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    MP Election 2023: 45 सीटों पर महज तीन फीसदी वोट ने बदला था हार-जीत का खेल, BJP-Congress में फिर कांटे की टक्कर

    By Prince SharmaEdited By: Prince Sharma
    Updated: Fri, 13 Oct 2023 04:00 AM (IST)

    MP Election 2023 मध्य प्रदेश में चुनावी मुकाबला भाजपा- कांग्रेस के बीच है। पिछले चुनाव में भाजपा 41.02 प्रतिशत मत लेकर 109 सीटें जीती थी। 43 सीटों पर हार-जीत का निर्णय तीन प्रतिशत से कम मतों से हुआ था। आगामी विधानसभा चुनाव में सत्ता के समीकरण ऐसी स्थिति के कारण न बिगड़ें इसके लिए भाजपा ने तो 51 प्रतिशत वोट शेयर प्राप्त करने का लक्ष्य लेकर कार्ययोजना बनाकर काम किया।

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    MP Election 2023: 45 सीटों पर महज तीन फीसदी वोट ने बदला था हार-जीत का खेल, BJP-Congress में फिर कांटे की टक्कर

    वैभव श्रीधर भोपाल। मध्य प्रदेश में चुनावी मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है। पिछले चुनाव में भाजपा 41.02 प्रतिशत मत लेकर 109 सीटें जीती थी। जबकि, कांग्रेस को 40.89 प्रतिशत मत मिले थे और उसके 114 प्रत्याशी जीते थे। 45 सीटों पर मात्र तीन प्रतिशत वोटों के अंतर ने जीत-हार तय की थी। इसमें भाजपा और कांग्रेस के दिग्गज नेता भी शामिल थे। 16 सीटें तो ऐसी थीं, जहां हार-जीत का निर्णय एक प्रतिशत से भी कम मतों के अंतर से हुआ। 2013 के चुनाव में भी लगभग यही स्थिति थी।

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    43 सीटों पर मामूली प्रतिशत से कम मतों से हुए

    43 सीटों पर हार-जीत का निर्णय तीन प्रतिशत से कम मतों से हुआ था। आगामी विधानसभा चुनाव में सत्ता के समीकरण ऐसी स्थिति के कारण न बिगड़ें, इसके लिए भाजपा ने तो 51 प्रतिशत वोट शेयर प्राप्त करने का लक्ष्य लेकर कार्ययोजना बनाकर काम किया। कांग्रेस भी इसमें पीछे नहीं रही। प्रत्येक बूथ पर संपर्क कार्यक्रम चलाया और पहली बार 64 हजार से अधिक बूथ लेवल एजेंट नियुक्त किए ताकि मतदाताओं से सीधा संपर्क हो सके।

    मध्य प्रदेश में पिछले चुनाव में औसत मतदान 75.63 प्रतिशत हुआ था। यह पिछले आठ चुनाव में हुआ सर्वाधिक मतदान था। इसके बाद भी कई विधानसभा क्षेत्र में कांटे का मुकाबला हुआ और तीन प्रतिशत से कम मतों के अंतर हार-जीत हुई। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कांतिलाल भूरिया केवल 1.55, केपी सिंह 1.39, बाला बच्चन .53 तुलसीराम सिलावट 1.50 और विक्रम सिंह. 52 प्रतिशत मतों के अंतर से चुनाव जीते थे।

    जबकि, भाजपा के डा.नरोत्तम मिश्रा 1.83, मनोहर ऊंटवाल 1.46, संजय शाह 1.61, गिरीश गौतम .80, राजेंद्र पांडे .29 और महेंद्र हार्डिया ने .47 प्रतशित मतों के अंतर से जीत प्राप्त की थी। 2013 के चुनाव में भी यही स्थिति थी। भाजपा के 25, कांग्रेस के 15, बसपा के दो और एक निर्दलीय प्रत्याशी तीन प्रतिशत के कम मतों के चुनाव जीते थे।

    50-50 मतदान केंद्र हुए चिन्हित

    भाजपा ने अपने पक्ष में मतदान बढ़ाने के लिए कई उपक्रम किए हैं। विभिन्न योजनाओं के हितग्राहियों से सीधे संवाद के साथ मतदान केंद्र तक मतदाताओं को लाने के लिए पन्ना के स्थान पर अर्द्धपन्ना प्रभारी नियुक्त किए गए हैं। महिलाओं केंद्रित योजनाओं के प्रचार-प्रसार पर ध्यान देने के साथ युवाओं से संपर्क अभियान चलाया जा रहा है ताकि वे बढ़-चढ़कर मतदान में भाग लें। उधर, कांग्रेस भी मतदान को लेकर सतर्क है।

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    पहली बार संगठन का विस्तार मतदान केंद्र तक किया गया है। बूथ, सेक्टर और उसके ऊपर मंडलम इकाई बनाई है। मतदाताओं से संपर्क के लिए सभी अनुषांगिक संगठनों की बूथ स्तरीय टीम बनवाई गई है ताकि एक-एक मतदाता को मतदान के लिए प्रेरित किया जा सके। मुख्यमंत्री निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय भी राज्य के औसत से कम मतदान वाले विधानसभा क्षेत्रों में फोकस करके काम कर रहा है। प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में 50-50 ऐसे मतदान केंद्र चिन्हित किए गए हैं जहां मतदान राज्य के औसत से कम रहा था।

    एक प्रतिशत से कम मतों के अंतर से जीत-हार

    वर्ष 2018 के विधानसभा में 16 ऐसे प्रत्याशी चुनाव जीते थे, जिन्हें प्रतिद्वंद्वी के मुकाबले लगभग एक प्रतिशत मत ही अधिक मिले थे। इनमें ग्वालियर ग्रामीण के भारत सिंह कुशवाह, नेपानगर से सुमित्रा देवी कास्डेकर, मांधाता से नारायण पटेल, नागौद से नागेंद्र सिंह, चंदला से राजेश कुमार प्रजापति, इंदौर पांच से महेंद्र हार्डिया, देवतालाब से गिरीश गौतम।

    राजपुर से बाला बच्चन, ब्यावरा से गोवर्धन दांगी, दमोह से राहुल लोधी, राजनगर से विक्रम सिंह, कोलारस से वीरेंद्र रघुवंशी, जबलपुर उत्तर से विनय सक्सेना, जावरा से राजेंद्र पांडे, सुवासरा से हरदीप सिंह डंग और ग्वालियर उत्तर से प्रवीण पाठक शामिल हैं। इसी तरह 2013 के चुनाव को देखें तो सुरखी, बरघाट, जतारा, मनगवां, सरदारपुर, इछावर, विजयराघवगढ़, ग्वालियर पूर्व, जबलपुर पूर्व और मेहगांव सीट पर जीत-हार के मतों का अंतर एक प्रतिशत से भी कम था।

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