Loksabha Election 2019 : एक नहीं चार सांसदों को चुनती है कानपुर देहात की जनता
जिले के चार विधानसभा क्षेत्र अलग अलग संसदीय क्षेत्र में आते विकास में पिछड़ा जनपद जिला योजना बैठक में कभी चारों सांसद नहीं आए।
By AbhishekEdited By: Published: Mon, 25 Mar 2019 01:50 PM (IST)Updated: Mon, 25 Mar 2019 04:21 PM (IST)
कानपुर देहात [अजय दीक्षित]। कहने को कानपुर देहात एक जिला है, लेकिन पिछले एक दशक में इसके हाथ सिर्फ दूसरों के चेहरे ताकने के अलावा कुछ नहीं आया है। 25 लाख से अधिक की आबादी वाले जिले में चार विधानसभा क्षेत्र हैं लेकिन ये चारों विधानसभा क्षेत्र चार अलग-अलग लोकसभा क्षेत्रों में बंटे हुए हैं और वह भी अलग-अलग जिले से संबंधित।
विकास को रो रहे इस जिले में पिछले पांच वर्ष में कभी चारों सांसद जिला योजना की बैठक में एक साथ नहीं आए। इसके चलते विकास के मुद्दों पर चर्चा ही ठीक से नहीं हो सकी। हालांकि कानपुर देहात में रनियां और जैनपुर इंडस्ट्रियल एरिया काफी बड़ा है और यहां तमाम बड़े-बड़े उद्योग हैं फिर भी विकास को गति नहीं मिल पा रही है। आज भी तमाम क्षेत्रों में ङ्क्षसचाई, बिजली, सड़क की समस्याएं जस की तस हैं।
जिले का खाका
जिले में भोगनीपुर, सिकंदरा, रसूलाबाद, अकबरपुर, रनियां विधानसभाएं हैं। जिले की आबादी 25 लाख के करीब है। यह 3142.88 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला है। जिले में करीब 13 लाख मतदाता हैं।
लोकसभा क्षेत्र विधानसभा क्षेत्र
अकबरपुर अकबरपुर रनिया
इटावा सिकंदरा
कन्नौज रसूलाबाद
जालौन-गरौठा भोगनीपुर
कितने सक्रिय हैं जनप्रतिनिधि
पिछली बार 14 जून 2018 को जिला योजना की बैठक में तीन अरब 56 करोड़ रुपये के विकास कार्यों का प्रस्ताव हुआ था। इस बैठक में सिर्फ अकबरपुर लोकसभा क्षेत्र के भाजपा सांसद देवेंद्र सिंह भोले और इटावा के सांसद अशोक दोहरे ही शामिल हुए। पिछले पांच वर्ष की बात करें तो लगभग सभी में देवेंद्र सिंह भोले शामिल हुए। सांसद अशोक दोहरे और जालौन-गरौठा से सांसद भानु प्रताप वर्मा दो-तीन बैठकों में ही पहुंचे। कन्नौज से सपा सांसद डिंपल यादव जिला योजना की एक भी बैठक में शामिल नहीं हुईं।
जिले की प्रमुख समस्याएं
-जिले के कई क्षेत्र तो ऐसे हैं कि जहां के हालात बुंदेलखंड से भी बदतर हैं। भोगनीपुर विधानसभा का क्षेत्र जालौन गरौठा में शामिल है। विधानसभा क्षेत्र का अधिकांश भाग रजबहों के टेल पर पड़ता है। इसलिए क्षेत्र की कृषि भूमि को पानी की समस्या रहती है। तहसील क्षेत्र में नहर विभाग ने कानपुर-झांसी राजमार्ग से पूरब दिशा की पूरी कृषि भूमि कमांड आउट घोषित कर दी है, जिससे कृषि भूमि को रजबहों से पानी नहीं मिल पा रहा है। यमुना बीहड़ पट्टी के गांवों में आवागमन के लिए पक्की सड़कें नहीं हैं।
