Rajasthan Politics: गहलोत सरकार ने कर्मचारियों के एक हजार करोड़ रुपये मुफ्त की योजनाओं में किए खर्च
राजस्थान की पिछली अशोक गहलोत सरकार ने प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों के हिस्से के करीब एक हजार करोड़ रुपये का उपयोग मुफ्त की योजनाओं में कर लिया। ओपीएस ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान की पिछली अशोक गहलोत सरकार ने प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों के हिस्से के करीब एक हजार करोड़ रुपये का उपयोग मुफ्त की योजनाओं में कर लिया।
वोट बैंक को साधने के लिए तत्कालीन सीएम गहलोत ने विधानसभा चुनाव से करीब छह महीने पहले आधा दर्जन मुफ्त योजनाओं की घोषणा की थी, लेकिन पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रही सरकार के पास इनको पूरा करने के लिए बजट नहीं था। ऐसे में इनको क्रियान्वित करने के लिए कर्मचारियों के पैसों का उपयोग कर किया गया। अब कर्मचारियों को उनके हिस्से का पैसा वापस कैसे मिले, यह संकट उत्पन्न हो गया है।
दरअसल, गहलोत सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को खुश करने के लिए पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) अप्रैल, 2022 में लागू की। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि योजना की घोषणा करते समय कहा गया था कि जो कर्मचारी ओपीएस में शामिल होंगे, जनवरी 2022 से राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) में उनके अशंदान की कटौती नहीं की जाएगी।
यह भी पढ़ेंः 'PoK हमारा है और इसे हमसे कोई नहीं छीन सकता', विपक्ष को अमित शाह की दो टूक- अभी भी सुधर जाओ नहीं तो साफ हो जाओगे
ओपीएस लागू करने के बावजूद सरकार ने जनवरी से मार्च, 2022 तक एनपीएस में अशंदान की कटौती जारी रखी। सरकार के निर्देश पर अधिकारियों ने कर्मचारियों के वेतन में से तो कटौती कर ली, लेकिन इस रकम को न केंद्र सरकार के राष्ट्रीय प्रतिभूति डिपाजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) कोष में जमा करवाया और न ही सामान्य भविष्य निधी (जीपीएफ) खातों में। अधिकारियों ने इस पैसे को गहलोत सरकार की मुफ्त की योजनाओं में खर्च कर दिया। इस बात का खुलासा सीएजी की रिपोर्ट में हुआ है।
आधा दर्जन मुफ्त योजनाओं में खर्च किया पैसा
जानकारी के अनुसार ओपीएस लागू होने से पहले राज्य सरकार ने कर्मचारियों और उसके अनुपात में खुद का अंशदान एनएसडीएल कोष में जमा करवाना बंद कर दिया, लेकिन कर्मचारियों के वेतन से यह कटौती जारी रखी थी। यह रकम करीब 641 करोड़ रुपये है। गहलोत सरकार ने ओपीएस लागू करते समय यह शर्त रखी थी कि जिन कर्मचारियों को इस योजना में पेंशन लेनी है, उन्हें एनपीएस से विड्रॉ (ली गई) रकम ब्याज के साथ सरकार को लौटानी होगी। फिर सरकार यह रकम राज्य कर्मचारियों के जीपीएफ खातों में जमा करवाएगी, लेकिन सरकार ने इस हिस्से की 382.41 करोड़ की रकम भी मुफ्त की योजनाओं में खर्च कर दी। इस तरह से करीब एक हजार करोड़ रुपये मुफ्त की योजनाओं में खर्च कर दिए गए।
महिलाओं को मोबाइल फोन, मुफ्त फूड सामग्री पैकेट, एक सौ यूनिट तक नि:शुल्क बिजली, महिलाओं को रोडवेज बसों के किराये में पचास प्रतिशत की छूट सहित आधा दर्जन मुफ्त की योजनाओं में करीब एक हजार करोड़ रुपये खर्च किए गए थे।
कर्मचारियों को इलाज में हो रही परेशानी
सरकारी कर्मचारियों के लिए चलाई जा रही आरजीएचएस योजना का उन्हें पूरा लाभ नहीं मिल रहा है। योजना के तहत कर्मचारियों को दुकानों से दवा लेने का प्रविधान है। फिर दुकानदार दवा के बिलों का भुगतान राज्य सरकार से ले सकता है, लेकिन पिछले कई महीनों से दुकानदारों के बिलों का भुगतान नहीं किया जा रहा है। इस कारण दुकानदार कर्मचारियों को दवा नहीं दे रहे हैं। सेवानिवृत्त कर्मचारियों को इससे काफी परेशानी हो रही है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।