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    TMC, कांग्रेस व माकपा में मनोवैज्ञानिक जंग, अकेले चुनाव लड़ने का राग अलापकर गठबंधन की संभावनाएं टटोल रहे तीनों दल

    Updated: Tue, 05 Mar 2024 11:47 AM (IST)

    Election 2024 बंगाल की राजनीति के जानकारों का कहना है कि तृणमूल कांग्रेस व माकपा मनोवैज्ञानिक रणनीति अपना रही हैं। वे अकेले लड़ने का राग जरूर अलाप रही हैं पर अंदरखाने गठबंधन की संभावनाएं भी टटोल रही हैं। यही कारण है कि बंगाल में इन तीनों पार्टियों ने अब तक अपने लोकसभा प्रत्याशियों की एक भी सूची जारी नहीं की है।

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    Election 2024: TMC, कांग्रेस व माकपा में मनोवैज्ञानिक जंग (फाइल फोटो)

    विशाल श्रेष्ठ, कोलकाता। बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी अगला लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने की जनवरी में ही घोषणा कर चुकी हैं। फरवरी में बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी राज्य में अपने बूते चुनाव लड़ने की बात कह चुके हैं। इनसे पहले माकपा के बंगाल सचिव मोहम्मद सलीम ने भी पिछले साल दिसंबर में हुई पार्टी की राज्य कमेटी की बैठक में कांग्रेस के साथ नहीं आने पर अकेले चुनाव लड़ने के संकेत दिए थे।

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    वेट एंड वॉच' की नीति अपना रही तीनों पार्टियां

    इसके बावजूद उक्त तीनों पार्टियां अब भी 'वेट एंड वॉच' की नीति अपना रही हैं। बंगाल की राजनीति के जानकारों का कहना है कि तृणमूल कांग्रेस व माकपा मनोवैज्ञानिक रणनीति अपना रही हैं। वे अकेले लड़ने का राग जरूर अलाप रही हैं, पर अंदरखाने गठबंधन की संभावनाएं भी टटोल रही हैं। यही कारण है कि बंगाल में इन तीनों पार्टियों ने अब तक अपने लोकसभा प्रत्याशियों की एक भी सूची जारी नहीं की है, जबकि भाजपा राज्य की 42 सीटों में से 20 के लिए अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर चुकी है।

    तृणमूल व माकपा के लिए जरूरी है कांग्रेस का साथ

    सियासी विश्लेषकों का कहना है कि तृणमूल व माकपा दोनों के लिए कांग्रेस का साथ जरूरी है। तृणमूल को कांग्रेस का साथ नहीं मिलने पर अल्पसंख्यक वोट बंटने का डर सता रहा है, पर वह कांग्रेस के लिए दो (बहरमपुर व मालदा दक्षिण) से अधिक सीटें भी छोड़ना नहीं चाहती। ये दोनों सीटें 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने ही जीती थीं। इनमें बहरमपुर को अधीर का गढ़ माना जाता है, जहां से वह पांच बार के सांसद हैं। माकपा को कांग्रेस का साथ अपना अस्तित्व बचाने के गठबंधन लिए चाहिए।

    सूची जारी करने में की कहानी कांग्रेस रही है पीछे

    बंगाल में प्रत्याशियों की सूची जारी करने के मामले में कांग्रेस हमेशा सबसे पीछे रही है। यह उसकी ढिलाई नहीं, बल्कि रणनीति का हिस्सा रहा है। राज्य में कांग्रेस सबसे अंत में अपने पत्ते खोलती आई है।

    तृणमूल व कांग्रेस में गठबंधन से भाजपा के लिए बढ़ेगी चुनौती

    जानकारों का कहना है कि बंगाल में कांग्रेस-माकपा (वाममोर्चा) की अपेक्षा तृणमूल कांग्रेस में गठबंधन होने पर भाजपा के लिए यहां 35 सीटों का लक्ष्य साधना अधिक चुनौतीपूर्ण हो सकता है। भाजपा ने पिछले लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन करते हुए 18 सीटें जीती थीं, जो 2014 में सिर्फ दो थीं। पिछले लोकसभा चुनाव में तृणमूल को जबरदस्त झटका लगा था। उसकी सीटें 34 से घटकर 22 हो गई थीं।