MP Election 2023: मध्य प्रदेश में लाड़ली व राजस्थान में चिरंजीवी की चर्चा, पर असल लड़ाई चेहरों की; दोनों राज्यों में भाजपा का चेहरा PM Modi
मध्य प्रदेश की राजस्थान से सटी सीमा पर दोनों राज्यों के चुनावी मुद्दों की चर्चा होती है। दोनों तरफ भाजपा का चेहरा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ही हैं। दोनों राज्यों में चल रहीं दो प्रमुख योजनाओं मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार की लाड़ली बहना और राजस्थान में गहलोत सरकार की चिरंजीवी की खूब चर्चा हो रही है। दोनों तरफ इन दोनों योजनाओं का खासा असर महसूस होता है।

प्रवीण मालवीय, भोपाल। मध्य प्रदेश की राजस्थान से सटी सीमा पर दोनों राज्यों के चुनावी मुद्दों की चर्चा होती है। दोनों तरफ भाजपा का चेहरा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ही हैं। अलबत्ता, मध्य प्रदेश में कांग्रेस से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर लोग बात करते हैं। दोनों राज्यों में चल रहीं दो प्रमुख योजनाओं मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार की लाड़ली बहना और राजस्थान में गहलोत सरकार की चिरंजीवी की खूब चर्चा हो रही है।
दोनों राज्यों में दिखता है योजनाओं का खासा असर
दोनों तरफ इन दोनों योजनाओं का खासा असर महसूस होता है, लेकिन असल लड़ाई चेहरों के बीच ही सिमटती दिखती है। मध्य प्रदेश में 17 नवंबर तो राजस्थान में 25 नवंबर को मतदान होगा। मध्य प्रदेश में जहां महिलाओं के खाते में 1250 रुपये पहुंचाने वाली लाड़ली बहना बड़ा चुनावी मुद्दा है, वहीं राजस्थान में 25 लाख रुपये तक के निशुल्क उपचार का लाभ देने वाली चिरंजीवी योजना चर्चा में है।
शिवराज सिंह और कमलनाथ के बीच टक्कर की चर्चा
मध्य प्रदेश के हिस्से में जहां आमजन शिवराज सिंह और कमलनाथ के बीच टक्कर की चर्चा करते हैं तो राजस्थान के हिस्से में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को किनारे किए जाने के बीच महंत बालकनाथ के राजनीति की सीढ़ियां चढ़ते जाने की कहानी चर्चा का विषय है। कोस-कोस पर पानी बदले, चार कोस पर वाणी। भोपाल से जैसे-जैसे हम गुना-राजगढ़ के इलाकों की ओर बढ़ते हैं, कुछ इसी तरह तस्वीर बदलती हुई दिखती है।
रहन-सहन में दिखता है असर
नरसिंहगढ़-ब्यावरा पार करते-करते रहन-सहन में अंतर दिखने लगता है। ब्यावरा के नजदीक एक चाय की दुकान पर रुके तो एक ग्रामीण कानों में सोने की लंबी बाली पहने हुए दिखाई दिया। वहीं, राजस्थान के लोक की पहचान माने जाने वाली पगड़ियां भी कहीं-कहीं सिर पर नजर आने लगी थीं। यहां से विकास प्रतीक एबी रोड गुजरता है, लेकिन इसके दोनों ओर बसे ग्रामीण क्षेत्र हों या कस्बे, विकास की तस्वीर प्रदेश के अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा कुछ फीकी नजर आती है।
फसलें हैं बाजार नहीं, रोजगार भी मुद्दा
इलाका बदलने के साथ जमीन की तासीर भी बदलती है। लोगों से बात करते हैं तो पता चलता है कि यहां से लेकर गुना तक धनिया फसल की बेल्ट है। 15 हजार रुपये क्विंटल तक धनिया के दाम कुछ वर्ष पहले तक मिलते थे, लेकिन अब खरीदार ही नहीं मिल रहे। कुछ जगहों पर सीताफल भी होता है, वह भी यहां-वहां बाजार में बेच देते हैं।
राजगढ़ में फसल बेचने के लिए नहीं है उपमंडी
राजगढ़ में सिंचाई सुविधा मिलने से उपज बढ़ी है, लेकिन फसल बेचने के लिए उपमंडी ही है। यहां खेती कभी ज्यादा लाभ देने वाली नहीं रही। युवाओं के लिए रोजगार के साधन नहीं होना बड़ा मुद्दा है। युवा रमेश कहते हैं, कहने को यूरिया बनाने की फैक्टि्रयां हैं, लेकिन उनमें क्षेत्र के लोगों को रोजगार नहीं मिला है। पीथमपुर में 12वीं पास को, आइटीआइ किए को नौकरी मिल जाती है, यहां ऐसी कौन सी फैक्ट्री, जहां हम लोगों को नौकरी नहीं दी जाती है।
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