Loksabha Election 2019 : गोरखपुर से सांसद प्रवीण निषाद भाजपा में शामिल, निषाद पार्टी का विलय
निषाद पार्टी के नेता प्रवीण कुमार निषाद आज भाजपा में शामिल हो गए। इसके साथ ही निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद ने भाजपा को समर्थन देने का एलान किया।
लखनऊ, जेएनएन। करीब 29 वर्ष तक गोरक्षपीठ के कब्जे में रही गोरखपुर संसदीय सीट को पिछले वर्ष हुए उप चुनाव में सपा के टिकट पर जीतने वाले प्रवीण निषाद गुरुवार को भाजपा में शामिल हो गए। दिल्ली में प्रवीण भाजपा में शामिल हुए तो उनके पिता और निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल (निषाद) के अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद ने भाजपा को समर्थन का एलान किया। संजय निषाद ने 29 मार्च को सपा-बसपा गठबंधन से नाता तोड़ा था। तभी से भाजपा से गठजोड़ की खिचड़ी पक रही थी।
संकेत मिल रहे हैं कि प्रवीण गोरखपुर से भाजपा उम्मीदवार बन सकते है। गोरक्षपीठ के महंत योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद गोरखपुर संसदीय सीट पर हुए उप चुनाव में सपा ने प्रवीण निषाद को उम्मीदवार बनाया और बसपा समेत तमाम विपक्ष ने समर्थन दिया था। गुरुवार को दिल्ली में उत्तर प्रदेश के चुनाव प्रभारी और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने प्रवीण निषाद को भाजपा की सदस्यता दिलाई। निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद ने भी भाजपा को समर्थन देने की घोषणा की। निषाद परिवार को भाजपा से जोडऩे में प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री और राज्य सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थ नाथ सिंह ने सूत्रधार की भूमिका निभाई। सिद्धार्थ भी दिल्ली में मौजूद थे।
गठबंधन के चार दिन बाद ही टूट गया था रिश्ता
सपा-बसपा-रालोद गठबंधन में 26 मार्च को 'निषाद' को शामिल किये जाने का एलान अखिलेश यादव ने किया था। पर, 29 मार्च को इस रिश्ते में दरार पड़ गई। निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद गठबंधन से छिटक गए। डॉ. संजय निषाद ने 29 मार्च को ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, जेपी नड्डा, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय और प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल से मुलाकात की। संजय निषाद ने तब पत्रकारों से कहा कि 'गठबंधन में हम गए लेकिन हमें लगा कि धोखा हो गया। अखिलेश यादव ने हमें सम्मान नहीं दिया। हमारा बैनर-पोस्टर में कहीं नाम नहीं दिया। पहले ही दिन से हमें लगा कि स्थिति सामान्य नहीं है और हमें मिटाने की साजिश हो रही है।'
अखिलेश यादव के दांव में उलझ गए संजय निषाद
गठबंधन में शामिल होने के बाद डॉ. संजय निषाद ने महराजगंज और गोरखपुर संसदीय सीट अपने सिंबल पर लडऩे की शर्त रख दी। बताते हैं कि अखिलेश यादव उन्हें एक सीट सपा के सिंबल पर देने के पक्षधर थे। बात नहीं बनी तो स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह के जरिये उन्होंने भाजपा में संभावना तलाशी। 30 मार्च को भाजपा गठबंधन का एलान करने वाली थी, तभी अखिलेश ने बड़ा दांव चलते हुए गोरखपुर में पूर्व मंत्री राम भुआल निषाद और कानपुर में पूर्व विधायक राम कुमार को सपा का उम्मीदवार बना दिया। निषादों के इन दानों प्रमुख नेताओं के सपा उम्मीदवार घोषित होते ही संजय निषाद चक्रव्यूह में उलझ गये और भाजपा ने भी कार्यक्रम आगे के लिए टाल दिया था।