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    Loksabha Election 2019 : यूपी की अपनी पहली ही रैली में ध्रुवीकरण को हवा दे गए मोदी

    By Umesh TiwariEdited By:
    Updated: Fri, 29 Mar 2019 03:04 PM (IST)

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को विजय संकल्प की पहली चुनावी रैली में दंगों के दर्द की याद दिलाकर पश्चिम की दुखती रग छेड़ गए।

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    Loksabha Election 2019 : यूपी की अपनी पहली ही रैली में ध्रुवीकरण को हवा दे गए मोदी

    मेरठ [रवि प्रकाश तिवारी]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को विजय संकल्प की पहली चुनावी रैली में दंगों के दर्द की याद दिलाकर पश्चिम की दुखती रग छेड़ गए। मोदी ने प्रथम चरण के दो चुनावों को ध्यान में रखते हुए विपक्ष पर आक्रामक प्रहार किए।

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    जाट बहुल इस क्षेत्र में रालोद के साथ सपा-बसपा गठबंधन का मेल अगर अपने-अपने मतों को ट्रांसफर कराने में सफल होता है तो भाजपा के लिए मुजफ्फरनगर और बागपत की सीटें निकालनी मुश्किल होंगी। इसी तरह मेरठ में कांग्रेस के कमजोर संगठन के बीच गठबंधन और भाजपा की लड़ाई आमने-सामने की होती दिख रही है। इन सभी पहलुओं को देखते हुए ही ध्रुवीकरण की हवा को मोदी ने आगे बढ़ाया, जिसकी शुरुआत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहारनपुर में पहले ही कर चुके हैैं।

    चौ. चरण सिंह को पूरा सम्मान देते हुए मोदी ने जाट समुदाय के लिए एक स्पेस छोड़ दिया ताकि 2013 की तरह भाजपा से वह जुड़ा रहे, छिटके नहीं। कैराना में जाट समुदाय के छिटकने की वजह से ही हुकुम सिंह की मृत्यु के बाद हुए उपचुनाव में भाजपा हार गई थी। उन्होंने जाटों को कांग्रेस से दूर रखने के लिए यह भी याद दिलाया कि चौ. चरण सिंह को कांग्रेस ने ही जेल में डाला था, उन्हें प्रधानमंत्री पद से हटाया था।

    सियासी हवा से हरे हुए दंगे के घाव

    मोदी का दंगे का दर्द उकेरना और कैराना का पलायन मुद्दा यहां के घाव हरे करना जैसे था। इमोशनल कनेक्ट के लिए उन्होंने दंगे के दौरान हजारों युवाओं पर दर्ज हुए केस और उससे परेशानियों का जिक्र छेड़ा। इशारा किया कि हमारी सरकार और नेताओं की बदौलत ही केस वापस लिए गए। दंगे में जब मुजफ्फरनगर तप रहा था, तो कोई साथ नहीं खड़ा था। अजित-जयंत भी नहीं।

    गठबंधन ने अब तक इन बातों को भुलाने का जो काम किया था, एक बार फिर सियासी हवा ने उसे हरा कर दिया है। सियासी पंडितों का मानना है कि इसका असर पड़ेगा। ध्रुवीकरण की अगर बयार बह निकली तो भाजपा के लिए 2014 जैसी जमीन खड़ी हो जाएगी। इसी तरह पलायन का मुद्दा छेड़ जताने की कोशिश की कि भाजपा के राज में ही वे सुरक्षित हैं। अपनी घर-जमीन नहीं छोडऩी पड़ेगी।

    आधे से अधिक किसान हैं, तय करेंगे किस्मत

    पश्चिमी उप्र में खासकर बागपत, मुजफ्फरनगर, कैराना, नगीना, बिजनौर सरीखे लोकसभा क्षेत्र ग्रामीण प्रधान हैं। 60 फीसद के आसपास वोटर यहीं से आते हैं। खेती-किसानी पर जोर रहता है। उसमें भी यहां की गन्ना सियासत सब पर भारी पड़ती है। इसी नजरिए से मोदी ने सपा-बसपा शासन के दो-दो साल के बकाये का जिक्र भी छेड़ा। इसी नजरिए से किसान सम्मान निधि की पहली किस्त मिलने की याद भी दिलाई।

    तीन तलाक से मुस्लिम महिलाओं की भावनाएं छेड़ी

    तीन तलाक का मुद्दा उठाकर भाजपा ने सबका साथ-सबका विकास के नारे के छाए में मुस्लिम मतदाताओं के बीच पैठ बनाने की कोशिश जो शुरू की थी, उसे जमीन पर उतारने का प्रयास भी मोदी ने मंच से किया। महिलाओं के अधिकारों की बात रखते हुए उन्होंने विपक्षी दलों पर भी तंज कसा और तीन तलाक के विरोध में उनके तर्कों पर बोले, क्या बेतुका तर्क है कि तीन तलाक की व्यवस्था रहने से मुस्लिम महिला की जान सुरक्षित रहती है। उन्होंने अपील की कि इस बार मुस्लिम महिलाएं भी घर से निकलें और अधिकार की खातिर वोट करें। जाहिर है मुस्लिम मतदाताओं में सेंधमारी भाजपा के लिए दोगुना लाभ देगी।