- रसूलाबाद ब्लॉक कन्नौज संसदीय क्षेत्र से जुड़ा है। रसूलाबाद विधानसभा क्षेत्र के दक्षिणी क्षेत्र के मिर्जापुर लकोठिया, मैजू समस्तपुर व पांडु नदी के तटवर्ती इलाकों में खारेपानी की समस्या है। क्षेत्र के पश्चिमी छोर के गांवों में शिक्षा का संकट है। लालगांव, अजनपुर, पूरनपुरवा, बिलहा, चंदनपुर, उसरी में उच्च स्तरीय शिक्षा के लिए बच्चे औरैया जाते हैं। सीमावर्ती गांवों में बिजली आपूर्ति का भी संकट है।
- इटावा लोकसभा में झींझक ब्लॉक के जुरिया, जलिहापुर और डेरापुर क्षेत्र के गांवों में सबसे बड़ी समस्या अन्ना पशु हैं जो किसानों का निवाला छीन रहे हैं। कई बार किसानों ने इस समस्या से निजात के लिए हो हल्ला भी किया परन्तु हल कुछ नहीं निकला।
- कन्नौज लोकसभा क्षेत्र में पडऩे वाले झींझक नगर पालिका के लोगों के लिए सबसे बड़ी समस्या झींझक रेलवे फाटक व नहर पुल पर लगने वाला जाम है। झींझक स्टेशन के पास बन रहा अंडरपास पूरा न होना भी दिक्कत दे रहा है। झींझक फाटक से रेलवे लाइन पार करने के बाद नहर पुल में जाम की समस्या सहनी पड़ती है।
- इटावा संसदीय क्षेत्र में सिकंदरा तहसील तथा राजपुर सिकंदरा अमराहट थानों के सभी गांव आते हैं। क्षेत्र में थाना सट्टी के जुड़े गांव जालौन गरौठा लोकसभा सीट में आते हैं। तहसील के यमुना तटवर्ती इलाके में ङ्क्षसचाई संकट है। अमराहट पंप कैनाल बजट के अभाव में अधूरा है। बेहमई गांव से जालौन जिले की सीमा को जोडऩे वाला यमुना नदी पुल खोजाफूल के पास निर्माणाधीन है। फिलहाल डेढ़ साल से काम रुका है। अभी तक पीपा पुल के सहारे आवागमन होता है, लेकिन भारी वाहन इससे नहीं गुजर पाते हैं। बाढ़ आने पर यह पुल भी बंद हो जाता है। इससे जालौन का संपर्क टूट जाता है। यहां यमुना पट्टी के गांवों में बिजली तो पहुंच गई है, लेकिन परिवहन की समस्या अब भी है।
विकास को रो रहे इस जिले में पिछले पांच वर्ष में कभी चारों सांसद जिला योजना की बैठक में एक साथ नहीं आए। इसके चलते विकास के मुद्दों पर चर्चा ही ठीक से नहीं हो सकी। हालांकि कानपुर देहात में रनियां और जैनपुर इंडस्ट्रियल एरिया काफी बड़ा है और यहां तमाम बड़े-बड़े उद्योग हैं फिर भी विकास को गति नहीं मिल पा रही है। आज भी तमाम क्षेत्रों में ङ्क्षसचाई, बिजली, सड़क की समस्याएं जस की तस हैं।
जिले का खाका
जिले में भोगनीपुर, सिकंदरा, रसूलाबाद, अकबरपुर, रनियां विधानसभाएं हैं। जिले की आबादी 25 लाख के करीब है। यह 3142.88 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला है। जिले में करीब 13 लाख मतदाता हैं।
लोकसभा क्षेत्र विधानसभा क्षेत्र
अकबरपुर अकबरपुर रनिया
इटावा सिकंदरा
कन्नौज रसूलाबाद
जालौन-गरौठा भोगनीपुर
कितने सक्रिय हैं जनप्रतिनिधि
