MP Election 2023: आदिवासी वोटबैंक पर BJP-कांग्रेस की नजर, PM Modi के बाद राहुल गांधी करेंगे दौरा
संयुक्त मध्य प्रदेश के दौर में 1990 में भाजपा की सरकार सिर्फ आदिवासी सीटों के भरोसे बनी थी। पिछले तीन महीने में भाजपा ने अनुसूचित जनजाति मोर्चे और उससे जुड़े नेताओं की कई बड़ी बैठकें बुलाई। इस वर्ग के पार्षद-पंच सरपंच से लेकर जनपद अध्यक्ष उपाध्यक्ष सदस्य नगर पालिका नगर पंचायत के पदाधिकारी सभी को चुनाव में सक्रिय किया गया।
धनंजय प्रताप सिंह, भोपाल। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी भाजपा और कांग्रेस आदिवासी वोटबैंक को साधने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही हैं। दोनों ही पार्टी मानकर चल रही हैं कि यह वर्ग साथ आया तो उनकी चुनावी नैया पार लग जाएगी।
यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आदिवासी क्षेत्र शहडोल अंचल में आए तो अब कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी इसी जिले के ब्यौहारी में आ रहे हैं। दरअसल, शहडोल को महाकोशल के आदिवासी अंचल का केंद्र माना जाता है। कुछ दिन पहले ही कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा मालवंचल में आदिवासियों के गढ़ मोहनखेड़ा में आकर जनसभा को संबोधित कर चुकी हैं।
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वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भाजपा की जनआशीर्वाद यात्रा का शुभारंभ आदिवासी बहुल जिले मंडला से किया था। ज़ाहिर है कि भाजपा-कांग्रेस दोनों ही मान कर चल रही हैं कि आदिवासी वोट जिस करवट बैठा, सरकार उसकी ही बनेगी। मप्र विधानसभा में कुल 230 में से आदिवासी वर्ग के लिए 47 आरक्षित सीटें हैं। मध्य प्रदेश में जब भी भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी, तब-तब आदिवासी वोटबैंक ने ही निर्णायक भूमिका अदा की है।
पिछले तीन महीने में भाजपा ने अनुसूचित जनजाति मोर्चे और उससे जुड़े नेताओं की कई बड़ी बैठकें बुलाई। इस वर्ग के पार्षद-पंच, सरपंच से लेकर जनपद अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सदस्य, नगर पालिका, नगर पंचायत के पदाधिकारी सभी को चुनाव में सक्रिय किया गया। इसका मकसद साफ था कि हर हाल में आदिवासी वोटबैंक पर पकड़ बनी रहे।
अजजा वर्ग बदलता रहा सरकार
संयुक्त मध्य प्रदेश के दौर में भी 1990 में भाजपा की सरकार सिर्फ आदिवासी सीटों के भरोसे बनी थी। 1993 और 1998 में जब यही वोटबैंक कांग्रेस में चला गया तो कांग्रेस की सरकार बनी। 2003 के चुनाव में अदिवासी भाजपा के साथ आए। तब प्रदेश में आदिवासी सीटों की संख्या 41 थी, जिनमें से भाजपा को 34 और कांग्रेस को सिर्फ दो सीट मिली थी।
परिसीमन के बाद 2008 के चुनाव में अजा सीट 47 हो गई लेिकन भाजपा के खाते में 29 सीट आई। इस चुनाव में कांग्रेस को 17 सीटें मिली थीं। 2013 के चुनाव में भाजपा को 31 और कांग्रेस को 15 सीटें मिलीं।
BJP के तीन बड़े फैसले
- भाजपा ने पहली बार आदिवासी को राष्ट्रपति के पद तक पहुंचाया, रानी कमलापति के नाम स्टेशन से लेकर कई जननायकों के नाम पर विश्वविद्यालय और अन्य संस्थाओं का नामकरण।
- पेसा के नए नियम बनाकर ग्रामसभा को अधिकार सम्पन्न बनाकर आदिवासियों को अपने निर्णय करने का अधिकार दिया।
- विशिष्ट रूप से पिछड़ी जनजाति की महिलाओं को 1000 रुपये मासिक पोषण भत्ता। बिजली बिल माफी, वनाधिकार पट्टे सहित कई योजनाएं लागू कीं
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