वपूर्ण सहयोग रहा था।
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फिल्म में इन शब्दों पर सेंसर की कैंची?
जानकारी के अनुसार, CBFC ने फिल्म से 'महार', 'मांग', 'पेशवाई', 'मनुस्मृति जाति व्यवस्था' जैसे शब्द हटाने और एक वॉइसओवर को पूरी तरह से डिलीट करने का निर्देश दिया है, जिसमें जाति प्रथा का विवरण था। फिल्म के निर्देशक अनंत महादेवन और प्रोड्यूसर्स अब इन सुझावों पर विचार कर रहे हैं, जबकि पूर्व मंत्री छगन भुजबल ने मामले को शांत कराने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। फिलहाल दर्शकों को फिल्म की नई रिली डेट का इंतजार है।
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