MP Elections: अशोकनगर विधायक के रोचक हैं किस्से, अलग-अलग जाति से तीन चुनाव में दर्ज की जीत
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीतियों पर अमल कर रहे हैं। ऐसे में हम आपको मध्य प्रदेश की एक दिलचस्प सीट की कहानी बताएंगे जहां के विधायक ने अलग-अलग जातियों से चुनाव लड़ा और जीता भी। यह कहानी जजपाल सिंह जज्जी की है।

ऑनलाइन डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीतियों पर अमल कर रहे हैं। ऐसे में हम आपको मध्य प्रदेश की एक दिलचस्प सीट की कहानी बताएंगे, जहां के विधायक ने अलग-अलग जातियों से चुनाव लड़ा और जीता भी। यह कहानी जजपाल सिंह जज्जी की है।
राजनीतिक सफर
- जजपाल सिंह जज्जी ने साल 1994 में अशोकनगर जनपद पंचायत का चुनाव सामान्य जाति वर्ग से लड़ा और जीत हासिल कर जनपद सदस्य बने।
- 1999 में जजपाल सिंह जज्जी ने ओबीसी की कीर जाति का प्रमाण पत्र बनवाया और चुनाव लड़ा, क्योंकि अशोकनगर नगरपालिका अध्यक्ष का पद ओबीसी के लिए आरक्षित थी। उन्होंने नगरपालिका का चुनाव भी जीता और अध्यक्ष भी बने थे।
- जजपाल सिंह जज्जी का जाति बदलने का सिलसिला यही पर समाप्त नहीं हुआ, बल्कि उन्होंने 2013 में कांग्रेस की टिकट पर अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित अशोकनगर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा। हालांकि, इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
- साल 2018 के विधानसभा चुनाव में जजपाल सिंह जज्जी ने कांग्रेस की टिकट पर एक बार फिर से किस्मत आजमाई और उन्हें सफलता भी हासिल हुई।
सनद रहे कि साल 2020 में कमलनाथ सरकार को गिराकर ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने समर्थकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे। उस वक्त भाजपा की सदस्यता लेने वालों में जजपाल सिंह जज्जी का नाम भी शामिल था। साल 2013 में एससी छानबीन समिति ने जजपाल सिंह जज्जी का एससी जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया था। हालांकि, 2019 में कमलनाथ सरकार में जाति प्रमाण पत्र को वैध माना गया था।
अशोकनगर सीट से जजपाल सिंह जज्जी भाजपा के प्रबल उम्मीदवार हैं और वह मौजूदा विधायक भी हैं, लेकिन पार्टी ने अशोकनगर सीट का टिकट अभी होल्ड पर रखा हुआ है।
जब कोर्ट ने दिया था केस दर्ज करने आदेश
अशोकनगर से भाजपा विधायक जजपाल सिंह जज्जी के जाति प्रमाण पत्र का मामला हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ के समक्ष पहुंचा। इस दौरान हाई कोर्ट ने पुलिस को फर्जी प्रमाण पत्र को लेकर जजपाल सिंह जज्जी के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दिया था।
इसके अतिरिक्त हाई कोर्ट ने जजपाल सिंह जज्जी के खिलाफ फैसला सुनाते हुए विधानसभा से उनकी सदस्यता रद्द करने के लिए कहा और जजपाल सिंह जज्जी पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।
साल 2018 के विधानसभा चुनाव में जजपाल सिंह जज्जी के हाथों करारी हार का सामना करने वाले भाजपा प्रत्याशी लड्डू राम कोरी ने तत्कालीन कांग्रेस विधायक के जाति प्रमाण पत्र को चुनौती दी थी। इस मामले को जजपाल सिंह जज्जी ने डबल बेंच में चुनौती दी, जहां से उन्हें राहत मिली।
16 अक्टूबर को होगी सुप्रीम सुनवाई
लड्डू राम कोरी ने जाति प्रमाण पत्र से जुड़े मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। ऐसे में शीर्ष अदालत में 16 अक्टूबर को सुनवाई होगी। इसके अलावा जजपाल सिंह जज्जी की मुश्किलें अभी और बढ़ सकती हैं, क्योंकि हाईमास्ट लाइट घोटाला को लेकर एमपी/एमएलए कोर्ट में 17 अक्टूबर को सुनवाई है।
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