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    Lok sabhha Election 2024: अनंतनाग-राजौरी सीट पर पीडीपी लड़ रही अस्तित्व की लड़ाई, नेशनल कॉन्फ्रेंस की प्रतिष्ठा भी दांव पर, जानिए समीकरण

    Updated: Fri, 24 May 2024 11:17 AM (IST)

    Lok sabhha Election 2024 जम्मू कश्मीर का सियासी रण रोचक है। इस चुनाव में​ अब के चरण में रिकॉर्ड मतदान हुआ है। अब अनंतनाग-राजौरी संसदीय क्षेत्र में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने मियां अल्ताफ अहमद लारवी को अपना उम्मीदवार बनाया है। PDP की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती अपने राजनीतिक अस्तित्व को बनाए रखने के लिए खुद मैदान में हैं। जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी खुद को साबित करने के लिए लड़ रही है।

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    Lok sabhha Election 2024: जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला।

     नवीन नवाज, जागरण। दो वर्ष पहले अस्तित्व में आया जम्मू कश्मीर का अनंतनाग-राजौरी संसदीय निर्वाचन क्षेत्र प्रदेश की अन्य चार संसदीय सीटों की तुलना में कहीं ज्यादा रोचक है। इस सीट पर फारुक अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस अपने वर्चस्व को बनाए रखने के लिए लड़ रही है, इसलिए इस पार्टी ने मियां अल्ताफ अहमद लारवी को अपना उम्मीदवार बनाया है। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती अपनी पार्टी की प्रासंगिकता और अपने राजनीतिक अस्तित्व को बनाए रखने के लिए खुद मैदान में हैं।

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    जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी खुद को साबित करने के लिए लड़ रही है। भाजपा मैदान में नहीं है, लेकिन राजनीतिक शतरंज की बिसात पर वह भी अपने मोहरे चल रही है। डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी बनाने वाले गुलाम नबी आजाद की आवाज भी चुनाव के शोरोगुल में दबी-दबी सुनाई दे रही है। कुल 20 प्रत्याशियों में दो महिलाओं के अलावा एक उम्मीदवार बलदेव सिंह मोहाली, चंडीगढ़ के रहने वाले हैं। कुल मिलाकर मुकाबला त्रिकोणीय है और नेकां, पीडीपी व अपनी पार्टी के बीच ही है।

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    इसलिए नेकां ने मियां अल्ताफ को उतारा

    नेकां के प्रत्याशी मियां अल्ताफ हुसैन लारवी कश्मीर में कंगन के रहने वाले हैं। उन्होंने कभी चुनाव नहीं हारा है। उनके पिता व दादा भी विधायक रह चुके हैं और उन्होंने भी कभी चुनाव नहीं हारा। मियां अल्ताफ वर्ष 1987, 1996, 2002, 2008 और 2014 में कंगन से लगातार विधायक निर्वाचित हुए हैं। भाजपा ने जिस तरह से गुज्जर-बक्करवाल और पहाड़ी समुदाय को आरक्षण प्रदान कर अपने साथ जोड़ा है, उसमें नेकां के पास मियां अल्ताफ से बेहतर कोई दूसरा उम्मीदवार नहीं था। मियां अल्ताफ का संबंध गुज्जर समुदाय से है। वह गुज्जर-बक्करवाल और पहाड़ी समुदाय के एक बड़े वर्ग के धर्मगुरु भी हैं।

    नेकां-पीडीपी में वोटों के बंटवारे का जफर को मिल सकता है लाभ

    अपनी पार्टी के उम्मीदवार जफर इकबाल मनहास शोपियां के रहने वाले हैं और पहाड़ी समुदाय से हैं। अपनी पार्टी को भाजपा का समर्थन है, जो जफर इकबाल को राजौरी-पुंछ में किसी हद तक लाभ पहुंचाएगा। अपनी पार्टी और भाजपा को उम्मीद है कि नेकां-पीडीपी के बीच वोटों के बंटवारे का लाभ मनहास को मिलेगा। डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के उम्मीदवार मोहम्मद सलीम पर्रे की स्थिति सिर्फ कांग्रेस, नेकां और पीडीपी के वोट काटने तक सीमित है।

    संसदीय क्षेत्र के मतदाता

    • कुल मतदाता 18.30 लाख
    • इनमें 50 फीसदी कश्मीरी
    • 21.5 फीसदी पहाड़ी जनजातीय समुदाय से
    • 28.5 प्रतिशत गुज्जर बक्कवाल

    मरणासन्न पीडीपी को ऑक्सीजन दिलाने की कोशिश

    पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद से विशेषकर पांच अगस्त 2019 के उपरांत अपने राजनीतिक अस्तित्व और पीडीपी की साख बचाने को संघर्षरत महबूबा मुफ्ती का जनाधार भी इसी क्षेत्र में सबसे ज्यादा माना जाता है। वह कश्मीरी हैं, लेकिन उन्हें राजौरी-पुंछ में पहाड़ी समुदाय का वोट मिल सकता है। वर्ष 1998 में उनके पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद यहां से चुनाव जीत चुके हैं। वर्ष 2004 और 2014 में महबूबा अनंतनाग से ही सांसद बन लोकसभा में पहुंची थीं।

    पिछले लोकसभा चुनाव में यह सीट नेकां के हसनैन मसूदी ने जीती थी। अनंतनाग सीट पर अगर नेकां जीतती है तो जम्मू में प्रभाव और कश्मीर में उसके वर्चस्व को बनाए रखेगी। महबूबा मुफ्ती अगर जीतेंगी तो न सिर्फ मरनासन्न पीडीपी को ऑक्सीजनन मिलेगी, बल्कि उन्हें जवाब देंगी जो पीडीपी को खत्म मानते हैं।

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