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    मेवाड़ से गुजरता है राजस्थान की सत्ता का रास्ता, जिस पार्टी ने अधिक सीटें जीती; उसी की बनी सरकार

    By Jagran NewsEdited By: Nidhi Avinash
    Updated: Wed, 08 Nov 2023 06:34 PM (IST)

    सत्ता में मेवाड़ के महत्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस साल में इस क्षेत्र के तीन दौरे कर चुके हैं।अब बृहस्पतिवार ...और पढ़ें

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    मेवाड़ से गुजरता है राजस्थान की सत्ता का रास्ता (Image: Jagran Graphic)

    जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान में एक पुरानी कहावत है कि प्रदेश में सत्ता का रास्ता मेवाड़ होकर जाता है। मेवाड़ को सत्ता का प्रवेश द्वार माना जाता है। पिछले 40 साल से विधानसभा चुनावों का इतिहास रहा है कि जिस पार्टी ने मेवाड़ अधिक विधानसभा सीटें जीती है, प्रदेश में सरकार उसी की बनी है।

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    1952 से लेकर 2023 तक 71 में से 30 साल तक प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर मेवाड़ के नेता ही बैठे हैं। इनमें स्व.मोहनलाल सुखाडिया, स्व.हरिदेव जोशी और स्व.शिवचरण माथुर शामिल हैं। सुखाड़िया 17 और जोशी 15 साल तक मुख्यमंत्री रहे हैं। सत्ता में मेवाड़ के महत्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस साल में इस क्षेत्र के तीन दौरे कर चुके हैं।

    पीएम मोदी करेंगे उदयपुर में जनसभा को संबोधित 

    अब बृहस्पतिवार को फिर उदयपुर में जनसभा को संबोधित करेंगे। गृहमंत्री अमित शाह ने भाजपा की परिवर्तन यात्रा प्रमुख धार्मिक स्थल सांवलिया से प्रारंभ की। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे इस साल में पांच बार और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 11 दौरे किए हैं। क्षेत्र में 20 सीटों पर ज्यादा प्रभाव रखने वाले आदिवासियों के वोट बैंक को साधने के लिए कांग्रेस और भाजपा सहित सभी पार्टियों ने जोर लगा रखा है। दोनों बड़ी पार्टियों को भारतीय ट्राइबल पार्टी और भारतीय आदिवासी पार्टी से टक्कर मिल रही है।

    नेताओं की कमी

    कुछ साल पहले तक कांग्रेस और भाजपा में मेवाड़ में कई बड़े दिग्गज नेता थे। लेकिन इस चुनाव में खालीपन नजर आ रहा है। भाजपा के दिग्गज नेता गुलाब चंद कटारिया असम के राज्यपाल बन गए। वहीं कांग्रेस में पूर्व केंद्रीय मंत्री गिरजा व्यास का स्वास्थ्य खराब है। गुलाब सिंह शक्तावत का निधन हो गया। अब कांग्रेस में विधानसभा अध्यक्ष सी.पी जोशी और भाजपा में प्रदेशाध्यक्ष सी.पी.जोशी प्रमुख नेता हैं।

    मेवाड़ की राजनीति की नजर इन्हीं दोनों पर है कि ये अपनी-अपनी पार्टी में खालीपन भर पाते हैं या नहीं। इन दोनों के अतिरिक्त अन्य नेता अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों तक सीमित हैं।मेवाड़ के छह जिलों उदयपुर, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़ में 28 विधानसभा सीटें है। इसी से सटे भीलवाड़ा की दो सीटो पर भी मेवाड़ का प्रभाव नजर आता है। ऐसे में कुल 30 सीटें मेवाड़ में मानी जाती है।

    यह है इतिहास

    1998 में कुल 30 में से छह सीटें भाजपा ने जीती थी और कांग्रेस ने 24 पर जीत दर्ज कर सरकार बनाई थी । 2003 में कांग्रेस ने सात और भाजपा ने 23 सीट जीतकर सरकार बनाई थी। 2008 में भाजपा ने आठ और कांग्रेस ने 22 सीट जीतकर सरकार बनाई थी। 2013 में कांग्रेस ने तीन,अन्य ने एक और भाजपा ने 26 सीट जीतकर सरकार बनाई थी।

    2018 में अवश्य मेवाड़ का इतिहास गड़बड़ाया इस दौरान भाजपा ने 15,भारतीय ट्राइबल पार्टी ने तीन और कांग्रेस ने दस सीट जीती थी। हालांकि सरकार कांग्रेस की बनी थी। 2018 में पहली बार ऐसा हुआ कि जब मेवाड़ में सीटें तो भाजपा ने ज्यादा जीतीं लेकिन सरकार कांग्रेस की बनी।मेवाड़ में 16 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं।

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