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    Lok Sabha Election 2024: विकास कार्य अधूरे, योजनाओं का नहीं मिला लाभ, क्या कहती है कोरबा की जमीनी हकीकत

    Lok Sabha Election 2024 लोकसभा चुनाव 2019 में छत्तीसगढ़ की अधिकतर सीटें बीजेपी के खाते में गई थीं लेकिन कोरबा की जनता ने कांग्रेस प्रत्याशी पर भरोसा जताया था। पार्टी ने एक बार फिर उन्हें मैदान पर उतारा है। लेकिन क्या जनता का भरोसा अपने सासंद पर कायम है या उन्हें निराशा हाथ लगी है? जानिए कोरबा सांसद का रिपोर्ट कार्ड।

    By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Updated: Thu, 14 Mar 2024 03:55 PM (IST)
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    Lok Sabha Election 2024: कोरबा लोकसभा सीट पर अब तक कांग्रेस का ही दबदबा रहा है।

    देवेंद्र गुप्ता, कोरबा। लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ की 11 में से 2 ही सीटों पर जीत दर्ज की थी। जिनमें बस्तर से दीपक बैज और कोरबा से ज्योत्सना महंत कांग्रेस के टिकट से सांसद बने थे। कोरबा में कांग्रेस ने एक बार फिर ज्योत्सना महंत पर भरोसा जताते हुए उन्हें मैदान में उतारा है। कोरबा लोकसभा सीट पर अब तक कांग्रेस का ही दबदबा रहा है।

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    लोकसभा चुनाव 2009 में भी कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में मात्र कोरबा सीट से ही जीत दर्ज की थी। बाकी 10 सीटें भाजपा की झोली में गई थीं। तब डा. चरण महंत दास यहां से कांग्रेस के टिकट से सांसद बने थे। हालांकि 2014 में बीजेपी के बंशीलाल महतो ने यहां जीत दर्ज की थी। लेकिन 2019 में कांग्रेस की यहां फिर से वापसी हुई और डा. महंत की पत्नी ज्योत्सना महंत कोरबा की सांसद बनीं। आइए जानते हैं कोरबा सांसद के रूप में कैसा रहा उनका रिकॉर्ड।

    बता दें कि कोरबा लोकसभा क्षेत्र में कोरबा, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही, कोरिया और मनेंद्रगढ़ जिले शामिल हैं। वहीं इसके अंतर्गत 8 विधानभाएं आती हैं- 'कोरबा, रामपुर, पाली-तानाखार, कटघोरा, मरवाही, मनेंद्रगढ़, बैकुंठपुर और भरतपुर-सोनहत'। इनमें छह विधानसभा में भाजपा, एक में कांग्रेस और एक में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (गोंगपा) का कब्जा है।

    कोरबा के विकास के लिए सांसद ज्योत्सना महंत ने कार्य तो कई प्रस्तावित कराए, लेकिन पड़ताल करने पर पता चला कि लोगों को केन्द्र एवं राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ उचित ढंग से नहीं मिला। वह भी तब, जब राज्य में उनकी ही कांग्रेस पार्टी की सरकार थी। उन्होंने सांसद आदर्श ग्राम योजना में 3 गांव गोद लिए थे, जिनके विकास के लिए उन्होंने अपनी सालाना 5 करोड़ रूपए की सांसद निधि से 2 करोड़ रूपए की राशि आवंटित की, लेकिन गांवों की तस्वीर में कोई खास बदलाव नहीं हुआ।

    जल स्तर और पानी का संकट

    ज्योत्सना महंत ने जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित, कटघोरा ब्लाक के अंतर्गत ग्राम ढुरैना को गोद लिया है। गांव में पेयजल एक बड़ी समस्या है। गांव के पास कोयला का खदान क्षेत्र है, जिस वजह से जल स्तर में भारी गिरावट आई है। गर्मी में यह समस्या और भी विकट हो जाती है, लेकिन जनता को इसका समाधान अब तक नहीं मिला है। इसके अलावा सांसद की ओर से स्वीकृत किए गए कई विकास कार्य अब तक शुरू नहीं हो पाए हैं।

    नहीं मिली समस्याओं से निजात

    सांसद ने पोड़ी उपरोड़ा ब्लाक के जल्के गांव को भी गोद लिया था, लेकिन यहां भी अब तक मूलभूत सुविधाओं का अभाव बना हुआ है। गांव के सरपंच मंगल सिंह कहते हैं, "बस्ती से मुख्य रोड तक मार्ग के लिए सांसद निधि से कंक्रीटीकरण की मांग की गई थी पर मनरेगा से केवल मुरूम डाल दिया गया। तालाब को गहरा करने के लिए सांसद निधि से 14.80 लाख रुपए आवंटित हुए हैं। पहले चरण में 6 लाख की राशि मिली है, जिससे काम जारी है। वहीं गांव के मिडिल स्कूल की भी हालत जर्जर हो चुकी है।"

