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    कानाफूसी: हैदराबाद में खुद फंसे ओवैसी! तेलंगाना छोड़ते नहीं बन रहा; यूपी में अभी तक एक भी प्रत्‍याशी का नाम नहीं

    Updated: Thu, 11 Apr 2024 12:29 AM (IST)

    Lok Sabha Election 2024 इस बार लोकसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की उत्तर प्रदेश में सक्रियता नहीं दिख रही है। दो चरणों में कोई प्रत्याशी भी घोषित नहीं किया। अब कानाफूसी यह है कि औवैसी साहब हैदराबाद में ही फंसे हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने 95 प्रत्याशी उतारे थे। मगर नतीजा खाली हाथ रहा।

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    Lok Sabha Election 2024: खुद ही फंस गए ओवैसी साहब। (फाइल फोटो)

    चुनाव डेस्क, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में लंबे समय से सियासी जमीन तलाश रही असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने लोकसभा चुनाव की घोषणा से पूर्व 20 सीटों पर ताल ठोंकने का दावा किया था। पहले दो चरणों में इनका कोई प्रत्याशी सामने नहीं आया। आगे भी कोई आएगा या नहीं, इसे लेकर संशय बना हुआ है। यूपी में पहले चरण के चुनाव में अब महज 10 ही दिन बचे हैं, इनकी बस छूटी ही बताई जा रही है।

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    हैदराबाद में ही फंस गए ओवैसी

    कानाफूसी जोरों पर है कि ओवैसी साहब इस बार हैदराबाद में खुद ही फंस गए हैं। चार दशक से हैदराबाद की सीट पर इन्हीं का परिवार काबिज रहा है। अब नई संभावनाएं तलाशने में कहीं पुरानी विरासत हाथ से फिसल न जाए, इसलिए तेलंगाना छोड़ते नहीं बन रहा है। वैसे भी अब तक इन्हें यूपी की आबोहवा रास नहीं आई है। विधानसभा में 95 उम्मीदवार उतारे थे, पसीना भी खूब बहाया था, लेकिन हाथ कुछ न लगा।

    मुझे सेवा का रोग लगा

    वैसे तो ऐसे कई नाम हैं जो सरकारी सेवा से मुक्त होते ही 'समाजसेवा' के लिए राजनीति में आए, इसलिए पूर्व डीजीपी विजय कुमार का भगवा दल में आना कोई अचरज की बात नहीं। उनके नाम में भी विजय है, जिसकी इस चुनावी माहौल में हर कोई 'कामना' कर रहा है और उसे हासिल करने के लिए दिन-रात प्रार्थना भी। साहब अपने नाम के साथ ही अपनी अनूठी सोच के लिए भी जाने-पहचाने जाते हैं।

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    अब चंद्रमा की गति से अपराधियों को दबोचने का उनका फार्मूला भी भला कहां किसी से छिपा रहा है। रूल हाथ में लेकर यूपी पुलिस को ऐसा सबक पढ़ाया था कि थानेदार भी मोबाइल कम आसमान ज्यादा देखने लगे थे। आखिर 'नक्षत्रों' पर नजर रखने वाले साहब ने अब कुछ खास जरूर देखा है। तभी तो सपत्नी भगवा फटका ओढ़ने में वक्त नहीं गंवाया। भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने के बाद बस मूलमंत्र बता रहे हैं कि ....मैं तो समाजसेवा करने आया हूं। खैर, यह तो सभी कहते हैं।

    ये जो पब्लिक है, सब जानती है...

    पश्चिम उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रैली में उसके सहयोगी रालोद मुखिया जयन्त चौधरी नहीं पहुंचे। उनके न आने पर तरह-तरह की चर्चाएं होने लगीं। रालोद ने कहा कि जयन्त की गाड़ी खराब हो गई है। केवल इस कारण से वे नहीं आए, इसे मानने को जनता तैयार नहीं है। उनकी गाड़ी खराब हो जाए और उन्हें कोई दूसरी गाड़ी न मिले यह संभव नहीं है।

    कानाफूसी तो यह हो रही है कि रालोद व भाजपा का अभी नया-नया रिश्ता हुआ है। रालोद अभी भाजपा के तौर-तरीकों से वाकिफ नहीं है। प्रधानमंत्री की रैली में जयन्त के शामिल होने की खबर खुद रालोद ने ही जोर-शोर से प्रचारित कर दी थी, जबकि मंच पर पीएम के साथ रहने वालों में उनका नाम ही नहीं था। जैसे ही छोटे चौधरी को यह जानकारी मिली, उन्होंने रैली में न जाना ही उचित समझा। रैली में अगर पहुंचते और मंच पर न जा पाते तो स्थिति और खराब हो जाती।

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