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ममता बनर्जी के कई सांसद भाजपा के संपर्क में, लोकसभा चुनाव से पहले बदल सकते हैं पाला

TMC MP join the bjp before lok sabha elections, इसके अलावा जानकारी मिल रही है कि 2 अन्य सांसद भी टीएमसी से किनारा कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण वाले हैं।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Thu, 10 Jan 2019 08:06 AM (IST)Updated: Thu, 10 Jan 2019 08:06 AM (IST)
ममता बनर्जी के कई सांसद भाजपा के संपर्क में, लोकसभा चुनाव से पहले बदल सकते हैं पाला
ममता बनर्जी के कई सांसद भाजपा के संपर्क में, लोकसभा चुनाव से पहले बदल सकते हैं पाला

नई दिल्ली/ कोलकाता (जेएनएन)। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लोकसभा चुनाव से पहले जोर का झटका लगा है। टीएमसी सांसद सौमित्र खान ने तृणमूल कांग्रेस का साथ छोड़ भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया। बोलपुर से सांसद अनुपम हाजरा भी जल्द भाजपा का दामन थाम सकते हैं। इसके अलावा जानकारी मिल रही है कि 2 अन्य सांसद भी टीएमसी से किनारा कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण वाले हैं।

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पश्चिम बंगाल में बापुरा जिले के विष्णुपुर संसदीय क्षेत्र से सांसद सौमित्र खान एक राजनीतिक परिवार से हैं। उनके खेमा बदलने से पश्चिम बंगाल के ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा को मजबूती मिलेगी। ममता बनर्जी के लिए यह बात और झटका देने वाली हो सकती है कि उनकी पार्टी के कम से कम पांच वर्तमान सांसद उनका साथ छोड़ भाजपा में शामिल हो सकते हैं। इसके लिए उचित मौके की तलाश हो रही है।

पश्चिम बंगाल के एक नेता के मुताबिक मुकुल राय को राज्य में पार्टी के विस्तार की अहम जिम्मेदारी दी गई है। इसी के तहत मुकुल राय ने तृणमूल कांग्रेस के अपने पुराने सहयोगियों को टटोलना शुरु कर दिया था। सौमित्र खान के लगभग साल भर पहले ही भाजपा में आने की बात तय हो गई थी। लेकिन राज्य में राजनीतिक हिंसा का माहौल देखते हुए उन्हें रुकने के लिए कहा गया था। आने वाले समय में तृणमूल कांग्रेस के कई और नेता पाला बदल कर सकते हैं।

भाजपा सत्ता में वापसी के लिए इस बार पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर को खास निशाना बना रही है। पार्टी नेतृत्व का मानना है कि उत्तर भारत में वह पहले ही लगभग अधिकतम की सीमा के करीब पहुंच गई है। उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों में अब उसके आगे बढ़ने की बजाय बदलते समीकरणों में पीछे होने की आशंका ज्यादा है। यही कारण है कि भाजपा अब अपने लिए उन क्षेत्रों में संभावनाएं तलाश रही है जहां उसने 2014 में सफलता नहीं पाई थी।

तृणमूल ने किया दो सांसदों से किनारा

लोकसभा चुनाव से पहले पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने अपने दो सांसदों से किनारा कर दिया है। बुधवार को पहले विष्णुपुर से सांसद सौमित्र खां ने दिल्ली में भाजपा का दामन थाम लिया तो उसके बाद पार्टी ने सौमित्र के साथ बोलपुर से सांसद अनुपम हाजरा को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया। तृणमूल महासचिव पार्थ चटर्जी ने कहा कि पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने को लेकर सांगठनिक स्तर पर फैसला लेते हुए हमने अनुपम हाजरा और सौमित्र खां दोनों को पार्टी निष्कासित करने का फैसला किया है।

हालिया दिनों में बांकुड़ा जिले के विष्णुपुर से तृणमूल सांसद सौमित्र खां और वीरभूम जिले के बोलपुर से सांसद अनुपम हाजरा दोनों ने तृणमूल नेतृत्व के खिलाफ बात की थी। उनका जनता से भी संपर्क टूट चुका है और गोपनीय स्तर पर भाजपा के साथ संपर्क रखने की भी खबर पार्टी नेतृत्व को मिली थी। सूत्रों की माने तो खां के बाद विश्वभारती विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हाजरा भी जल्द ही भाजपा का दामन थाम सकते हैं।

उधर, केंद्रीय मंत्री धर्मेद्र प्रधान व भाजपा नेता मुकुल राय की मौजूदगी में भाजपा का दामन थामने के बाद सौमित्र खां ने तृणमूल नेत्री व पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तुलना जर्मनी के तानाशाह एडोल्फ हिटलर से कर दी। ममता बनर्जी का नाम लिए बगैर खान ने कहा कि बंगाल में हिटलर शासन चल रहा है। लोगों को मतदान के दौरान मतदान करने की अनुमति नहीं है। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि ममता बनर्जी की अगुवाई वाली पार्टी से कई लोग आगे इस्तीफा देंगे।

यह तो बस शुरुआत है : घोष

सौमित्र खां के भाजपा में शामिल होने को लेकर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि यह बस शुरुआत है और कई कतार में हैं। पत्रकारों से मुखातिब घोष ने कहा, मैंने पहले ही कहा था जनवरी में कई नए समाचार मिलेंगे, इसी अनुरुप यह आगाज है, कई कतार में है समयानुसार उनका नाम भी आपको पता चल जाएगा।

जीती सीट भी गंवा देगी भाजपा : अभिषेक

ममता बनर्जी के सांसद भतीजे अभिषेक बनर्जी ने दावा किया की वर्तमान में दो संसदीय सीट पर काबिज भाजपा को 2019 के लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं मिलने वाला। उन्होंने कहा कि पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण सौमित्र खां पहले ही पार्टी से दरकिनार किए जा चुके हैं उनके पास एक बूथ पर भी जीत हासिल करने की क्षमता नहीं है। खां का जनता के साथ संपर्क नहीं है और न हो उन्होंने सांसद निधि फंड को पूरी तरह खर्च किया है।


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