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Lok sabha Election Result 2019 जानें- क्या-क्या होता है उस कमरे में, जहां होती है मतगणना

Lok sabha Election Vote Counting 2019 गुरुवार सुबह से लोकसभा चुनाव की मतगणना शुरू हो जाएगी. ऐसे में जानते हैं आखिर यह मतगणना कैसे होती है और वोटों की गिनती की क्या प्रक्रिया है...

By Mohit PareekEdited By: Published: Wed, 22 May 2019 12:17 PM (IST)Updated: Thu, 23 May 2019 08:55 AM (IST)
Lok sabha Election Result 2019 जानें- क्या-क्या होता है उस कमरे में, जहां होती है मतगणना
Lok sabha Election Result 2019 जानें- क्या-क्या होता है उस कमरे में, जहां होती है मतगणना

नई दिल्ली, जेएनएन। पूरे देश को लोकसभा चुनाव के नतीजों का इंतजार है। गुरुवार को वोटों की गिनती होनी है और वोटों की गिनती के साथ ही उन उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला हो जाएगा, जो इस चुनाव में दावेदारी प्रस्तुत कर रहे हैं। मतगणना सुबह 8 बजे से शुरू हो जाएगी और उसके बाद से चुनाव के रूझान आने लगेंगे। जब भी रिजल्ट आता है तो आप मतगणना पर ध्यान देते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं आखिर यह वोटों की गिनती किस तरह होती है? साथ ही उस जगह क्या-क्या होता है, जहां इन वोटों की गिनती की जाती है। जानते हैं मतगणना केंद्र से जुड़े हर एक सवाल का जवाब...

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कैसा होता है मतगणना केंद्र?
मतगणना केंद्र एक स्ट्रॉन्ग रूम की तरह होता है, जहां सुरक्षा कर्मियों का कड़ा पहरा होता है। मतगणना केंद्र पर चुनाव अधिकारी, मतगणनाकर्मी, प्रत्याशी और उनके एजेंट, सुरक्षाकर्मी और अन्य अधिकारी मौजूद होते हैं। इन लोगों की मौजदूगी में ही वोटों की गिनती होती है और सभी अधिकारियों के आश्वस्त हो जाने के बाद परिणाम की घोषणा की जाती है। हर संसदीय सीट के आधार पर मतगणना केंद्र बनाए जाते हैं, जहां बूथ के आधार पर वोटों की गिनती जाती है। मगगणना केंद्र से करीब 200-500 मीटर की दूरी तक किसी को आम जन को जाने की परमिशन नहीं होती है।  

कैसे होती है मतगणना की शुरुआत?
मतगणना की प्रक्रिया सुबह 8 बजे से शुरू होगी। इस दौरान पहले रिटर्निंग ऑफिसर और असिस्टेंट रिटर्निंग ऑफिसर मतगणना की गोपनीयता बनाए रखने के लिए शपथ लेते हैं और मतगणना शुरू होने से पहले शपथ पढ़कर आगे का काम शुरू करते हैं। उसके बाद मतगणना शुरू करने से पहले सभी ईवीएम की जांच की जाती है। काउंटिंग सेंटर्स पर इलेक्शन एजेंट के साथ प्रत्याशी और उनके काउंटिंग एजेंट भी वहां मौजूद होते हैं। काउंटिंग में हर अधिकारी, प्रत्याशी आदि की जगह तय होती है, जहां से पूरी प्रक्रिया करवाई जाती है। चुनाव आयोग द्वारा तैनात पर्यवेक्षकों के अलावा किसी और को मतगणना केंद्र के अंदर मोबाइल फोन इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं होती है।

कैसे होती है वोटों की गिनती?
सबसे पहले पोस्टल बैलट की गिनती होती है। उसके 30 मिनट बाद ईवीएम को लाया जाता है। मतगणनाकर्मी और प्रत्याशी के एजेंट ईवीएम को खोले जाने से पहले उसकी जांच करते हैं। उसके बाद वोटों की गिनती शुरू होती है। ईवीएम का ऑन किया जाता है और टोटल नंबर वाले बटन यानी रिजल्ट बटन की सील हटाई जाती है। यह सील हटाने के लिए एक खास चाकू होता है, जिससे इन्हें हटाया जाता है। रिजल्ट बटन दबाते ही हर ईवीएम में सभी प्रत्याशियों को मिली संख्या सामने आ जाती है। एक राउंड की गिनती होने के बाद, ईवीएम को फिर से सील कर दिया जाता है।

एक राउंड की गिनती के बाद सभी से सहमति ली जाती है कि वोटों की गिनती ठीक तरीके से हुई है या नहीं। अगर कोई प्रत्याशी या उसका एजेंट आपत्ति दर्ज करता है तो दोबारा गिनती की जा सकती है, हालांकि यह फैसला चुनाव अधिकारी का होता है। उसके बाद फाइनल वोटों की संख्या जारी की जाती है। इस संख्या को बाहर मीडिया के लिए भेज दिया जाता है। वहीं अगर बिना शिकायत के वोटों की गिनती हो जाती है तो रिटर्निंग ऑफिसर काउंटिंग पूरी होने की घोषणा करता है। ऐसे ही हर बूथ लेवल पर वोटों की गिनती की जाती है और बाद में फाइनल नतीजे जारी किए जाते हैं।

इस बार मतगणना में ये होगा खास?
दरअसल इस बार सुप्रीम कोर्ट ने हर विधानसभा क्षेत्र में कम से कम 5 बूथ के ईवीएम और वीवीपैट की पर्चियों के मिलान करने का आदेश दिया था, जिसके बाद से वीवीपैट का मिलान किया जाएगा। आयोग ने इस लोकसभा चुनाव में ईवीएम और वीवीपैट के मिलान को पांच गुना बढ़ा दिया। कोर्ट ने कहा कि प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में 5 वीवीपैट का ईवीएम से मिलान किया जाएगा। अभी सिर्फ एक का वीवीपैट मिलान होता था। अब चुनाव आयोग को 20,625 ईवीएम और वीवीपैट का मिलान करना होगा। इस वजह से फाइनल रिजल्ट आने में थोड़ी देर भी हो सकती है। 

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