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    Lok Sabha Result 2024: पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी में ही झटका, ब्रज में बची साख, कैसे इन क्षेत्रों में डूबी बीजेपी की नैया, कहां हुई गलती?

    Lok Sabha Election Result 2024 इस बार का चुनाव परिणाम चौंकाने वाला रहा। पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में ही बीजेपी को बड़ा झटका लगा। हालांकि ब्रज ने बीजेपी की साख बचा ली। 2019 में 11 सीटों के सापेक्ष सिर्फ चार जीत सकी। राम मंदिर के प्रभाव वाले अवध क्षेत्र में पार्टी 15 से खिसककर सात सीटों पर ठहर गई।

    By Jagran News Edited By: Sushil Kumar Updated: Fri, 07 Jun 2024 03:03 PM (IST)
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    Lok Sabha Election Result 2024: वाराणसी में ही बीजेपी को लगा बड़ा झटका

    संतोष शुक्ल, मेरठ। 'आरक्षण और संविधान बचाने' के धारदार नैरेटिव और रिवर्स सोशल इंजीनियरिंग से सपा-कांग्रेस गठबंधन ने भाजपा का पहिया पूरी तरक रोक दिया। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रदेशभर में एकतरफा जीत हासिल करने वाली भाजपा और उसके सहयोगी दलों की कश्ती 2024 में अति आत्मविश्वास के भंवर में डूब गई।

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    प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लोकसभा क्षेत्र काशी क्षेत्र में पार्टी के रणनीतिकारों और संगठन शिल्पियों के सामने जमीन खिसक गई। 2019 में 11 सीटों के सापेक्ष सिर्फ चार जीत सकी। राम मंदिर के प्रभाव वाले अवध क्षेत्र में पार्टी 15 से खिसककर सात सीटों पर ठहर गई। पश्चिम, गोरखपुर एवं कानपुर क्षेत्र में पार्टी को तगड़ा झटका लगा है। ब्रज क्षेत्र में घाटा होने के बावजूद 13 में से आठ सीटें जीतकर संक्षिप्त अंशों में साख बचाने में सफल रही।

    कारगर निकले तीर

    2014 में मोदी लहर सबसे ऊंची रही थी, जब भाजपा ने प्रदेश में 71 सीटों को जीता था, जिसमें सबसे मुश्किल कहलाने वाले पश्चिम क्षेत्र की सभी 14 और अवध क्षेत्र की सभी 16 सीटों पर कमल खिला था। 2019 में सपा-बसपा और रालोद की जटिल घेरेबंदी के बावजूद पार्टी ने 62 सीटें जीतकर राजनीतिक पंडितों को हैरान कर दिया। भाजपा की संगठनात्मक क्षमता देशभर में सराही गई, वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सीएम योगी द्वारा विपक्षियों पर छोड़े गए तीर कारगर निकले।

    2022 विस एवं बाद में नगर महापौर के चुनावों में प्रचंड जीत के बाद पार्टी 2024 को लेकर आश्वस्त हो गई। हालांकि आत्मविश्वास से भरे संगठन ने बैठकों की झड़ी लगा दी, जिसने कार्यकर्ताओं को थका दिया। प्रदेश सरकार ने जिलों में प्रभारी मंत्री भेजे, जिन्होंने कार्यकर्ताओं के दर्द और शिकायतों को नजरंदाज किया।

    ओबीसी वोटबैंक को लिया साथ

    जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के रवैये को लेकर प्रदेश इकाई और अन्य मंचों पर पीड़ा व्यक्त की गई, जिसकी कोई सुनवाई नहीं रही। वहीं, सपा और कांग्रेस ने गठबंधन पर वक्त खर्च किए बिना ‘आरक्षण और संविधान खत्म होने’ का नैरेटिव गढ़कर ओबीसी वोटबैंक को अपने साथ जोड़ लिया। कई केंद्रीय मंत्री और दिग्गज नेता बड़े अंतर से हारे, जबकि जीतने वालों का अंतर कम रहा।

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