Lok Sabha Election 2024: जब जीतने वाले प्रत्याशी की जब्त हुई थी जमानत, पहले चुनाव से ही जारी है यह सिलसिला
Lok Sabha Election 2024 देश में इस साल 18वीं लोकसभा के लिए चुनाव होने हैं। कई धुरंधर और धरतीपुत्र अपनी किस्मत आजमाने चुनावी मैदान में उतरेंगे। जीत सुनिश्चित करने के लिए सभी पार्टियों के उम्मीदवार जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं लेकिन कौन विजेता बनेगा तो किसकी जमानत जब्त होगी इसका फैसला को चुनाव परिणाम आने पर ही होगा। यहां पढ़िए कब होती है किसी उम्मीदवार की जमानत जब्त ...
चुनाव डेस्क, नई दिल्ली। चुनाव नतीजों पर बतकही के दौरान विरोधियों की हार को जमानत जब्त होने के विशेषण के साथ बताने में अलग ही सुख का अनुभव करने वालों की कमी नहीं है। ऐसे में जमानत बचाकर हारना भी प्रत्याशी के लिए उपलब्धि सरीखी लगती है। जमानत जब्त होने के इस पहलू को बता रही हैं जया पाठक...
चुनाव में ये होती है जमानत
संसदीय या विधानसभा चुनाव लड़ने वाले प्रत्येक उम्मीदवार को चुनाव आयोग के पास एक निश्चित सुरक्षा राशि जमा करनी पड़ती है। संसदीय चुनाव के लिए यह राशि 25,000 और विधानसभा के लिए 10,000 रुपये है। यदि प्रत्याशी कुल वोटों का न्यूनतम छठा हिस्सा प्राप्त करने में विफल रहता है तो जमा राशि जब्त होकर राजकोष में चली जाती है।
जीतने वाला उम्मीदवार भी गंवा बैठा था जमानत
साल 1952 में आजमगढ़ की सगड़ी पूर्वी विधानसभा सीट पर 83,438 वोटर पंजीकृत थे। इनमें से 32,378 ने ही वोट डाले। चुनाव में कांग्रेस के बलदेव (4969 वोट) को निर्दलीय शंभूनारायण (4348 वोट) पर जीत मिली, लेकिन मतों का छठा हिस्सा न मिलने पर उनकी जमानत जब्त हो गई।
राष्ट्रीय दलों का प्रदर्शन बेहतर
जमानत बचाने के मामले में राष्ट्रीय दलों के उम्मीदवारों का प्रदर्शन बेहतर रहा है। 1951-52 में हुए पहले आम चुनावों में राष्ट्रीय दलों के 1217 उम्मीदवारों में से 344 की जमानत जब्त हो गई। साल 1977 में राष्ट्रीय पार्टियों का अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन देखने को मिला क्योंकि इन पार्टियों के 1060 में से केवल 100 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई थी। साल 2009 में राष्ट्रीय दलों के 1623 उम्मीदवारों में से 779 की जमानत जब्त हो गई थी।
किस चुनाव में कितनों की जमानत हुई जब्त?
- 40% उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई 1951-52 के पहले लोकसभा चुनावों में।
- 74% अपनी जमानत की जमानत जब्त हुई 1980 के चुनाव में।
- 86% ने अपनी जमानत खो दी 1991 के चुनावों में।
- 91% उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई 1996 में।
- 56% उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई 1997 में।
- 85% ने अपनी जमानत खो दी 2009 में लोकसभा चुनाव में।
- 86% की जमानत जब्त हो गई थी 2019 के चुनाव में।
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क्यों और कब जब्त होती है जमानत?
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 34(1)(ए) के अनुसार, लोकसभा या विधानसभा चुनाव लड़ने वाले सभी उम्मीदवारों को एक निश्चित धनराशि जमा करानी होती है, जिसे जमानत राशि कहा जाता है। सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों को लोकसभा चुनाव के लिए 25 हजार तो वहीं अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग के प्रत्याशियों मात्र 12,500 रुपये जमानत राशि के तौर पर जमा कराने होते हैं।
विधानसभा चुनाव के लिए सामान्य वर्ग को 10 हजार और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के प्रत्याशियों को पांच हजार रुपये जमानत राशि के तौर पर जमा कराने होते हैं।
अगर किसी प्रत्याशी को कुल डाले गए वोटों का छठा हिस्सा या 16.67 प्रतिशत मत नहीं मिलते हैं तो उसकी ओर से जमा कराई गई धनराशि जब्त कर ली जाती है। वहीं जिस उम्मीदवार को इतने वोट मिल जाते हैं तो उसकी जमानत राशि लौटा दी जाती है।
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