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MP Polls 2023: PM मोदी का 'ऋण' उतारना चाहता है उज्जैन, श्री महाकाल महालोक ने चमका दी धर्मनगरी की आर्थिक स्थिति

उज्जैन इन दिनों तड़के ब्रह्ममुहूर्त में महाकाल की भस्मारती करने के बाद दिनभर राजनीतिक गप्प लड़ाता है। उज्जैन धर्मनगरी है इसलिए यहां के लोगों के उदाहरण भी धर्म से ही निकल कर आते हैं। यह पूछने पर कि स्थानीय भाजपा नेताओं से तो लोगों में थोड़ी नाराजगी दिखाई देती है इस पर पूजन सामग्री विक्रेता वैभव दुबे कहते हैं- छोटी-मोटी नाराजगी का कोई अर्थ नहीं।

By Jagran NewsEdited By: Anurag GuptaWed, 08 Nov 2023 09:14 PM (IST)
MP Polls 2023: PM मोदी का 'ऋण' उतारना चाहता है उज्जैन, श्री महाकाल महालोक ने चमका दी धर्मनगरी की आर्थिक स्थिति
PM मोदी का 'ऋण' उतारना चाहता है उज्जैन (फाइल फोटो)

ईश्वर शर्मा, उज्जैन। उज्जैन इन दिनों तड़के ब्रह्ममुहूर्त में महाकाल की भस्मारती करने के बाद दिनभर राजनीतिक गप्प लड़ाता है। चाय के ठीयों से लेकर बड़े होटलों के लक्जरी सोफों तक पर बैठे लोगों के बीच एक ही चर्चा है कि अब ऋण चुकाने का समय आ गया है। यह ऋण कौन-सा है? पूछने पर पंडित कृपाशंकर शर्मा कहते हैं- 'मोदी जी का ऋण'।

इसे समझाते हुए कहते हैं- 'नव्य-भव्य श्री महाकाल महालोक बनने के पहले वाले उज्जैन और बाद वाले उज्जैन में जमीन-आसमान का अंतर है। महालोक बनने के बाद से देशभर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़ रहे हैं, उससे मंदिरों की दानपेटियां भी भर रही हैं और शहर की जेब भी। यह महालोक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उज्जैन को दिया है, इसलिए अब विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को वोट देकर उज्जैन अपना धन्यवाद, अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करना चाहता है। 

कृपाशंकर शर्मा की इस बात से तमाम उज्जैनवासी भी सहमति जताते हैं। लोगों के कहने का निचोड़ यह है कि- 'बीते करीब दो-तीन वर्षों से राष्ट्रीय स्तर पर हमारा उज्जैन छाया हुआ है। महाराज विक्रमादित्य के दौर में उज्जैन का जो वैभव भारत में था, वह अब फिर लौट रहा है। नव्य-भव्य श्री महाकाल महालोक बनने के बाद से यहां जैसे रंगत ही बदल गई है। फिर हम क्यों भाजपा का साथ देने से पीछे हटें।'

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गाय कसाई के घर थोड़ी जाएगी

उज्जैन धर्मनगरी है, इसलिए यहां के लोगों के उदाहरण भी धर्म से ही निकल कर आते हैं। यह पूछने पर कि स्थानीय भाजपा नेताओं से तो लोगों में थोड़ी नाराजगी दिखाई देती है, इस पर पूजन सामग्री विक्रेता वैभव दुबे कहते हैं, 'छोटी-मोटी नाराजगी का कोई अर्थ नहीं। कोई ब्राह्मण अपनी गाय को एक-दो दिन हरा चारा न दे, तो क्या गाय रूठकर कसाई के घर चली जाएगी? नहीं न? तो फिर उज्जैन उनसे नाराज होगा, जिन्होंने उज्जैन की काया पलट दी है'।

इसी बात पर कारोबारी रामेश्वर मिश्रा कहते हैं, 'सड़क, बिजली, पानी पर भाजपा के कान बाद में खींच लेंगे, लेकिन चुनाव में तो सनातन धर्म की रक्षा में जुटी भाजपा को ही आशीर्वाद देंगे। राजस्थान के पिछले विधानसभा चुनाव में बहुचर्चित हुए नारे 'मोदी तुझसे बैर नहीं, रानी तेरी खैर नहीं' की तर्ज पर हमारा भी यही कहना है कि स्थानीय नेता से भले नाराज हैं, पर हमारे मन में तो मोदी महाराज हैं।'

उज्जैन का असर पूरे प्रदेश पर

ऐसा नहीं कि उज्जैन की कायापलट का प्रभाव केवल उज्जैन पर है। समूचे मध्य प्रदेश के मतदाताओं के मन में अपनी धर्मनगरी का स्वरूप बदल जाने पर कृतज्ञता का भाव है। अन्य शहरों से उज्जैन आकर श्री महाकाल महालोक के दर्शन करने वाले श्रद्धालु अभिभूत होकर कहते हैं, 'महालोक हमें संदेश देता है कि जो धर्म के साथ खड़ा है, तुम उसके साथ खड़े रहो'।

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रीवा से आए रामकुमार पांडेय इसमें जोड़ते हैं, 'सबको पता है कि वर्तमान दौर में सनातन धर्म के साथ कौन खड़ा है'। यह पूछने पर कि क्या विकास आपके लिए महत्वपूर्ण मुद्दा नहीं, पांडेय कहते हैं, 'मध्य प्रदेश में विकास भी कोई कम नहीं हुआ है। बीमारू से बेहतर हो गए हैं, और क्या चाहिए। चारों ओर काम चल रहा है, जो हमें दिख रहा है। जिन्हें न दिखता हो, वे शिकायत अपने गले में टांगकर घूमते रहें।'

रामकुमार श्रीमहाकाल महालोक में बनी उस मूर्ति की तरफ इशारा करते हुए कहते हैं। भोले नाथ को देखिए, खुद विष पीकर समाज का कल्याण करने का संदेश दे रहे हैं। इस संदेश को ग्रहण करने की जरूरत है।