राजशाही का दबदबा कायम: रानी, राजकुमार और राजकुमारी को मिला जनता का साथ; कांग्रेस के टिकट पर उतरे राजा 'खाली हाथ'
Rajasthan Assembly Election 2023 Results राजस्थान विधानसभा चुनाव में वसुंधरा राजे समेत अलग-अलग राजघरानों के छह सदस्यों ने चुनाव लड़ा। इनमें से पांच सदस्य भाजपा के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे थे तो एक सदस्य ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था। इनमें से एक को छोड़कर बाकी सभी को जनता का प्यार मिला है। पढ़िए राजपरिवारों के सदस्यों में से कौन-सा इकलौता सदस्य हार रहा है...
डिजिटल डेस्क, जयपुर। राजस्थान विधानसभा चुनाव में वसुंधरा राजे समेत अलग-अलग राजघरानों के छह सदस्यों ने चुनाव लड़ा। इनमें से पांच सदस्य भाजपा के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे थे तो एक सदस्य ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था। इनमें से एक को छोड़कर बाकी सभी को जनता का प्यार मिला है। यहां पढ़िए राजस्थान विधानसभा चुनाव में राजपरिवारों के सदस्यों में से कौन-सा इकलौता सदस्य हार रहा है...
वसुंधरा राजे: जनता फिर धौलपुर की महारानी चुना
राजस्थान की दो बार मुख्यमंत्री रह चुकी भाजपा नेता वसुंधरा राजे झालावाड़ के झालरापाटन विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में थीं। फिलहाल, वह कांग्रेस प्रत्याशी रामलाल से 53 हजार से ज्यादा वोटों से आगे चल रही हैं।
वसुंधरा राजे ग्वालियर की राजकुमारी और धौलपुर की महारानी हैं। धौलपुर के राजा हेमंत सिंह से उनकी शादी हुई थी। वसुंधरा की मां विजयाराजे सिंधिया जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में शामिल थीं, जोकि भाजपा की मूल पार्टी थी।
वसुंधरा ने पहली बार साल 1985 में धौलपुर से विधानसभा चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्होंने करीब 23 हजार वोटों से जीत दर्ज की। 1993 में वह धौलपुर से हार गईं। इसके बाद साल 2003 से लगातार झालावाड़ के झालरापाटन विधानसभा सीट से चुनाव जीतती आ रही हैं।
दीया कुमारी: जयपुर की राजकुमारी 71 हजार वोटों से जीतीं
जयपुर की राजकुमारी और भाजपा प्रत्याशी दीया कुमारी ने विद्याधर नगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था। अब तक की गणना के मुताबिक, दीया कुमारी 71368 वोटों से कांग्रेस प्रत्याशी सीताराम अग्रवाल को पीछे छोड़ चुकी हैं।
दीया कुमारी गायत्री देवी के दत्तक पुत्र महाराजा सवाई सिंह और महारानी पद्मिनी देवी की बेटी हैं। दीया ने 10 साल पहले राजनीति में कदम रखा। साल 2013 में सवाई माधोपुर से विधायक चुनी गईं। साल 2019 में राजसमंद से लोकसभा चुनाव जीता था। चर्चा है कि अगर भाजपा चुनाव जीतती है तो दीया मुख्यमंत्री पद की दावेदार भी हो सकती हैं।
सिद्धि कुमारी: बीकानेर की राजकुमारी ने कांग्रेस प्रत्याशी को पछाड़ा
बीकानेर पूर्व सीट से भाजपा के टिकट पर पूर्व सांसद और बीकानेर के महाराजा करणी सिंह बहादुर की पोती सिद्धि कुमारी चुनाव मैदान में उतरीं थीं।
अभी तक की गणना के मुताबिक, प्रजा एक बार फिर अपनी राजकुमारी को गद्दी पर देखना चाहती है। सिद्धि कुमारी 13 हजार से ज्यादा वोटों से कांग्रेस प्रत्याशी यशपाल गहलोत से आगे चल रही हैं।
बता दें कि साल 2008 से लगातार बीकानेर पूर्व सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतती आ रही हैं।
कल्पना देवी: कोटा की महारानी को मिला जनता का प्यार
कोटा के महाराज इज्यराज सिंह की पत्नी कल्पना देवी लाडपुरा सीट से 25 हजार वोटों से आगे चल रही हैं। बता दें कि साल 2018 में कल्पना देवी ने भाजपा के टिकट पर पहली बार चुनाव लड़ा था और एक लाख से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की थी।
अभी तक के रुझानों को देखकर लग रहा है कि जनता एक बार फिर कल्पना सिंह को ही ताज सौंपेगी। कांग्रेस प्रत्याशी नईमुद्दीन गुड्डू हारते नजर आ रहे हैं।
विश्वराज सिंह मेवाड़: उदयपुर के राजकुमार भी चल रहे आगे
महाराणा प्रताप के वंशज विश्वराज सिंह मेवाड़ भी नाथद्वारा सीट से भाजपा के टिकट पर मैदान में उतरे थे। फिलहाल, वह कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. राजकुमार शर्मा से करीब आठ हजार वोटों से आगे चल रहे हैं।
बता दें कि विश्वराज सिंह के पिता महेंद्र सिंह मेवाड़ भी साल 1989 में चित्तौड़गढ़ से भाजपा सांसद रहे। 17 अक्टूबर को दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष चंद्र प्रकाश जोशी और राजसमंद सांसद दीया कुमारी की उपस्थिति में भाजपा में शामिल हुए थे।
विश्वेंद्र सिंह: फिर हार रहे भरतपुर के राजा
भरतपुर के अंतिम शास बृजेंद्र सिंह के बेटे विश्वेंद्र सिंह ने कांग्रेस के टिकट पर डीग-कुम्हेर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था। इस सीट से भाजपा प्रत्याशी डॉ. शैलेश सिंह आठ हजार से ज्यादा वोटों से विश्वेंद्र सिंह से आगे चल रहे हैं। विश्वेंद्र सिंह 2018 में भी शैलेश सिंह से हार गए थे।
बता दें कि विश्वेंद्र सिंह साल 1999 और 2004 तक भाजपा के टिकट पर तीन बार सांसद चुने गए। भाजपा सरकार में दो बार केंद्रीय मंत्री भी रहे। साल 2008 में वह भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए। कांग्रेस की टिकट पर 2013 और 2018 में लगातार चुनाव जीते। गहलोत सरकार में मंत्री भी रहे।
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