Election 2024: पटियाला से पांचवीं बार जीत की कोशिश में परनीत; क्या फिर छाएगा शाही परिवार का जादू या जनता ने बदल लिया मूड?
Lok Sabha Election 2024 देश में सात चरणों में लोकसभा चुनाव हो रहे हैं। पंजाब की पटियाला लोकसभा सीट पर सातवें चरण पर मतदान होना है। इससे पहले यहां सियासत गरमाई हुई है। पटियाला सीट की पहचान लंबे समय से कांग्रेस के गढ़ के रूप में बनी हुई थी। ऐसे में राजनीतिक पाला बदलकर भाजपा में शामिल होने के बाद अपनी मजबूती बनाए रखना शाही परिवार के लिए चुनौती है।
दीपक मौदगिल, पटियाला। Patiyala Lok Sabha Seat: पंजाब के पटियाला में शाही परिवार का मोती महल कांग्रेस की राजनीति का केंद्र रहा है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस यहां से 11 बार जीत चुकी है, जिसमें छह बार इस परिवार के सदस्य सांसद बन चुके हैं। इस कारण कभी यहां कांग्रेस के नेताओं का जमावड़ा लगा रहता था, लेकिन अब यहां भाजपा के नेता नजर आते हैं।
इस बार यहां से भाजपा के टिकट पर पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की पत्नी परनीत कौर चुनावी मैदान में हैं। वह पांचवीं बार जीत की कोशिश में हैं। राजमाता मोहिंदर कौर जब वर्ष 1967 में कांग्रेस के टिकट पर पटियाला से चुनाव जीतकर संसद पहुंची थीं, तबसे लेकर वर्ष 2021 तक महल में कांग्रेस की पैठ थी।
इस दौरान वर्ष 1980 में कैप्टन अमरिंदर सिंह भी पटियाला से सांसद बने थे। कैप्टन ने कांग्रेस छोड़कर नवंबर, 2021 में अपनी पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस बनाई थी। उसके बाद भाजपा के साथ मिलकर 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ा था। कैप्टन सितंबर, 2022 में अपनी पार्टी का विलय कर भाजपा में शामिल हो गए थे। उसी समय मोती महल में भाजपा का प्रवेश हुआ और अब लोकसभा चुनाव में मोती महल भाजपा के रंग में रंगा हुआ है।
राजनीतिक विशेषज्ञ कहते हैं कि पटियाला की पहचान लंबे समय से कांग्रेस के गढ़ के रूप में बनी हुई थी। ऐसे में राजनीतिक पाला बदलकर भाजपा में शामिल होने के बाद अपनी मजबूती बनाए रखना शाही परिवार के लिए चुनौती है। शाही परिवार पर चढ़े भाजपाई रंग को लोगों ने पसंद किया या नहीं, दूसरा, परनीत कौर पांचवीं बार संसद में पहुंचने में सफल रहेंगी या नहीं, इस पर सबकी नजर है।
मोती महल की दीवारें सिर्फ लहर से ही हिलीं, नहीं तो अडिग
वर्ष 2011 में भ्रष्टाचार के खिलाफ चले अन्ना हजारे के आंदोलन से निकली आप जब वर्ष 2014 में पहली बार राज्य में लोकसभा चुनाव में उतरी थी तो मालवा के लोगों को उसमें काफी उम्मीदें नजर आई थीं। यहीं कारण रहा कि नई-नई आई इस पार्टी ने मालवा क्षेत्र की चार सीटें पटियाला, फतेहगढ़ साहिब, संगरूर और फरीदकोट जीत ली थी। पटियाला सीट पर जीत का हैट-ट्रिक बना चुकीं शाही परिवार की परनीत कौर आप की इस लहर में डॉ. धर्मवीर गांधी से हार गई थीं।
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में परनीत कौर ने फिर जीतकर अपना खोया किला वापस पा लिया। विधानसभा चुनाव 2022 में एक बार फिर राज्य स्तर पर आप की लहर चली। इस बार कांग्रेस से किनारा कर अपनी पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस बनाकर मैदान में उतरे कैप्टन आप के अजीतपाल सिंह कोहली से हार गए।
मुसीबत में लोगों का सहारा बनता रहा है शाही परिवार
लोगों का महल से जुड़ाव इसलिए है कि जब देश विभाजन के बाद पाकिस्तान से विस्थापित लोग यहां पहुंचे तो शाही परिवार ने उन्हें बसाया था। इसके बाद भी उन पर जब भी कोई मुसीबत आई तो शाही परिवार ने ही उन्हें सहारा दिया। पटियाला की बड़ी नदी में जब भी बाढ़ आती है तो शाही परिवार परंपरा के तौर पर नथ-चूड़ा चढ़ाता है। लोगों का विश्वास है कि इससे नदी शांत हो जाती है।
परनीत कौर लोगों के सामाजिक कार्यक्रमों में निरंतर पहुंचती रहती हैं। आनंद नगर पटियाला के रहने वाले 48 वर्षीय सतनाम सिंह कहते हैं कि बुजुर्ग बताते थे कि जब वे विस्थापित होकर आए थे तो ना कुछ खाने को था और ना ही रहने का प्रबंध। कामकाज भी कुछ नहीं था। तब शाही परिवार ने विस्थापितों की मदद की। उनके खाने और ठहरने का इंतजाम किया। धीरे-धीरे काम भी मिल गया। इसी कारण शाही परिवार से पटियाला के पुराने लोगों का अब भी जुड़ाव है।
पटियाला के शाही समाधां के रहने वाले सेवानिवृत्त इंस्पेक्टर 75 वर्षीय भूपिंदर सिंह कहते हैं कि पीढ़ीदर पीढ़ी में बदलाव आया तो शाही परिवार के प्रति लगाव भी घट रहा है। इसी का परिणाम 2014 के लोकसभा चुनाव और 2022 के विधानसभा चुनाव में देखने को मिला, जब शाही परिवार के सदस्यों को हार का
सामना करना पड़ा था।
प्रत्याशी वही, पार्टियां अलग
कांग्रेस में रहते हुए परनीत ने वर्ष 1999,2004, 2009 और 2019 के चुनाव में जीत दर्ज की है। वर्ष 2014 में आप के डॉ. धर्मवीर गांधी ने उन्हें हरा दिया था। परनीत कांग्रेस छोड़कर अब भाजपा से चुनाव मैदान में हैं। आप के पूर्व सांसद डॉ. गांधी अब कांग्रेस के प्रत्याशी हैं। प्रत्याशी 2014 वाले हैं, पर पार्टियां दोनों की अलग हैं।