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Lok Sabha Election 2024: सांसद बनने की चाह में लड़ा चुनाव; जमानत जब्‍त करा बैठे; अकेले हरियाणा में इतने मुंगेरीलाल

Lok Sabha Election 2024 लोकतंत्र में हर किसी को चुनाव लड़ने की इजाजत होती है लेकिन चुनावी मैदान में सफलता पाने के लिए कड़ी मेहनत भी करनी होती है। केवल चुनाव लड़ने भर से काम नहीं चलता है। अकेले हरियाणा के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में अब तक हुए लोकसभा चुनाव में अधिकतर उम्मीदवार अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए हैं।

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Published: Fri, 29 Mar 2024 12:52 PM (IST)Updated: Fri, 29 Mar 2024 12:52 PM (IST)
Lok Sabha Election 2024: सांसद बनने की चाह में लड़ा चुनाव; जमानत जब्‍त करा बैठे; अकेले हरियाणा में इतने मुंगेरीलाल
जमानत बचाने के लिए प्रत्याशी को कुल वोटों का 16.66 फीसदी मत प्राप्त करना होता है।

अनुराग शुक्ला, हिसार। अठारहवीं लोकसभा के लिए सियासी संग्राम शुरू हो चुका है। सैकड़ों आंखों में चुनावी मैदान मारकर लोकसभा की चौखट पार करने के सपने तैर रहे हैं। कहीं पार्टी-ध्वज के तले तो कहीं खुले आसमान में बतौर निर्दलीय...।

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लेकिन सच तो यह कि जीत का सपना लिए अनेक मुंगेरीलाल मैदान में उतरते तो हैं, लेकिन जमानत भी नहीं बचा पाते। आधिकारिक रिकार्ड की मानें तो संयुक्त पंजाब से 1966 में अलग हुए हरियाणा में 14 बार हुए संसदीय चुनावों में 2364 प्रत्याशियों ने संसद तक पहुंचने का ख्वाब संजोया, जिसमें 2051 नेताओं की जमानत ही जब्त हो गई। यानी उन्हें कुल मतदाताओं का 16 प्रतिशत मत भी नहीं मिला।

1967 में हुआ पहला चुनाव

सन् 1966 में संयुक्त पंजाब से अलग होने के बाद हरियाणा में 1967 में पहला लोकसभा चुनाव हुआ। लोकतंत्र उत्सव में शामिल होने के लिए मतदाताओं के साथ नेताओं में भी भरपूर उत्साह था। पहले चुनाव में 67 प्रत्याशी राज्य का प्रतिनिधित्व करने को आगे आए। आंकड़ों को देखें तो लोकसभा चुनाव में प्रत्याशियों का आंकड़ा दो शतक पार कर गया है।

इधर, जमानत जब्त होने वाले प्रत्याशियों का आंकड़ा भी दो शतकों तक जा पहुंचा। हरियाणा गठन के बाद 1967 से लेकर 2019 तक कुल 2364 प्रत्याशी लोकसभा चुनाव में उतरे। 14 लोकसभा चुनाव अब तक प्रदेश में हो चुके हैं, जिनमें 313 नेता ही अपनी जमानत बचा पाए।

पिछले तीन लोकसभा में बढ़ा आंकड़ा

पिछले तीन लोकसभा चुनाव में लगातार दो सौ से ज्यादा प्रत्याशी चुनावी मैदान में किस्मत आजमाने के लिए उतरते थे। 2009 से लेकर 2019 तक कुल 663 प्रत्याशियों ने नामांकन किया। 90 प्रतिशत प्रत्याशियों को जनता ने नकार दिया। 2019 में 223 प्रत्याशियों में से 203 की जमानत जब्त हो गई थी।

पहले चुनाव में दिखा था खूब उत्साह

हरियाणा गठन के बाद लोकतंत्र के पहले उत्सव 1967 में रिकार्ड मतदान हुआ था। इसमें 72.6 प्रतिशत यानी 31 लाख 85 हजार 295 मत पड़े थे। 67 प्रत्याशी मैदान में उतरे थे, जिसमें 18 ने जनता का विश्वास जीता और 49 की जमानत जब्त हो गई थी। 1967, 72 और 1977 में 70 प्रतिशत प्रत्याशी जमानत राशि नहीं बचा पाए। इसके बाद से लोकसभा चुनाव में प्रत्याशियों की संख्या सौ पार हो गई थी।

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1989 में बना रिकार्ड

वर्ष 1989 के लोकसभा चुनाव में सबसे अधिक 324 प्रत्याशियों मैदान में तो उतरे, लेकिन 94 फीसद जमानत भी न बचा सके। सबसे ज्यादा भिवानी लोकसभा से 122 प्रत्याशी मैदान में उतरे थे। 119 निर्दलीय उम्मीदवार थे। 120 की जमानत जब्त हो गई थी जबकि पांच उम्मीदवारों को शून्य प्रतिशत वोट थे।

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क्यों होती है जमानत ज़ब्त?

निर्वाचन आयोग के मुताबिक अगर प्रत्याशी को कुल वोटों का छठा हिस्सा यानी 16.66 प्रतिशत मत नहीं मिलता है तो उसकी जमानत जब्त हो जाती है। लोकसभा चुनाव में जमानत जब्त राशि 25 हजार रुपये जनरल के लिए व एससी/एसटी के लिए साढ़े बारह हजार होती है, जो पहले ही प्रत्याशी को जमा करनी होती है।

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