UP Lok Sabha Election Phase 4 Voting: यूपी में बीजेपी के सामने 2019 का प्रदर्शन दोहराने की चुनौती, 13 सीटों पर कल होगी वोटिंग
UP Lok Sabha Election Phase 4 Voting यूपी में 13 सीटों पर सोमवार को चौथे चरण का मतदान होगा। 2019 में बीजेपी ने इन सभी 13 सीटों पर जीत हासिल की थी। खास बात यह रही कि इन 13 सीटों में से नौ पर बीजेपी ने 32 फीसदी के वोट शेयर के बड़े अंतर से जीत हासिल की थी। जानिए इस बार कैसा है इन सीटों का समीकरण?
UP Lok Sabha Election 4 Phase Voting Updates चुनाव डेस्क, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 के चौथे चरण का मतदान सोमवार, 13 मई को होगा। इस चरण में यूपी की 13 सीटों पर वोटिंग होगी। भारतीय जनता पार्टी के सामने इस चरण में अपना पिछला प्रदर्शन दोहराने की चुनौती रहेगी। क्योंकि 2019 में बीजेपी ने इन सभी 13 सीटों पर जीत हासिल की थी। खास बात यह रही कि इन 13 सीटों में से नौ पर बीजेपी ने 32 फीसदी के वोट शेयर के बड़े अंतर से जीत हासिल की थी।
इस बार मुकाबला कड़ा है। कन्नौज सीट से समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव चुनावी मैदान में हैं। पिछले चुनाव में बीजेपी के सुब्रत पाठक ने अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल को हराया था। इस चरण में केंद्रीय राज्य मंत्री अजयकुमार मिश्रा 'टेनी' सहित कई दिग्गज चुनावी मैदान में हैं। कन्नौज, सीतापुर, इटावा और मिश्रिख ये ऐसी लोकसभा सीटें हैं, जहां बीजेपी जीत के लिए पूरा दमखम लगाना चाहेगी। क्योंकि 2019 के चुनाव में इन सीटों पर बीजेपी ने कम अंतर से जीत दर्ज की थी।
कन्नौज में सपा के लिए चुनौती बनी थी बसपा
कन्नौज लोकसभा सीट पर 2019 में डिंपल यादव चुनाव हार गई थीं। बीजेपी के सुब्रत पाठक ने उन्हें हराया था, लेकिन हार का अंतर सिर्फ 13 हजार था। इस बार यहां सियासी घमासान दिलचस्प है। इस सीट पर 2019 से बीजेपी ने अपनी पकड़ मजबूत की है। लेकिन इससे पहले यह सीट 21 वर्षों से सपा का अभेद्य दुर्ग मानी जाती थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला बीजेपी और सपा के बीच था। लेकिन इस बार बसपा प्रत्याशी इमरान बिन जफर ने सपा के लिए चुनौती खड़ी कर दी है।
सपा ने झोंकी पूरी ताकत, वंचित मतदाताओं को लुभाया
इस बार बीजेपी प्रत्याशी पाठक से कड़ी टक्कर की आशंका को देखते हुए सपा ने अब अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। शुक्रवार को राहुल गांधी और आप नेता संजय सिंह ने अखिलेश के समर्थन में रोड शो किया। यही नहीं, 2019 के चुनाव की हार से सबक लेते हुए डिंपल यादव ने अपने चुनाव अभियान में उन स्थानों पर ज्यादा फोकस किया, जिन क्षेत्रों में बड़ी हार मिली थी। यह क्षेत्र था रसूलाबाद, इस बार डिंपल ने इसी इलाके में रोड शो किया। यहां अनुसूचित जाति के वोटर्स को लुभाने के लिए अखिलेश यादव ने अपने रथ पर एक बालक को डॉक्टर बीआर अंबेडकर के भेष में बैठाया और इस वर्ग मतदाताओं के बीच अपना विश्वास जताने की कोशिश की। कन्नौज सीट की बात करें तो यहां से राम मनोहर लोहिया 1967 में चुनाव जीते थे। वहीं समाजवादी पार्टी सात बार यह सीट जीत चुकी है।
2019 में इन सीटों पर जीत का अंतर (प्रतिशत में)
- कन्नौज- 1.80 फीसदी
- इटावा- 6.26
- सीतापुर- 9.46
- मिश्रिख- 9.80
- फर्रुखाबाद- 22.09
इटावा सीट पर त्रिकोणीय संघर्ष
इटावा सीट पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबला है। यहां पीएम मोदी, अमित शाह से लेकर राजनाथ सिंह और योगी आदित्यनाथ तक कई स्टार प्रचारकों के आने से चुनावी माहौल और बदल गया। यहां समाजवादी पार्टी ने जितेंद्र दोहरे को टिकट दिया है। वहीं बीजेपी ने मौजूदा सांसद रामशंकर कठेरिया को उतारा है। सपा प्रत्याशी को यहां स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं का आसरा है। उधर, बसपा ने सारिका सिंह बघेल को टिकट दिया है। इससे यहां मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।
2019 के लोकसभा चुनाव में जिन 13 राज्यों में बीजेपी को 50 फीसदी वोट मिले, उनमें यूपी शामिल नहीं है।
(प्रतिशत में)
- दिल्ली- 56.86
- हरियाणा- 58.21
- राजस्थान- 59.07
- गुजरात- 63.08
- एमपी- 58.54
- चंडीगढ़- 51.12
- हिमाचल प्रदेश- 69.71
- उत्तराखंड- 61.66
- अरुणाचल प्रदेश- 58.90
- झारखंड- 51.61
- छत्तीसगढ़- 51.44
- कर्नाटक- 51.75
- गोवा- 51.94
मिश्रिख सीट में बीजेपी ने रावत को फिर दिया टिकट
मिश्रिख में मौजूदा सांसद अशोक रावत को एक बार फिर बीजेपी ने मैदान में उतारा है। वे 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर चुनाव जीते थे। 2019 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी। इस बार अशोक रावत का मुकाबला सपा प्रत्याशी राजवंशी और बसपा के बीआर अहिरवार से है। यहां का चुनाव केंद्र सरकार की योजनाओं और जातिगत समीकरणों के इर्द-गिर्द रहा है।
सीतापुर सीट का ऐसा है गणित
सीतापुर सीट पर बीजेपी से राजेश वर्मा, कांग्रेस से राकेश राठौड़ प्रत्याशी हैं। वहीं बहुजन समाज पार्टी ने महेंद्र सिंह यादव को टिकट दिया है। ये तीनों ही प्रत्याशी पिछले लोकसभा चुनाव यानी 2019 में भाजपा के साथ थे। बीजेपी प्रत्याशी वर्मा 1999 और 2004 में बसपा से चुनाव लड़े और जीते थे। वहीं 2019 में उन्होंने बीजेपी के टिकट पर चुनावी जीत दर्ज की थी।
फर्रुखाबाद सीट पर ब्राह्मण वोटर्स की भूमिका अहम
वहीं फर्रुखाबाद सीट की बात की जाए तो यहां ब्राह्मण मतदाताओं की भूमिका अहम है। यहां भाजपा के प्रत्याशी सांसद मुकेश राजपूत व सपा प्रत्याशी डॉ. नवल किशोर शाक्य के बीच सीधा मुकाबला है। बसपा उम्मीदवार क्रांति पांडेय इस मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में जुटे हैं। पांडे ब्राह्म्ण चेहरा हैं, पूर्व कांग्रेसी और कपड़ा व्यापारी हैं।
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