पिछली बार 14 जून 2018 को जिला योजना की बैठक में तीन अरब 56 करोड़ रुपये के विकास कार्यों का प्रस्ताव हुआ था। इस बैठक में सिर्फ अकबरपुर लोकसभा क्षेत्र के भाजपा सांसद देवेंद्र सिंह भोले और इटावा के सांसद अशोक दोहरे ही शामिल हुए। पिछले पांच वर्ष की बात करें तो लगभग सभी में देवेंद्र सिंह भोले शामिल हुए। सांसद अशोक दोहरे और जालौन-गरौठा से सांसद भानु प्रताप वर्मा दो-तीन बैठकों में ही पहुंचे। कन्नौज से सपा सांसद डिंपल यादव जिला योजना की एक भी बैठक में शामिल नहीं हुईं।
जिले की प्रमुख समस्याएं
-जिले के कई क्षेत्र तो ऐसे हैं कि जहां के हालात बुंदेलखंड से भी बदतर हैं। भोगनीपुर विधानसभा का क्षेत्र जालौन गरौठा में शामिल है। विधानसभा क्षेत्र का अधिकांश भाग रजबहों के टेल पर पड़ता है। इसलिए क्षेत्र की कृषि भूमि को पानी की समस्या रहती है। तहसील क्षेत्र में नहर विभाग ने कानपुर-झांसी राजमार्ग से पूरब दिशा की पूरी कृषि भूमि कमांड आउट घोषित कर दी है, जिससे कृषि भूमि को रजबहों से पानी नहीं मिल पा रहा है। यमुना बीहड़ पट्टी के गांवों में आवागमन के लिए पक्की सड़कें नहीं हैं।
- रसूलाबाद ब्लॉक कन्नौज संसदीय क्षेत्र से जुड़ा है। रसूलाबाद विधानसभा क्षेत्र के दक्षिणी क्षेत्र के मिर्जापुर लकोठिया, मैजू समस्तपुर व पांडु नदी के तटवर्ती इलाकों में खारेपानी की समस्या है। क्षेत्र के पश्चिमी छोर के गांवों में शिक्षा का संकट है। लालगांव, अजनपुर, पूरनपुरवा, बिलहा, चंदनपुर, उसरी में उच्च स्तरीय शिक्षा के लिए बच्चे औरैया जाते हैं। सीमावर्ती गांवों में बिजली आपूर्ति का भी संकट है।
- इटावा लोकसभा में झींझक ब्लॉक के जुरिया, जलिहापुर और डेरापुर क्षेत्र के गांवों में सबसे बड़ी समस्या अन्ना पशु हैं जो किसानों का निवाला छीन रहे हैं। कई बार किसानों ने इस समस्या से निजात के लिए हो हल्ला भी किया परन्तु हल कुछ नहीं निकला।
- कन्नौज लोकसभा क्षेत्र में पडऩे वाले झींझक नगर पालिका के लोगों के लिए सबसे बड़ी समस्या झींझक रेलवे फाटक व नहर पुल पर लगने वाला जाम है। झींझक स्टेशन के पास बन रहा अंडरपास पूरा न होना भी दिक्कत दे रहा है। झींझक फाटक से रेलवे लाइन पार करने के बाद नहर पुल में जाम की समस्या सहनी पड़ती है।
- इटावा संसदीय क्षेत्र में सिकंदरा तहसील तथा राजपुर सिकंदरा अमराहट थानों के सभी गांव आते हैं। क्षेत्र में थाना सट्टी के जुड़े गांव जालौन गरौठा लोकसभा सीट में आते हैं। तहसील के यमुना तटवर्ती इलाके में ङ्क्षसचाई संकट है। अमराहट पंप कैनाल बजट के अभाव में अधूरा है। बेहमई गांव से जालौन जिले की सीमा को जोडऩे वाला यमुना नदी पुल खोजाफूल के पास निर्माणाधीन है। फिलहाल डेढ़ साल से काम रुका है। अभी तक पीपा पुल के सहारे आवागमन होता है, लेकिन भारी वाहन इससे नहीं गुजर पाते हैं। बाढ़ आने पर यह पुल भी बंद हो जाता है। इससे जालौन का संपर्क टूट जाता है। यहां यमुना पट्टी के गांवों में बिजली तो पहुंच गई है, लेकिन परिवहन की समस्या अब भी है।
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