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    Lok Sabha Election: कश्मीरी हिंदुओं की वापसी का वादा करने वाले चुनाव में सुध लेने भी नहीं पहुंचे, भाजपा ने कश्मीर में नहीं उतारे हैं प्रत्याशी

    Updated: Sun, 05 May 2024 06:30 AM (IST)

    घाटी से विस्थापित हुए कश्मीरी हिंदुओं के पुनर्वास व सुविधाओं की बातें तो सभी राजनीतिक दल करते हैं मगर सही मायने में इनकी किसी को चिंता नहीं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कश्मीर की लोकसभा सीटों के चुनाव प्रचार के अंतिम दौर में भी जम्मू की विस्थापित कालोनियों में रह रहे कश्मीरी ¨हदुओं से वोट मांगने तक कोई रुख नहीं कर रहा।

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    कश्मीरी हिंदुओं की वापसी का वादा करने वाले चुनाव में सुध लेने भी नहीं पहुंचे

     जागरण संवाददाता, जम्मू। घाटी से विस्थापित हुए कश्मीरी हिंदुओं के पुनर्वास व सुविधाओं की बातें तो सभी राजनीतिक दल करते हैं, मगर सही मायने में इनकी किसी को चिंता नहीं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कश्मीर की लोकसभा सीटों के चुनाव प्रचार के अंतिम दौर में भी जम्मू की विस्थापित कालोनियों में रह रहे कश्मीरी ¨हदुओं से वोट मांगने तक कोई रुख नहीं कर रहा।

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    अब तक केवल अपनी पार्टी के जफर इकबाल ही एक बार चुनाव प्रचार करने पहुंचे थे। करीब 1.13 लाख कश्मीरी हिंदुओं को तीन लोकसभा सीटों, श्रीनगर-गांदरबल, बारामुला-कुपवाड़ा और अनंतनाग-राजौरी के लिए जम्मू से मतदान करना है। इन विस्थापित कश्मीरी मतदाताओं में सिख भी शामिल हैं।

    श्रीनगर सीट पर मतदान 13 मई को होना है

    श्रीनगर सीट पर मतदान 13 मई को होना है। ऐसे में प्रचार के लिए करीब सप्ताहभर ही बचा है। लगभग सभी पार्टियों के प्रत्याशी कश्मीर में ही चुनाव प्रचार कर वोटरों को रिझाने में जुटे हैं। जम्मू-कश्मीर की बड़ी प्रादेशिक पार्टियां भी कश्मीरी ¨हदुओं के पास आने से बच रही हैं।

    उम्मीदवार जानते हैं कि जब वे जम्मू में विस्थापितों की कालोनियों में जाएंगे तो कश्मीरी हिंदु अपना दुख दर्द भी सुनाएंगे और घाटी में पुनर्वास का मुद्दा भी उठेगा। इसलिए प्रत्याशी व नेता कश्मीर में ही चुनाव प्रचार कर राजनीति चमका रहे हैं। पिछले दिनों सिर्फ अपनी पार्टी के उम्मीदवार जफर इकबाल मन्हास कश्मीरी ¨हदुओं से वोट मांगने पहुंचे और उन्होंने घाटी वापसी का पक्ष लिया।

    मगर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री व बारामुला से नेकां के उम्मीदवार उमर अब्दुल्ला, फारूक अब्दुल्ला और पीडीपी की अध्यक्ष व अनंतनाग-राजौरी सीट से उम्मीद महबूबा मुफ्ती अभी तक विस्थापितों की कालोनियों में नहीं आए हैं। इसको लेकर विस्थापित कश्मीरी ¨हदुओं में रोष बना हुआ है। बता दें कि कश्मीर की सीटों पर भाजपा ने लोकसभा चुनाव में अपना कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है।

    हमें नजरंदाज किया जा रहा

    जम्मू के मुट्ठी में विस्थापित कालोनी में रहने वाली ऊषा रानी ने कहा कि ऐसा लगता है कि कश्मीरी ¨हदुओं की घाटी वापसी का मुद्दा कई पार्टियों को रास नहीं आ रहा। वहीं जम्मू में रह रहे कश्मीरी हिंदू संजय गंजू ने बताया कि अगर इस तरह से प्रादेशिक पार्टियां हमारे मुद्दों को नजर अंदाज करती रहीं तो कश्मीरी ¨हदू नोटा पर भी वोट डाल सकते हैं। हमें थोड़ा सा अजीब इसलिए भी लग रहा है, क्योंकि भाजपा ने कश्मीर की तीनों लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी नहीं उतारे। अन्य कश्मीरी हिंदुओं ने भी ऐसी ही प्रतिक्रिया दी।

    जम्मू, ऊधमपुर व दिल्ली में बनाए जा रहे मतदान केंद्र

    1990 में जब घाटी में हालात खराब हुए तो बड़ी संख्या में कश्मीरी ¨हदुओं को कश्मीर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। अधिकांश कश्मीरी ¨हदू जम्मू व ऊधमपुर में पहुंचकर विस्थापित कालोनियों में रहने लगे। कुछ कश्मीरी ¨हदू परिवार दिल्ली की ओर बढ़ गए। हर बार चुनाव के समय ये कश्मीरी ¨हदू जम्मू, ऊधमपुर से कश्मीर में अपने-अपने लोकसभा या विधानसभा सीट के लिए वोट डालते हैं। इस बार भी प्रशासन 1.13 लाख कश्मीरी ¨हदू मतदाताओं के लिए जम्मू जिला में 29 व ऊधमपुर में दो मतदान केंद्र बनाने जा रहा है। वहीं दिल्ली में भी चार मतदान केंद्र स्थापित किए जाएंगे।

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