हरियाणा की इस सीट पर दो जातियां हावी पर चार का झुकाव तय करेगा परिणाम
करनाल लोकसभा सीट पर भाजपा प्रचार के मामले में आगे निकल गई है। दूसरे दलों ने अब तक प्रत्याशी घोषित नहीं किए। ये दल अभी जातीय समीकरण के बारे में सोच रहे हैं। पढ़ें ये खास रिपोर्ट।
करनाल [मनोज ठाकुर]। हरियाणा की करनाल लोकसभा सीट ऐसी है, जिस पर मेनका गांधी से लेकर अरुण जेटली तक की नजर थी। चर्चा थी कि दोनों यहां पर चुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि भाजपा ने यहां पर स्थानीय संजय भाटिया को प्रत्याशी घोषित कर दिया। भाजपा की ओर से करनाल में पंजाबी चेहरा उतारे जाने के बाद राजनीतिक दल जातीय समीकरण के तहत प्रत्याशी के चयन को लेकर मंथन से गुजर रहे हैं।
चूंकि करनाल परंपरागत ब्राह्मण सीट रही है तो कांग्रेस ब्राह्मण कार्ड खेलने की तैयारी में है। इसी तरह से जजपा और इनेलो भी अपने प्रत्याशी केनाम को फाइनल करने की प्रक्रिया से गुजर रही है। अलबत्ता करनाल के रण को जीतने के लिए वोटों के लिहाज से अन्य बिरादरियों के वोट बैंक को अपने पाले की ओर करने के लिए भी राजनीतिक दलों को खासी मशक्कत करनी होगी। इनमें मुख्य तौर पर महाजन, राजपूत, रोड और जट सिख मतदाता शामिल हैं। इन मतदाताओं का झुकाव चुनाव की दिशा तय करेगा। यदि ये वोट बैंक अलग अलग राजनीतिक दलों की ओर आगे बढ़ता है तो चुनाव को रोचक बना देगा। यदि किसी एक की ओर झुकता है तो उसके वारे न्यारे कर देगा।
क्यों महत्वपूर्ण है इन बिरादरियों का वोट बैंक
करनाल में सबसे ज्यादा वोट पंजाबी बिरादरी के हैं। इस बिरादरी के दो लाख से ज्यादा वोट हैं। दूसरे नंबर पर जाट मतदाता हैं। इस बिरादरी के करीब दो लाख मतदाता हैं। तीसरे नंबर ब्राह्मण मतदाता हैं और इनकी संख्या करीब डेढ़ लाख है। चौथे नंबर पर रोड बिरादरी के मतदाता हैं। इनकी संख्या एक लाख 20 हजार के करीब हैं। पांचवें नंबर पर जट सिख मतदाता है।
इनकी संख्या करीब 92 हजार है। छठे नंबर पर राजपूत मतदाता हैं और इनकी संख्या करीब 80 हजार है। सातवें नंबर महाजन मतदाता हैं और ये 75 हजार से ज्यादा हैं। जाहिर है कि जट सिख, रोड, राजपूत व महाजन वोट बैंक अहम हैं। यही वजह है कि भाजपा ने पहले नंबर के वोट बैंक के बिरादरी के प्रत्याशी को चुनाव में उतार दिया है।
कांग्रेस की निगाहें ब्राह्मण प्रत्याशी पर है। लेकिन जातीय समीकरणों को देखते हुए कांग्रेस भी इस समय जाट, राजपूत और रोड बिरादरी के प्रत्याशी के नाम पर भी विचार कर रही है। इस बहाने यह संदेश
देने की कवायद है कि वह मजबूत प्रत्याशी उतारना चाहती है। ताकि किसी भी एक प्रत्याशी के फाइनल होने के बाद उसे इन सभी वोट बैंक का झुकाव मिल सके। महाजन वोट बैंक के लिए भी राजनीतिक दल अपनी रणनीति तय कर रही है। अलबत्ता सभी राजनीतिक दलों के प्रत्याशी घोषित होने के बाद ही इन बिरादरियों का रुख भी कुछ कुछ स्पष्ट होने लगेगा।