भाजपा और कांग्रेस चार सीटों पर बागियों से आहत, अजमेर जिले की 8 सीटों पर 94 प्रत्याशी
अजमेर जिले की आठ में से चार सीटों पर कमल और हाथ बागियों से आहत है।अजमेर उत्तर, दक्षिण, नसीराबाद,केकड़ी में भाजपा,कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर होगी।
अजमेर, सन्तोष गुप्ता। अजमेर जिले की आठ में से चार सीटों पर कमल और हाथ बागियों से आहत है। अजमेर उत्तर, दक्षिण, नसीराबाद तथा केकड़ी में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर होगी। किशनगढ़ में भाजपा-कांग्रेस दोनों के बागी डटे रहने से त्रिकोणीय स्थिति बनी है। पुष्कर, मसूदा में कांग्रेस तथा ब्यावर में भाजपा का बगावत से सामना होगा।
अजमेर दक्षिण से कांग्रेस के उम्मीदवार हेमंत भाटी के सगे भाई और अजमेर जिले की दलित राजनीति के कद्दावर नेता पूर्व मंत्री ललित भाटी द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निर्देश पर बिना शर्त नाम वापस लेने से कांग्रेस प्रत्याशी को राहत मिली है। यहां से भाजपा की ओर से लगातार चौथी बार चुनाव लड़ रही महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री अनिता भदेल की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।
माना जा रहा है कि यहां से कोली मतों का विभाजन अब भाजपा व कांग्रेस में होगा तो रेगर मतों की टूटन सीधे कांग्रेस के खाते में जाएगी। रेगर समुदाय से इस सीट पर डॉ राकेश सिवासिया निर्दलीय के रूप में चुनाव मैदान में डटे हैं। इनके अलावा इस सीट से बसपा व आमआदमी पार्टी सहित कुल 11 उम्मीदवार और मैदान में है।
अजमेर उत्तर विधान सभा सीट से इस बार भाजपा के शिक्षा एवं पंचायती राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी की प्रतिष्ठा दांव पर है। कांग्रेस ने गैर सिंधी उम्मीदवार महेन्द्र सिंह रलावता पर भरोसा कर सवर्णों को तीसरी बार सिंधी के विरुद्ध एक जाजम पर आने का मौका दिया है। लोकसभा उपचुनाव में भाजपा के पिछड़ने पर यह सीट कांग्रेस के पक्ष में मजबूत दिखाई दे रही है। सिंधी मतों की कांग्रेस के पक्ष में टूटन हुई और जनता ने सामान्य सीट को लगातार अघोषित रूप से सिंधी सीट बनाए नहीं रखने का मन बना लिया तो वासुदेव देवनानी के लिए मुश्किल हो जाएगी। बसपा उम्मीदवार पार्षद अमाद चिश्ती का चुनाव मैदान में डटे रहना देवनानी को कुछ फायदा पहुंचा सकता है। इस सीट पर आम आदमी पार्टी व 5 निर्दलीय सहित अब कुल 12 उम्मीदवार मैदान में हैं।
नसीराबाद सीट कांग्रेस ने उपचुनाव में भाजपा से हथिया ली थी। यहां से कांग्रेस ने अपने पूर्व विधायक रामनारायण गुर्जर पर ही भरोसा दर्शाया है तो भाजपा ने उपचुनाव में हारे पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय सांवरलाल जाट के पुत्र रामस्वरूप लांबा को फिर मौका दिया है। यदि भाजपा में भितरघात नहीं हुई और कार्यकर्ता ने विकास के बजाय कमल को तरजीह दी तो यहां से भाजपा की झोली फिर भर सकती है। वैसे कुल 13 उम्मीदवार इस सीट से मैदान में हैं।
केकड़ी में मुकाबला इस बार सीधा और रोचक हो गया है। केकड़ी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के प्रदेश प्रचार प्रमुख एवं उपचुनाव में विधायक से सांसद पद पर पदौन्नत हुए डॉ रघु शर्मा की प्रतिष्ठा दांव पर है। भाजपा ने इस बार यहां से वैश्य राजेन्द्र विनायका के रूप में चेहरा व समुदाय दोनों ही बदल कर मौजूदा विधायक शत्रुध्न गौतम के प्रति जनता की नाराजगी को पूरी तरह खतम कर दिया है। इस सीट से खड़े कुल 10 उम्मीदवारों में कोई अन्य बड़ा नाम नहीं है। इससे यहां मुकाबला बहुत रोचक व कांटे का होने वाला है।
