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    Loksabha Election 2019 : फूलपुर- पंकज की मौजूदगी ने चुनावी संघर्ष का बढ़ा दिया

    By Umesh TiwariEdited By:
    Updated: Sat, 11 May 2019 01:46 PM (IST)

    इलेक्शन ट्रैवल प्रयागराज से फूलपुर...यह वह सीट है जिस पर राम लहर का असर तो नहीं पड़ा हां 2014 की मोदी लहर में फूल जरूर खिला लेकिन उपचुनाव में अखिलेश क ...और पढ़ें

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    Loksabha Election 2019 : फूलपुर- पंकज की मौजूदगी ने चुनावी संघर्ष का बढ़ा दिया

    प्रयागराज [धर्मेश अवस्थी]। सत्रहवीं लोकसभा के लिए छठवें चरण में 14 संसदीय क्षेत्रों में कल प्रयागराज के फूलपुर लोकसभा क्षेत्र में भी मतदान होना है। 2014 में यहां केशव प्रसाद मौर्य ने भाजपा का परचम फहराया था लेकिन, उप मुख्यमंत्री बनने के बाद उपचुनाव में सीट न बचा सके। 

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    इस बार भाजपा ने केसरी देवी पटेल को उतारा है तो गठबंधन की ओर से पंधारी यादव मैदान में हैं। कांग्रेस ने पंकज निरंजन को टिकट दिया है। स्व. सोनेलाल पटेल के दामाद पंकज की मौजूदगी ने चुनावी संघर्ष का बढ़ा दिया है।

    फूलपुर सीट, देश का पहला प्रधानमंत्री चुनने के साथ ही यह संसदीय क्षेत्र वीआइपी कहलाने लगा। सूबे की ज्यादातर वीआइपी सीटों पर एक-दो खास चेहरे ही लंबे समय तक चुनाव लड़ते रहे लेकिन, यहां के मैदान में देश की राजनीति में चर्चित रहने वाले कई बड़े नेता उतरे।

    प्रख्यात समाजवादी नेता डॉ. राममनोहर लोहिया से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा की पत्नी कमला बहुगुणा व छोटे लोहिया कहे जाने वाले जनेश्वर मिश्र, अपना दल के संस्थापक सोनेलाल पटेल व बाहुबली अतीक अहमद तक को यहां के मतदाताओं ने खट्टे-मीठे अनुभव कराए। यह वह सीट है जिस पर राम लहर का असर तो नहीं पड़ा, हां 2014 की मोदी लहर में फूल जरूर खिला लेकिन, उसके तुरंत बाद ही उपचुनाव में अखिलेश यादव की साइकिल दौड़ पड़ी।

    फूलपुर सीट शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में फैली है। पतित-पावनी गंगा नदी के उस पार भी इसका बड़ा हिस्सा आता है। क्षेत्र का राजनीतिक माहौल जानने के लिए हमने फाफामऊ गंगा पुल से यात्रा की शुरुआत की। पारा 42 डिग्री से ऊपर जा रहा है। झुलसाती गर्मी में तरबूज से बेहतर क्या हो सकता है। रंगपुरा गांव के सामने सड़क किनारे तरबूज की दुकान दिखी तो वहीं रुक गए। हमें चुनावी बातें करनी थीं मगर उस चर्चा तक पहुंचने की शुरुआत तरबूज के मोलभाव से की।

    कुछ ही देर में दुकानदार राजा खुलकर बात करने लगे तब पूछा, किसका चुनाव जोर पकड़ रहा...जवाब आया-देखो, जीतेगा तो मोदी ही। राजा अनुसूचित जाति के हैं, बताते हैं कि गांव में मोदी की ही हवा है। साथ बैठे परमानंद भी उनकी हां में हां मिलाने लगे। हमने सवाल किया, मोदी ही क्यों? पलटकर राजा ने हमसे ही सवाल पूछ लिया- देखिए इतनी अच्छी सड़क पहले थी क्या? वहीं तख्त पर बैठे लल्लन बोले, सड़क तो ठीक है लेकिन, हम तो अखिलेश के साथ हैं। बातचीत कानों में पड़ी तो साइकिल से जा रहे गद्दोपुर के फूलचंद्र वहां रुक गए। कहने लगे, सबै मोदी की ही बात कर रहे। मोदी कछु करिन होईहैं तबहीं सबै नाम लैय रहे।

    उनकी बातें सुनने के बाद हम शांतिपुरम मोड़ से सोरांव वाया गोहरी सड़क पर बढ़ गए। होम्योपैथिक कॉलेज के आगे राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय गेट के सामने से मातादीन का पूरा गांव की तरफ चल पड़े। यह वही गांव है, जहां के रहने वाले रामपूजन पटेल इस संसदीय क्षेत्र से तीन बार सांसद रह चुके हैं। उसी रास्ते पर आगे जाने की कोशिश की मगर सड़क व सीवर का काम चलने के कारण वहीं रुकना पड़ा। सामने राजू यादव की चाय की दुकान दिखी तो गांव की नब्ज टटोटने के लिए रुक गए। राजू कहने लगे, अबै सब घूमि रहै, वैसे साइकिल ठीक है।

