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    जा रही थी देश के इस सांसद की कुर्सी, मगर पाकिस्तान से आई चिट्ठी ने बचाई; बेहद रोचक है ये चुनावी किस्सा

    Updated: Mon, 08 Apr 2024 02:29 PM (IST)

    Lok Sabha Election 2024 देश के एक सांसद की कुर्सी पर सवाल उठ गया था। मामला 1952 के आम चुनाव का है। मगर पाकिस्तान से आई एक चिट्ठी ने सांसद की कुर्सी को बचा लिया था। तब यह मामला खूब सुर्खियों में रहा। इस सांसद का नाम विरेंद्र सत्यवादी था। लाहौर से पलायन कर विरेंद्र सत्यवादी भारत आए थे। इसके बाद उन्होंने करनाल सुरक्षित सीट से चुनाव लड़ा था।

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    Lok Sabha Chunav 2024: पाक गृह मंत्रालय की रिपोर्ट से बची थी डॉ. सत्यवादी की सदस्यता।

    अरविन्द झा, हिसार। संयुक्त हरियाणा-पंजाब प्रांत में डॉ. विरेंद्र सत्यवादी करनाल के सुरक्षित सीट से 1952 में आम चुनाव लड़े थे। चुनाव में जीत हासिल करने के बाद संसद में उनकी जाति को लेकर सवाल उठाए गए। पाकिस्तान के गृह मंत्रालय से स्पष्टीकरण आने के बाद डॉ. सत्यवादी की लोकसभा सदस्यता बची थी।

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    चुनाव मैदान में थे विरेंद्र सत्यवादी

    प्रथम संसद में यह मामला सुर्खियों में रहा था। 1952 में हरियाणा संयुक्त पंजाब प्रांत का हिस्सा था। जीटी रोड बेल्ट में करनाल की दो सीटों में से एक आरक्षित थी। अनारक्षित सीट से देश के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने सुभद्रा जोशी को यहां से चुनाव लड़वाया। दूसरी तरफ आरक्षित सीट पर लाहौर से आए डॉ. विरेन्द्र सत्यवादी मैदान में उतरे थे।

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    जातीयता पर छिड़ा विवाद

    प्रथम चुनाव में अच्छी मार्जिन से जीत हासिल कर दोनों उम्मीदवार लोकसभा में पहुंचे। सुरक्षित सीट से चुनाव लड़ने की वजह से डॉ. सत्यवादी की जातीयता पर लोकसभा में विवाद छिड़ गया। आरोप लगा कि वे हिन्दू जाति में आरक्षित वर्ग (एससी कोटा) से नहीं आते हैं। संयुक्त पंजाब प्रांत से तत्कालीन सांसद प्रो. जसवंत राय ने उनके आरक्षित वर्ग से आने के मसले पर सवाल उठाया था।

    पाकिस्तान से रिपोर्ट आने पर बची सदस्यता

    डॉ. सत्यवादी लाहौर प्रांत (पाकिस्तान) के रहने वाले थे। उन्होंने लाहौर म्युनिसिपल प्रशासन को आवेदन दिया। जांच के बाद स्पष्ट हुआ कि डॉ. सत्यवादी खाक रोक (स्वीपर) बिरादरी से हैं। इसे आधार बनाकर पाकिस्तान के गृह मंत्रालय ने एक रिपोर्ट तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष के नाम भेजी थी।

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