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...जब मुलायम बोले- बेटा छोड़ जा रहा हूं, सांसद बना देना! क्‍या है उस दिन की कहानी, जिसके बाद बदल गई अखिलेश की जिंदगी

Lok Sabha Election 2024 चुनावी किस्‍सों की सीरीज में आज हम आपके लिए लाए हैं वो किस्‍सा जिसमें मौजूदा वक्‍त में सपा के मुखिया और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव की राजनीति में कैसे अचानक एंट्री हो गई। पहलवानी के दांव में माहिर मुलायम सिंह यादवने जनसभा में अचानक ऐसा क्‍या बोल दिया कि बसपा की जीतता प्रत्‍याशी हार गया और अखिलेश यादव जीत गए...

By Jagran News Edited By: Deepti Mishra Published: Wed, 17 Apr 2024 07:10 AM (IST)Updated: Wed, 17 Apr 2024 07:10 AM (IST)
...जब मुलायम बोले- बेटा छोड़ जा रहा हूं, सांसद बना देना! क्‍या है उस दिन की कहानी, जिसके बाद बदल गई अखिलेश की जिंदगी
Lok Sabha Chunav 2024: अखिलेश यादव की राजनीति में एंट्री का दिलचस्‍प किस्‍सा।

 चुनाव डेस्‍क, नई दिल्‍ली। पहलवानी के दांव में माहिर मुलायम सिंह यादव राजनीति भी पूरी रणनीति से करते थे। ऐसे ही उन्‍होंने एक जनसभा में अचानक बेटे अखिलेश यादव की राजनीति में इंट्री कराकर हर किसी को चौंका दिया था। कन्नौज सीट मुलायम के त्याग-पत्र देने से खाली हुई थी। पढ़िए क्‍या है पूरा किस्‍सा

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सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में कन्नौज और संभल सीट से चुनाव लड़ा था। दोनों सीटों पर उन्होंने जीत हासिल की। बाद में उन्होंने कन्नौज सीट से त्याग-पत्र दे दिया। इससे 2000 में यहां उपचुनाव की घोषणा हुई। प्रचार अभियान जोर पकड़ चुका था और शहर के बोर्डिंग मैदान में मुलायम सिंह की जनसभा चल रही थी।

मंच पर अमर सिंह और आजम खान के साथ एक युवा चेहरा भी था, जिसे कम ही लोग जानते थे। वह युवा कोई और नहीं, मुलायम सिंह के सुपुत्र अखिलेश यादव थे। इस बीच अमर सिंह ने मंच पर ही मुलायम सिंह के कान में कुछ कहा।

वरिष्ठ सपा नेता अवधेश कुशवाहा बताते हैं कि अमरसिंह ने मुलायम से बेटे अखिलेश को सियासत में उतारने की बात कही। पहले तो मुलायम सिंह राजी नहीं हुए, लेकिन आजम खां ने भी दबाव बनाया तो वह कुछ देर सोचते रहे। फिर कुर्सी से उठे और अखिलेश का हाथ पकड़कर जनता से बोले- बेटा छोड़कर जा रहा हूं, सांसद बना देना!

जनसभा में शोर बढ़ गया। पिता की जगह बेटे के चुनाव लड़ने की घोषणा से राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई। जनसभा के बाद जब अखिलेश पिता के साथ मंच से उतरने लगे, तो उन्होंने कहा कि अब तुम्हें यहीं रहकर चुनाव प्रचार करना है। उपचुनाव में बसपा के अकबर अहमद डंपी से टक्कर हुई। अखिलेश ने जीत दर्ज की। इसके बाद वर्ष 2004, 2009 में जीत दर्ज करते हुए 2012 में उप्र के मुख्यमंत्री पद तक पहुंचे।


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