    वहां से आगे बढ़कर खेतों वाले रास्ते पर निकले गए। हाजीगंज चौराहे पर पहुंचे तो चाय की बंद दुकान के सामने कुछ युवक राजनीति पर चर्चा में मशगूल दिखे। सेवइत वजीराबाद के त्रिलोकी कुमार बोले, अबकी फूल का जोर है। बगल में बैठे रामकैलाश यादव सुनते ही बिफर पड़े। कहने लगे, गठबंधन सब पर भारी है। मान सिंह समझाने लगे कि कांग्रेस व भाजपा दोनों के प्रत्याशी पटेल हैं, इसलिए वोटों का बंटवारा हो रहा। शिवगढ़ के ईश्वरदीन मौर्य ने कमल खिलने की उम्मीद जताई। चर्चा में कई धड़े शामिल होने से चुनावी गर्मी बढऩे लगी तो हम वहां से आगे बढ़ गए।

    सोरांव के पहले प्रयागराज-प्रतापगढ़ सड़क पर पहुंचे। निर्माण कार्य जोरों पर चल रहा था, कस्बा कब पीछे छूट गया पता ही नहीं चला। मऊआइमा नगर पंचायत को पहचानने के लिए वहां लगा बोर्ड पढऩा पड़ा। बाजार की शुरुआत में संतोष कुमार चाय में अदरक व मुंह से 'मोदी रसायन' फिजां में घोलने लगे। कहा, सड़क बन रही, बिजली खूब है, परीक्षा का अच्छा रिजल्ट है और क्या चाहिए? विपिन बोले-भाजपा नहीं, वोट मोदी का है। चाय पी रहे जगदीश कुमार ने समर्थन में सिर हिलाया तो भारत यादव ने कहा कि दावे चाहे जो हों, यहां गठबंधन आगे है।

    कुछ दूरी पर सपा प्रत्याशी का गांव है। मो. अख्तर ने भी गठबंधन को मजबूत बताया। इसके बाद हम तिलई बाजार की ओर बढ़े। चमकती सड़क के लिए नौगीरा गांव में तमाम मकान तोड़े गए थे। एक क्षतिग्रस्त मकान पर पहुंचे। वहां खड़े रामकुमार से दर्द जानना चाहा तो कहने लगे, सड़क बन रही है, इसकी खुशी है। मेरा वोट तो मोदी को जाएगा। वहां से बेड़ीपुर धरौता होते हुए धीनपुर गांव पहुंचे। मड़ई के नीचे बैठे बद्रीप्रसाद और रामकुमार कहने लगे, मोदी ने जो किया है दूसरा कर नहीं सकता। राजेश कुमार बोले, छप्पर के नीचे रह रहे हैं, उम्मीद है कि मकान मिल जाएगा। हालांकि यहां तमाम ग्रामीण प्रधान से खफा थे लेकिन, मोदी पर फिदा हैं। उनकी बातें सुनने के बाद हम नहर के किनारे से करनाईपुर की ओर बढऩे लगे।

    करनाईपुर में शिक्षक समर बहादुर पटेल से मुलाकात हुई। मतदान को लेकर उनकी बात एकदम साफ थी- मेरा वोट तो कांग्रेस को ही जाएगा, किसानों का बड़ा अहित हुआ है। कटिनई के सुशील कुमार उनकी बात काटते हुए कहने लगे, आम आदमी को जो चाहिए वह मिल रहा है। रामपाल ने गठबंधन व शैलेश, विनय ने भाजपा की तरफदारी की। यहां से दोनइया, बहरिया होते हुए मुबारकपुर पहुंचे। ग्रामीणों ने बताया कि प्रतापपुर विधानसभा सीट अब भदोही का हिस्सा है। कोड़ापुर होकर फूलपुर पहुंचे। रेलवे स्टेशन पर केहर सिंह व आनंद सिंह ने गठबंधन की मजबूती गिनाई। सहसों में चाय की दुकान पर शिव प्रसाद, शोभनाथ और राम बहादुर आदि चुनावी चर्चा कर रहे थे। भाजपा बनाम गठबंधन को लेकर दोनों पक्ष झगडऩे पर उतारू थे। माथे पर लाल टीका लगाए मनोज कुमार गठबंधन की तरफदारी में तर्क दिए जा रहे थे। झूंसी के सत्यम व रामकृष्ण भारतीय भी हामी भरते दिखे।

    वोट गठबंधन को, सरकार मोदी की

    शहर पश्चिमी के झलवा मार्ग पर तुफैल अहमद बोले, वह गठबंधन को वोट करेंगे, क्योंकि भाजपा तो उनकी बिरादरी को पार्षद का भी टिकट नहीं देती। इसके आगे की बात हमें चौंकाने वाली थी। बोले, देश में विकास हुआ है, इसलिए सरकार मोदी की ही आएगी। वह भाजपा में शामिल होने को तैयार हैं लेकिन, मोदी उन्हें अपनाए तो ..। शहर उत्तरी के निगम चौराहे पर युवा अजीत श्रीवास्तव ने कहा कि उन्हें मोदी से उम्मीदें हैं, इसलिए एक मौका और देंगे। रामआसरे बोले, मोदी के सिवा कोई विकल्प है क्या?

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