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    अतीत के आईने से: टीएन शेषन ने किए थे क्रांतिकारी चुनाव सुधार, लालू यादव ने भी किया था इस अधिकारी का विरोध; पढ़ें दिलचस्प चुनावी किस्से

    Updated: Fri, 29 Mar 2024 08:25 AM (IST)

    टीएन शेषन के कार्यकाल में ही चुनावों में मतदाता पहचान-पत्र (वोटर आइडी कार्ड) का इस्तेमाल शुरू हुआ। इसका लालू प्रसाद यादव समेत कई नेताओं ने विरोध किया था। लालू ने वोटर आइडी कार्ड को लेकर कहा था कि जहां के लोग अपने दस्तवेज खपरैल से बने घर में रखते हो बताओ तो वहां के मतदाता पहचान-पत्र कहां से संभाल कर रखेंगे?

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    टीएन शेषन ने किए थे क्रांतिकारी चुनाव सुधार

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन को क्रांतिकारी चुनाव सुधारों के लिए जाना जाता है। वह 1955 बैच के आइएएस अधिकारी थे। केरल के पलक्कड़ जिले में जन्मे शेषन को 12 दिसंबर, 1990 को भारत के 10वें मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया था।

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    उनके कार्यकाल में निष्पक्ष चुनावों के लिए नियमों का सख्ती से पालन किया गया। बूथ कैप्चरिंग के लिए बदनाम रहे बिहार में उन्होंने पहली बार कई चरणों में चुनाव कराने का फैसला लिया था।

    देशभर में शुरू हुआ वोटर आइडी कार्ड का इस्तेमाल

    टीएन शेषन के कार्यकाल में ही चुनावों में मतदाता पहचान-पत्र (वोटर आइडी कार्ड) का इस्तेमाल शुरू हुआ। इसका लालू प्रसाद यादव समेत कई नेताओं ने विरोध किया था। उस दौरान लालू ने दानापुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए वोटर आइडी कार्ड को लेकर तंज कसा था।

    लालू ने कहा था कि जहां के लोग अपने दस्तवेज खपरैल से बने घर में रखते हो, बताओ तो वहां के मतदाता पहचान-पत्र कहां से संभाल कर रखेंगे?

    जिस भी मंत्रालय में रहे, वहां हुआ बेहतर काम टीएन शेषन के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने जिस भी मंत्रालय में काम किया, वहां सभी काम बेहतर होने लगे। मुख्य चुनाव आयुक्त बनने के बाद शेषन और राजनेताओं के बीच बयानबाजी चलती रही।

    चुनौती मिलने पर सीखा बस चलाना

    शेषन ने चेन्नई में यातायात आयुक्त के रूप में काम किया था। इस दौरान 3,000 बसें और 40,000 कर्मचारी उनके नियंत्रण में थे। एक ड्राइवर ने शेषन से पूछा, अगर आपको ड्राइविंग और बस इंजन की जानकारी नहीं है, तो ड्राइवरों की समस्या कैसे हल करेंगे?' शेषन ने इसे एक चुनौती के रूप में लिया और ड्राइविंग सीखी।

    इतना ही नहीं, उन्होंने बस की वर्कशाप में भी समय गुजारा था, जिससे कि उन्हें बसों के रखरखाव व जरूरी सुधार के बारे में जानकारी हो सके। एक बार उन्होंने ड्राइवर को रोककर स्टीयरिंग संभाली और यात्रियों से भरी बस को 80 किलोमीटर तक चलाया।

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