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    Rajasthan: प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर स‍िंह रंधावा को हटाने पर हो रहा विचार, विधानसभा चुनाव में हार का क्या रहा कारण?

    By Jagran NewsEdited By: Nidhi Avinash
    Updated: Mon, 11 Dec 2023 09:30 PM (IST)

    कांग्रेस (Congress) आलाकमान ने माना है कि गहलोत व प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा की मनमानी राज्य में हार का बड़ा कारण बना है। अब प्रदेश में पार्ट ...और पढ़ें

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    प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर स‍िंह रंधावा को हटाने पर हो रहा विचार (Image: Representative)

    जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद अब पार्टी आलाकमान कार्यवाहक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को प्रदेश की राजनीति से दूर कर राष्ट्रीय स्तर पर उनका उपयोग करने पर विचार कर रहा है। कांग्रेस आलाकमान ने माना है कि गहलोत व प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा की मनमानी राज्य में हार का बड़ा कारण बना है।

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    अब प्रदेश में पार्टी की कमान पूरी तरह से पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट व प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को सौंपने को लेकर पार्टी आलाकमान ने मन बनाया है। पायलट व डोटासरा के साथ पंजाब के पूर्व प्रभारी हरीश चौधरी, गुजरात के पूर्व प्रभारी रघु शर्मा व आदिवासी नेता महेंद्र मालवीय को प्रदेश में पहले से अधिक सक्रिय करने की तैयारी है।

    रंधावा को पद से हटाने पर हो रहा विचार 

    कांग्रेस के एक राष्ट्रीय महासचिव ने बताया कि राजस्थान में पार्टी की हार के बाद रंधावा को भी हटाने पर विचार हो रहा है। आलाकमान ने प्रारंभिक तौर पर पार्टी की हार के लिए गहलोत व रंधावा की मनमानी को एक बड़ा कारण माना है। रंधावा के खिलाफ आलाकमान तक शिकायत पहुंची है कि अन्य नेताओं को दरकिनार कर उन्होंने अधिकांश फैसले गहलोत की मर्जी से किए थे। यहां तक की कई फैसलों में तो प्रदेशाध्यक्ष तक को शामिल नहीं किया गया।

    वरिष्ठ नेताओं को चुनाव अभियान से रखा दूर

    आरोप है कि गहलोत ने रंधावा को साधने के लिए उनके करीबी स्वजन परमजीत सिंह रंधावा को गुरु नानक देव कल्याण बोर्ड का अध्यक्ष बनाकर राजयमंत्री का दर्जा दिया था। साथ ही संगठन और सरकार में कई नियुक्तियां रंधावा की मर्जी से हुई थीं।

    महासचिव ने बताया कि गहलोत व रंधावा ने पायलट सहित प्रदेश के अधिकांश वरिष्ठ नेताओं को चुनाव अभियान की रणनीति तैयार करने की प्रक्रिया से दूर रखा था। यहां तक की प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा को भी निर्णय लेने के बाद जानकारी दी जाती थी। चुनाव अभियान का जिम्मा पार्टी संगठन के स्थान पर एक निजी कंपनी को सौंप दिया गया।

    जिलास्तर पर किया जाएगा बदलाव

    वरिष्ठ नेताओं की बैठकों में गहलोत व रंधावा इस कंपनी के प्रबंध संचालक को बैठाते थे। इस कंपनी ने प्रचार सामग्री में कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी, पायलट व डोटासरा के स्थान पर केवल गहलोत के नाम और फोटो को अधिक प्राथमिकता दी, जबकि जाट और गुर्जर बहुल क्षेत्रों में गहलोत के प्रति नाराजगी अधिक थी।

    अब लोकसभा चुनाव से पहले आलाकमान जाट, गुर्जर, मुस्लिम ब्राह्मण मतदाताओं को साधने के लिए पायलट, डोटासरा, शर्मा, जुबेर खान व रफीक खान का उपयोग करेगा। पायलट व डोटासरा को फैसलों में महत्व दिया जाएगा। सूत्रों के अनुसार दिसंबर में विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता, उप नेता व सचेतक के साथ ही प्रदेशाध्यक्ष पद पर नई नियुक्तियां होंगी । इसके बाद जिलास्तर पर बदलाव किया जाएगा।

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