MP Polls 2023: मध्य प्रदेश भाजपा में 33 वर्ष बाद भी नहीं हो पाया पीढ़ी परिवर्तन, पार्टी ने पहली बार उतारे 47 प्रत्याशी
मध्य प्रदेश भाजपा में 33 साल के बाद भी पीढ़ी परिवर्तन नहीं हो पाया है। भाजपा पूरी कोशिश कर रही है कि मध्य प्रदेश में पार्टी का नया नेतृत्व तैयार हो सके मगर कामयाबी नहीं मिल रही। नगरीय निकाय चुनाव में भी भाजपा ने युवाओं को अवसर दिया लेकिन विधानसभा चुनाव में पीढ़ी परिवर्तन के सारे प्रयास धरे के धरे रह गए।

धनंजय प्रताप सिंह, भोपाल। मध्य प्रदेश भाजपा में 33 साल के बाद भी पीढ़ी परिवर्तन नहीं हो पाया है। भाजपा पूरी कोशिश कर रही है कि मध्य प्रदेश में पार्टी का नया नेतृत्व तैयार हो सके मगर कामयाबी नहीं मिल रही। नगरीय निकाय चुनाव में भी भाजपा ने युवाओं को अवसर दिया, लेकिन विधानसभा चुनाव में पीढ़ी परिवर्तन के सारे प्रयास धरे के धरे रह गए।
मौजूदा नेतृत्व चाहे पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल हों, सभी साठ की उम्र पार कर चुके हैं। पूर्व सीएम उमा भारती से लेकर कैबिनेट के ज्यादातर सदस्य पार्टी में 30 से 35 साल की उम्र में सक्रिय हुए थे। अब पार्टी का संकट यह है कि कोई भी युवा नेतृत्व प्रदेश में न तो पनप रहा है और न ही मौजूदा नेतृत्व उन्हें आगे बढ़ने दे रहा है। पार्टी ने नए नेतृत्व के लिए संगठन में पीढ़ी परिवर्तन तो कर लिया, लेकिन चुनावी राजनीति में वटवृक्षों के चलते पार्टी नई पीढ़ी को आगे नहीं ला पाई।
मध्य प्रदेश में 18 साल से भाजपा का शासन
भाजपा में पूर्व मुख्यमंत्री सुंदर लाल पटवा और कैलाश जोशी ने 1990 में भाजपा की मौजूदा पीढ़ी को आगे लाए थे तब से सत्ता-संगठन में यही नेता प्रमुख चेहरे बने हुए हैं। प्रदेश में पिछले साढ़े 18 सालों से भाजपा की सरकार रही है। भाजपा ने 2019-20 में संगठन चुनाव में मंडल के अध्यक्ष और पदाधिकारियों के लिए 35 वर्ष की उम्र तय कर पीढ़ी परिवर्तन कर लिया।
कुर्सी का मोह नहीं छोड़ पा रहे दिग्गज
भाजपा से नौवीं बार गोपाल भार्गव मैदान में उतरने को तैयार हैं। पार्टी ने उन्हें रहली से प्रत्याशी बनाया है। दमोह विधानसभा सीट से पूर्व वित्तमंत्री जयंत मलैया भी नौवीं बार चुनाव लड़ रहे हैं। 1984-90 से राजनीति में सक्रिय और आठवीं बार निर्वाचित होने के लिए भाजपा से करण सिंह वर्मा और विजय शाह और गौरीशंकर बिसेन इस बार भी मैदान में हैं। अबतक छह बार विधानसभा चुनाव जीतने वाले डा. नरोत्तम मिश्रा, जगदीश देवड़ा, रामपाल सिंह भी ऐसे ही चेहरे हैं, जो सातवीं बार विधानसभा पहुंचने के लिए चुनाव में उतरे हैं।
कांग्रेस से 59 प्रत्याशी पहली बार लड़ेंगे चुनाव
मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने 59 प्रत्याशी ऐसे उतारे हैं, जो पहली बार चुनाव लड़ेंगे। पहले संगठन में युवाओं को आगे बढ़ाया गया और अब टिकट में भी प्राथमिकता दी गई है।
भाजपा ने 47 प्रत्याशी पहली बार उतारे
कांग्रेस की तुलना में भाजपा ने नए चेहरों पर कम दांव लगाया है। विधानसभा चुनाव में 47 प्रत्याशी पहली बार उतारे हैं। 32 विधायकों का टिकट काटते हुए 94 को पुन: टिकट दिया है।
70 से 81 वर्ष के 20 प्रत्याशी
भाजपा ने 70 से 81 वर्ष की उम्र के 20 प्रत्याशियों को इस बार भी अवसर दिया है। यदि यह प्रत्याशी चुनाव जीत जाते हैं तो आने वाले चुनाव तक उनकी आयु 75 से 86 वर्ष के बीच हो जाएगी। पिछले चुनाव में भाजपा ने बाबूलाल गौर, सरताज सिंह, रामकृष्ण कुसमरिया जैसे कई बुजुर्ग नेताओं के टिकट उम्र के कारण काट दिए थे।
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