मतदाताओं को नहीं चाहिए आपराधिक पृष्ठभूमि के प्रत्याशी, इन 10 प्राथमिकताएं पर करेंगे वोट
लोस चुनाव से पहले एसोसिएशन फॉर डेमोक्रैटिक रिफॉर्म्स ने अखिल भारतीय स्तर पर पौने तीन लाख मतदाताओं के बीच किया सर्वे।
By Nitin AroraEdited By: Updated: Tue, 26 Mar 2019 10:22 AM (IST)
नईदुनिया, भोपाल। आपराधिक पृष्ठभूमि वाले प्रत्याशियों को मतदाता न तो विधानसभा चुनाव में पसंद करते हैं और न ही लोकसभा चुनाव में। देश के 98 प्रतिशत मतदाताओं का मानना है कि ऐसे व्यक्तियों को संसद या विधानसभाओं में नहीं होना चाहिए। वहीं, 75 फीसद मतदाताओं के लिए विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री का चेहरा किसी प्रत्याशी को वोट करने का बड़ा कारण होता है। इसके बाद दल और सबसे अंत में प्रत्याशी का नंबर आता है।
यानी मतदाता जिस व्यक्ति को अपना नुमाइंदा बनाकर भेजने के लिए वोट करता है, वह उसकी प्राथमिकता में तीसरे क्रम पर है। लोकसभा चुनाव से पहले इस तथ्य को एसोसिएशन फॉर डेमोक्रैटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने अखिल भारतीय स्तर पर पौने तीन लाख मतदाताओं के बीच कराए सर्वे के नतीजे के आधार पर किया है।मतदाताओं को नकदी, शराब और उपहार करते हैं प्रभावित
रिपोर्ट में कहा गया है कि मतदाताओं को नकदी, शराब और उपहार प्रभावित करते हैं। 41.34 फीसद मतदाताओं की किसी प्रत्याशी विशेष के पक्ष में मतदान करने की बड़ी वजह नकदी, शराब और उपहार मिलना रहता है। 35.89 प्रतिशत मतदाता इस आधार पर आपराधिक पृष्ठभूमि वाले प्रत्याशी को वोट करने की इच्छा रखते हैं, क्योंकि उसने पहले अच्छा काम किया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मतदाताओं को नकदी, शराब और उपहार प्रभावित करते हैं। 41.34 फीसद मतदाताओं की किसी प्रत्याशी विशेष के पक्ष में मतदान करने की बड़ी वजह नकदी, शराब और उपहार मिलना रहता है। 35.89 प्रतिशत मतदाता इस आधार पर आपराधिक पृष्ठभूमि वाले प्रत्याशी को वोट करने की इच्छा रखते हैं, क्योंकि उसने पहले अच्छा काम किया है।
जबकि 36.67 प्रतिशत मतदाताओं को लगता है कि वे आपराधिक पृष्ठभूमि वाले प्रत्याशियों को इसलिए मत देते हैं, क्योंकि उन्हें आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी ही नहीं होती है।मतदाताओं की प्राथमिकता में रोजगार के बेहतर मौके
एडीआर ने दो लाख 76 हजार मतदाताओं के बीच अक्टूबर से दिसंबर 2018 के बीच किए सर्वे में यह भी पता लगाया है कि अखिल भारतीय स्तर पर मतदाताओं की प्राथमिकताएं क्या हैं और सरकार का प्रदर्शन कैसा रहा है। देश के मतदाताओं की प्राथमिकता में सबसे ऊपर रोजगार के बेहतर मौके, अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्र, पेयजल, सड़क और सार्वजनिक परिवहन है।
एडीआर ने दो लाख 76 हजार मतदाताओं के बीच अक्टूबर से दिसंबर 2018 के बीच किए सर्वे में यह भी पता लगाया है कि अखिल भारतीय स्तर पर मतदाताओं की प्राथमिकताएं क्या हैं और सरकार का प्रदर्शन कैसा रहा है। देश के मतदाताओं की प्राथमिकता में सबसे ऊपर रोजगार के बेहतर मौके, अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्र, पेयजल, सड़क और सार्वजनिक परिवहन है।
शीर्ष दस प्राथमिकताओं में कृषि से जुड़े मुद्दे भी हैं। मतदाताओं के मूल्यांकन के हिसाब से सार्वजनिक भूमि, झीलों पर अतिक्रमण, आतंकवाद, नौकरी के लिए प्रशिक्षण, शक्तिशाली सेना, भ्रष्टाचार का खात्मा, खाद्यान्न के कम मूल्य और खनन के मुद्दों पर केंद्र सरकार का प्रदर्शन सबसे खराब रहा है।रोजगार और स्वास्थ्य सुविधा पहली प्राथमिकता
एडीआर ने अखिल भारतीय मध्यावधि सर्वेक्षण 2017 में किया था। इसमें और 2018 के सर्वे के तुलनात्मक विश्लेषण से पता चलता है कि रोजगार और स्वास्थ्य सुविधा मतदाताओं की शीर्ष दो प्राथमिकताएं हैं। पिछले सर्वे की तुलना में केंद्र सरकार का प्रदर्शन नए सर्वे में बढ़ने की जगह घट गया है। 32 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में से 29 राज्यों के मतदाताओं ने उनकी प्राथमिकताओं पर सरकार के प्रदर्शन को औसत से कम रेटिंग दी है। मतदाताओं की दस प्रमुख प्राथमिकताओं में केंद्र सरकार का प्रदर्शन औसत से भी कम रहा है।मतदाताओं की दस प्रमुख प्राथमिकताएं
एडीआर ने अखिल भारतीय मध्यावधि सर्वेक्षण 2017 में किया था। इसमें और 2018 के सर्वे के तुलनात्मक विश्लेषण से पता चलता है कि रोजगार और स्वास्थ्य सुविधा मतदाताओं की शीर्ष दो प्राथमिकताएं हैं। पिछले सर्वे की तुलना में केंद्र सरकार का प्रदर्शन नए सर्वे में बढ़ने की जगह घट गया है। 32 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में से 29 राज्यों के मतदाताओं ने उनकी प्राथमिकताओं पर सरकार के प्रदर्शन को औसत से कम रेटिंग दी है। मतदाताओं की दस प्रमुख प्राथमिकताओं में केंद्र सरकार का प्रदर्शन औसत से भी कम रहा है।मतदाताओं की दस प्रमुख प्राथमिकताएं
- रोजगार के बेहतर अवसर
- बेहतर स्वास्थ्य सुविधा
- पेयजल
- अच्छी सड़क
- बेहतर सार्वजनिक परिवहन
- खेती के लिए पानी की उपलब्धता
- कृषि ऋण की उपलब्धता
- कृषि उत्पादकों के लिए अधिक मूल्य की प्राप्ति
- बीज और खाद के लिए सब्सिडी
- बेहतर कानून व्यवस्था