MP Election 2023: कमलनाथ का फर्जी वीडियो प्रसारित करने समेत डीपफेक मामलों में केस दर्ज, पुलिस ने जांच की शुरू की
पुलिस ने कमल नाथ के इस वीडियो समेत डीपफेक के चार मामलों में एफआइआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। इसमें से एक मामला विधानसभा का चुनाव लड़ रहे कांग्रेस के एक प्रत्याशी का भी है जिनका अश्लील वीडियो इंटरनेट मीडिया में प्रसारित किया गया था। इसी तरह कनाड़िया थाने की पुलिस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का फर्जी वीडियो जारी करने पर एफआइआर दर्ज की है।
जेएनएन, इंदौर। तकनीक के इस दौर में डीपफेक लोगों के लिए काफी खतरनाक होता जा रहा है। इसक मामले भी लगातार सामने आ रहे हैं। पिछले दिनों मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ का एक फर्जी वीडियो सामने आया, जिसमें वह कथित तौर पर लाड़ली बहना योजना को बंद करने की बात कह रहे हैं।
इस संबंध में कांग्रेस नेता राकेश यादव ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस ने कमल नाथ के इस वीडियो समेत डीपफेक के चार मामलों में एफआइआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। इसमें से एक मामला विधानसभा का चुनाव लड़ रहे कांग्रेस के एक प्रत्याशी का भी है, जिनका अश्लील वीडियो इंटरनेट मीडिया में प्रसारित किया गया था। इसी तरह कनाड़िया थाने की पुलिस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का फर्जी वीडियो जारी करने पर एफआइआर दर्ज की है।
साइबर सेल की टीम ने डीपफेक मामलों की जांच शुरू की
एक अन्य मामला भाजपा प्रत्याशी कैलाश विजयवर्गीय के फर्जी वीडियो से भी जुड़ा है। क्राइम ब्रांच के पुलिस उपायुक्त निमिष अग्रवाल के अनुसार साइबर सेल की टीम ने डीपफेक मामलों की जांच शुरू की है, जिसमें कई अहम जानकारियां मिली हैं। इसके जरिये पुलिस वीडियो प्रसारित करने वाले तक जल्द पहुंच जाएगी। पुलिस साइबर विशेषज्ञों की मदद से जांच कर रही है। पुलिस अभी सिर्फ वीडियो को बहुप्रसारित करने वालों का डाटा जुटा सकी है। वीडियो कहां बनाया गया, सुबूत नहीं मिला है।
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साइबर अपराधी कोडर और डिकोडर की मदद का कर रहे इस्तेमाल
साइबर एसपी जितेंद्र सिंह के मुताबिक डीपफेक बनाने वाला गिरोह डार्कनेट पर सक्रिय है। डार्कनेट पर अभी तक हथियार, मादक पदार्थ और एटीएम-क्रेडिट कार्ड की जानकारी बिक रही थी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) के दौर में अब डार्कनेट पर भी फर्जी वीडियो बनाए जा रहे हैं।
एक मिनट के वीडियो के एवज में एक लाख रुपये तक लिए जा रहे हैं। यह काम दो स्तर पर होता है। इस टेक्नोलाजी में कोडर और डिकोडर की मदद ली जाती है। डिकोडर उस व्यक्ति के चहरे और हाव-भाव को परखता है, जिसका वीडियो बनाना है। इसके बाद फर्जी चेहरे पर इसे लगा दिया जाता है।