Mera Power Vote: फसल की अच्छी कीमत और रूरल इकोनॉमी की जो करेगा बात, 60% अन्नदाता वोटर होंगे उसके साथ
ग्रामीण समाज का मूल आधार किसान और कृषि से जुड़ी अर्थव्यवस्था है। भारत की जीडीपी में कृषि का हिस्सा लगभग 18 प्रतिशत है। वहीं भारत की लगभग 45.5 प्रतिशत आबादी अभी तक कृषि क्षेत्र पर निर्भर है। चुनावों में हर पार्टी के घोषणापत्र में किसान सर्वकालिक एक महत्वपूर्ण मु्द्दा रहा है। इस साल लोकसभा चुनाव में भी किसानों के मुद्दे काफी अहम होंगे।
रामचेत चौधरी, नई दिल्ली। ग्रामीण समाज का मूल आधार किसान और कृषि से जुड़ी अर्थव्यवस्था है। भारत की जीडीपी में कृषि का हिस्सा लगभग 18 प्रतिशत है। वहीं, भारत की लगभग 45.5 प्रतिशत आबादी अभी तक कृषि क्षेत्र पर निर्भर है। चुनावों में हर पार्टी के घोषणापत्र में किसान सर्वकालिक एक महत्वपूर्ण मु्द्दा रहा है।
चाहे फसल बीमा योजना हो या प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, किसानों के लिए कई घोषणाएं हुई हैं। देश में पचास फीसद सीटों पर किसानों का बड़ा प्रभाव रहता है। शहरों में भी बड़ी आबादी ऐसी होती है जो अप्रत्यक्ष रूप से खेती से जुड़ी होती है।
ऐसे में देश की कई सीटों पर किसान और उनसे जुड़े मुद्दे काफी महत्वपूर्ण हो जाते हैं। भारत में किसानों को जागरूक मतदाता के तौर पर देखा जा जाता है। इनके मत से सत्ता की राह आसान हो जाती है। यही कारण है कि ग्रामीण भारत के मत के लिए सभी राजनीतिक दल अलग अलग तरह से रणनीति तैयार करते हैं और अपने घोषणापत्र में इन मुद्दों को जगह देते हैं।
हम कह सकते हैं कि भारत संरचनात्मक दृष्टि से गांवों का देश है। भारत को कृषि प्रधान देश माना जाता है। किसान ही हैं जिन्होंने कोविड जैसी वैश्विक महामारी के दौरान भी खाद्यान्न जरूरतों को पूरा करने के साथ देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान की। किसानों के मुद्दों में खेती-बाड़ी सबसे अहम है।
किसानों को अपने वोट की कीमत समझनी होगी। उन्हें रूरल इकोनॉमी को मजबूत करने वाली, ग्रामीण क्षेत्रों और खेती के लिहाज से बेहतर संसाधन और इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना, लोन की सुविधाएं, आपदा की स्थिति में होने वाली हानि से निपटने का प्लान, बुनियादी स्वास्थ्य और शिक्षा की सुविधाओं के साथ उनके परिवार का बेहतर जीवन मुहैया कराना अनिवार्य है।
निश्चित तौर पर किसानों का वोट सभी राजनीतिक दलों के लिए काफी महत्व रखता है। यही कारण है कि केंद्र सरकारों ने समय समय पर किसानों के लिए अनेक योजनाओं का ऐलान किया है। लेकिन इन योजनाओं का फायदा किसानों को पूरी तरह से अब तक नहीं मिल पा रहा है। वहीं दूसरी तरफ ग्रामीण युवाओं को स्थायी और उत्तम रोजगार के अवसरों की अपेक्षा है।
इसके लिए मुद्रा योजना, कौशल विकास योजना, और महात्मा गांधी नरेगा जैसी योजनाओं के माध्यम से ग्रामीण युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं। ग्रामीण भारत की आवाज गरीबी उन्मूलन और असमानता के खिलाफ है। केंद्रीय सरकार द्वारा आयुष्मान भारत योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, और नरेगा जैसी योजनाओं के माध्यम से गरीबी उन्मूलन की दिशा में भी प्रयास किए जा रहे हैं।
ग्रामीण भारत को उचित शिक्षा और प्रशिक्षण की अपेक्षा है, जिससे वह आधुनिक और विकसित हो सके। इसके लिए केंद्रीय सरकार ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना, सर्वशिक्षा अभियान, और पढ़ाई लिखाई योजना शुरू की है। ग्रामीण भारत को सुविधाजनक और सस्ती स्वास्थ्य सेवाओं की अपेक्षा है।
केंद्रीय सरकार ने आयुष्मान भारत योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं के प्रदाताओं को समर्थन प्रदान किया है। जिस दिन किसान धर्म, जाति और राजनीतिक विचारधारा से ऊपर उठकर किसान की हैसियत से वोट देंगे उसी दिन देश का राजनैतिक परिदृश्य बदल जाएगा।
जिस दिन किसान महज किसान की हैसियत से वोटिंग करेगा आर्थिक नीतियां भी बदल जाएंगी। तब किसान निणार्यक भूमिका में होगा, वह आर्थिक वृद्धि और विकास का केंद्र बन जाएगा। तब तक, उन्हें अंतहीन कृषि संकट में ही जीवन काटना होगा। किसान को पता होना चाहिए कि जिस अस्तित्व की लड़ाई वे हर रोज लड़ रहे हैं उसके मूल में वे खुद ही हैं।
(डॉक्टर रामचेत चौधरी, पद्मश्री सम्मानित कृषि वैज्ञानिक हैं)
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