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    Loksabha Election 2019 : पहले चरण के 96 प्रत्याशियों में से 39 करोड़पति, 24 पर आपराधिक मुकदमे

    रविवार को एडीआर के स्टेट हेड संजय सिंह ने उप्र में पहले चरण में लोकसभा की जिन आठ सीटों पर 11 अप्रैल को मतदान होना है उनके 96 उम्मीदवारों के हलफनामे की रिपोर्ट रखी।

    By Umesh TiwariEdited By: Updated: Mon, 08 Apr 2019 08:10 AM (IST)
    Loksabha Election 2019 : पहले चरण के 96 प्रत्याशियों में से 39 करोड़पति, 24 पर आपराधिक मुकदमे

    लखनऊ, जेएनएन। अपवाद को छोड़ दें तो राजनीति में तीन चीजें बेहद जरूरी हैं। भरपूर पैसा, बाहुबल और राष्ट्रीय या क्षेत्रीय स्तर की पार्टी। अगर कुछ आपराधिक मुकदमे हैं तो माननीय बनने की संभावना बढ़ जाती है। फिर शैक्षिक योग्यता कोई मायने नहीं रखती। प्रत्याशी के रूप में आप निरक्षर हो सकते हैं या साक्षर, कक्षा-पांच, आठ और 12 पास भी चलेगा। उप्र इलेक्शन वॉच रिपोर्ट और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट तो यही कहती है।

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    रविवार को लखनऊ में पत्रकारों के समक्ष एडीआर के स्टेट हेड संजय सिंह ने उप्र में पहले चरण में लोकसभा की जिन आठ सीटों (सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद और गौतबुद्धनगर) पर 11 अप्रैल को मतदान होना है, उनके 96 उम्मीदवारों के हलफनामे की रिपोर्ट रखी। रिपोर्ट के मुताबिक 96 में 39 प्रत्याशी करोड़पति हैं। प्रमुख दल भाजपा, कांग्रेस और बसपा के तो सभी उम्मीदवार करोड़पति हैं। सारे प्रत्याशियों की संपत्ति का औसत 5.56 करोड़ रुपये हैं।

    दलितों की हितैषी मानी जाने वाली बसपा उम्मीदवारों की संपत्ति का औसत सर्वाधिक 67 करोड़ रुपये है। भाजपा उम्मीदवारों की संपत्ति का औसत नौ करोड़ रुपये है। बिजनौर संसदीय सीट से बसपा उम्मीदवार मलूक नागर सर्वाधिक पैसे वाले हैं। इनकी कुल चल-अचल संपत्ति करीब 249 करोड़ रुपये है। गौतमबुद्धनगर से भाजपा उम्मीदवार डॉ. महेश शर्मा 47 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ दूसरे नंबर पर हैं। चौधरी अजीत सिंह के पुत्र और बागपत से राष्ट्रीय लोक दल के प्रत्याशी जयंत चौधरी के पास 27 करोड़ रुपये की संपत्ति है और वह तीसरे नंबर पर हैं।

    17 प्रत्याशियों पर गंभीर आपराधिक मुकदमे

    पहले चरण के 96 प्रत्याशियों में से 24 पर आपराधिक मुकदमे हैं। इनमें से 17 पर ऐसे गंभीर मामले हैं, जिनमें पांच साल या इससे अधिक की सजा हो सकती है। औरों से खुद को अलग कहने वाली भाजपा के आठ प्रत्याशियों में सात पर आपराधिक मुकदमे हैं। तीन उम्मीदवारों पर तो गंभीर मामले हैं। कांग्रेस के छह में तीन प्रत्याशियों पर गंभीर आपराधिक मामले हैं। इसी तरह बसपा के चार प्रत्याशियों पर आपराधिक मामले हैं जिनमें से दो पर गंभीर मुकदमे हैं।

    योगेश दहिया पर 13 गंभीर आपराधिक धाराएं

    सहारनपुर से आप के प्रत्याशी योगेश दहिया पर पांच मुकदमों में 11 गंभीर धाराएं लगी हैं। सहारनपुर से ही कांग्रेस प्रत्याशी इमरान मसूद आठ आपराधिक मामलों में आठ गंभीर धाराएं लगी हैं। मेरठ से बसपा के उम्मीदवार याकूब कुरैशी पर छह आपराधिक मामलों में 11 गंभीर धाराएं लगी हैं। बिजनौर से भाजपा के उम्मीदवार राजा भारतेंदु सिंह पर तीन आपराधिक मामलों में पांच गंभीर धाराएं लगी हैं। 

    प्रत्याशियों में दो अनपढ़

    हर चुनाव लड़ने वाले का ख्वाब देश की सबसे बड़ी पंचायत में जाना है, पर इनके लिए शिक्षा का कोई खास महत्व नहीं। मसलन 96 में से दो संभावित माननीय निरक्षर हैं। चार को सिर्फ अक्षर बोध है। तीन पांचवीं, 10 आठवीं और 17 सिर्फ 12 वीं पास हैं। राजनीति दलों के लिए महिलाओं की बराबरी का हक सिर्फ नारा है। पहले चरण के चुनाव में सिर्फ 10 फीसद प्रत्याशी ही महिला हैं।

    एक उम्मीदवार को अपनी उम्र भी नहीं पता

    बात उम्र की करें तो सर्वाधिक 33 फीसद उम्मीदवार 41 से 50 वर्ष के बीच के हैं। 51 से 60 और 61 से 70 वालों की संख्या क्रमश: 20 और 17 है। 25 से 30 और 71 से 80 वर्ष के बीच के उम्मीदवारों की संख्या क्रमश: एक और दो है। एक निर्दल उम्मीदवार ऐसे भी हैं जिनको अपनी उम्र का पता नहीं।

    वेतन-भत्ते के साथ बुराइयां भी बढ़ी

    संजय सिंह ने बताया कि माननीयों के वेतन-भत्ते में बढ़ोतरी के साथ बुराइयां भी बढ़ी हैं। सबसे बड़ी बात यह है इन पर कोई निगरानी नहीं हैं। चुनने वालों में से बहुत कम लोगों को पता है कि उनके जनप्रतिनिधि वेतन और भत्ते के रूप में कितना पाते हैं। बात अपने वेतन एवं भत्ते की हो तो इसके लिए यह खुद जज बन जाते हैं। ऐसे लोगों से इंसाफ की कैसी उम्मीद। संजय सिंह ने यह भी कहा कि अगर 16 अप्रैल तक जिन प्रत्याशियों के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं उनके चुनाव लड़ने पर रोक नहीं लगती तो 17 अप्रैल से एडीआर के लोग धरना शुरू करेंगे। हमारी मांग सिर्फ है स्वस्थ्य लोकतंत्र के लिए सही चुने और सभी चुनें हैं।