मसूदा विधानसभा क्षेत्र में पूर्व संसदीय सचिव ब्रह्मदेव कुमावत के नाम वापस लेने पर कांग्रेस उम्मीदवार राकेश पारीक ने राहत महसूस की है। लेकिन भाजपा उम्मीदवार श्रीमती सुशील कंवर पलाड़ा के लिए यह संतोष जनक बात है कि अभी भी कांग्रेस के पूर्व विधायक हाजी कय्यूम खान मैदान में हैं। इस सीट पर कुल 9 उम्मीदवार भाग्य आजमा रहे हैं।
किशनगढ़ विधानसभा क्षेत्र में पूर्व विधायक नाथूराम सिनोदिया और नगर परिषद के पूर्व सभापति सुरेश टांक डटे रहे। टांक भाजपा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य हैं और स्थानीय मार्बल एसोसिएशन में भी अच्छी पकड़ व पहुंच रखते हैं वे पूर्व सभापति भी रहे हैं ऐसी स्थिति में यहां भाजपा के अधिकृत उम्मीदवार युवा चेहरे विकास चौधरी के लिए चुनौती बन गए हैं। यदि ग्रामीण के विरुद्ध शहरी का मन बना तो टांक भारी पड़ सकते हैं क्यों कि वहां कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी नंदाराम धाकण के खिलाफ पूर्व विधायक नाथूराम सिनोदिया मैदान में डटे हैं। सिनोदिया पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खेमे के बताए जाते हैं। जाट बहुल्य किशनगढ़ विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवार जाट होने से यहां टांक की राह इन बागियों के बीच ही निकलती दिखाई दे रही है। यहां से सर्वाधिक कुल 16 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं।
पुष्कर विधानसभा क्षेत्र से दूसरी बार चुनाव लड़ रही कांग्रेस की उम्मीदवार श्रीमती नसीम अख्तर के सामने अभी भी तीन मुस्लिम उम्मीदवार हैं। इनमें राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के उम्मीदवार शाहबुद्दीन कुरैशी, आप से रियाज अहमद, निर्दलीय नफीस शामिल हैं। पुष्कर में मुस्लिम मतदाताओं के बंटने से कांग्रेस को नुकसान होगा। भाजपा के सुरेश रावत दूसरी बार चुनाव मैदान में है। रावतों में एक जुटता के चलते यहां एक बार फिर कमल खिलने के आसार दिखाई दे रहे हैं। वैसे यहां से कुल 11 उम्मीदवार मैदान में हैं
ब्यावर में भाजपा से तीसरी बार चुनाव लड़ रहे शंकर सिंह रावत के सामने बागी निर्दलीय के तौर पर देवेन्द्र सिंह चौहान डटे हैं। मौजूदा विधायक के खिलाफ रावत समुदाय के पांच उम्मीदवारों ने सामूहिक तौर पर नामांकन दाखिल किया था, लेकिन अंतिम दिन इनमें से चार ने अपना नाम वापस ले लिया और देवेन्द्र सिंह चौहान की उम्मीदवारी को कायम रखा। रावत समाज की अनेक संस्थाओं का समर्थन चौहान को मिलने से यहां भाजपा भितरघात में फंसी हुई है। वहीं यहां से कांग्रेस ने पारस पंच को उम्मीदवार बना कर देहात बनाम शहरी मुकाबला बना दिया है। यहां रावत समाज एक जुटता से मौजूदा विधायक को बदलने के मूढ में दिखाई दे रहा है तो शहरी लोग इस सीट को ओबीसी से निकाल कर सामान्य के लिए फिर मजबूत बनाने का मानस बना रहे हैं। लिहाजा यहां भी मुकाबला रोचक होने के आसार हैं। कुल 12 उम्मीदवार मैदान में हैं।
सभी सीटों पर कुल 94 प्रत्याशी चुनाव मैदान में डटे हैं। नामांकन वापसी के अंतिम दिन दोनों ही पार्टी प्रत्याशियों ने जीत की राह में बाधक बने रहे 26 अभ्यर्थियों से नाम निर्देशन पत्र वापस करवाने में सफलता प्राप्त की है।
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