    कोरबा ब्लाक के ग्राम भैसमा भी आदर्श ग्राम में चुना गया था, लेकिन यहां के लोगों को भी इसका अधिक लाभ नहीं मिला। यहां सांसद निधि से सिदार मोहल्ला में 10 मीटर सीसी रोड का निर्माण कराया गया। इसके अलावा कई अन्य कार्य भी प्रस्तावित तो किए गए, लेकिन उन पर काम शुरू नहीं हो पाया है।

    शिक्षा-स्वास्थ्य में किया काम

    कोरबा की सांसद ज्योत्सना महंत का कहना है, "संसद की कार्यवाही, बैठकों और चर्चाओं में लगातार भाग लिया। संसद के पटल पर जनहित के मुद्दे उठाए। कोरबा का मेडिकल कालेज, उमरेली में शासकीय महाविद्यालय समेत मेरे कार्यकाल की कई उपलब्धियां हैं। खास तौर पर शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतर कार्य हुए हैं। अंग्रेजी व हिंदी माध्यम से आत्मानंद स्कूलों की शुरुआत की गई है।"

    सांसद ने आगे कहा, "स्वास्थ्य के क्षेत्र में उम्मीद से ज्यादा काम हुए हैं। कोरोना काल में दो साल का कार्यकाल प्रभावित रहा। इसके बावजूद मैंने आमलोगों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराईं। कोरबा जिले के तीन सांसद ग्राम ढुरैना, भैसमा व जल्के के लिए दो करोड़ की स्वीकृति प्रदान की गई है। शेष काम को जल्द भाजपा सरकार पूरा करेगी, ऐसी उम्मीद करती हूं।"

    ग्राम भैसमा के रहने वाले सुनील दास बताते हैं, "सिदार मोहल्ले में हैंडपंप नहीं है। इसलिए उसे आधा किमी दूर बंधुवागली मोहल्ले से पानी ढोकर लाना पड़ता है। चार हजार आबादी वाले गांव में पेयजल सबसे बड़ी समस्या है। यहां नल जल योजना का भी ग्रामीणों को लाभ नहीं मिल रहा। हैंड पंप से पानी कम निकलता है।"

    ग्राम भैसमा के ही एक अन्य निवासी ज्ञान सिंह ने कहा, "ग्राम भैसमा में सामुदायिक भवन की आवश्यकता है और इसकी मांग काफी समय से कर रहे हैं। धार्मिक व सामाजिक कार्यक्रम के लिए उन्हें भटकना पड़ता है। इन दिनों सरकारी स्कूलों में बारात ठहराए जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। सामुदायिक भवन नहीं होने से शादी समारोह में परेशानी होती है।"

    भैसमा के उपसरपंच लक्ष्मण सिंह ने कहा, "गली कांक्रीटीकरण नहीं होने से वर्षाकाल में कीचड़ हो जाता है। नाली निर्माण की भी आवश्यकता है। सांसद ने गांव को गोद में लिया तो उम्मीद बंधी थी कि भैसमा की तकदीर बदलेगी पर जैसे- जैसे समय गुजरता गया। एक बार फिर ग्रामीणों के हाथ निराशा लगी है।"

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    संसद में उठाए ये मुद्दे

    जिले में चल रहीं साऊथ ईस्टर्न कोलफिल्डिस लिमिटेड (एसईसीएल) की खदानों के कारण विस्थापित हुए लोगों का मुद्दा सदन में उठाया। वह 20 वर्षों से नौकरी, मुआवजा, पुनर्वास की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक पूरी नहीं गई है।

    विधि और न्याय मंत्री के समक्ष न्यायालयों में जजों की कमी के मुद्दे को उठााया। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी से कोरिया के मनेंद्रगढ़ में मेडिकल कालेज स्थापित करने की मांग रखी। कालेज की स्थापना के लिए पर्याप्त जमीन नहीं होने के कारण काम आगे नहीं बढ़ पाया है।

    केंद्रीय रेल मंत्री से कोरबा और गेवरा रोड स्टेशन से यात्री गाड़ियों को फिर से शुरू करने का आग्रह किया। रेल मंत्री से कोरबा तक एक्सप्रेस ट्रेनों के ठहराव और विस्तार की मांग की। कोरबा में मेडिकल कालेज और ईएसआईसी अस्पताल शुरू कराने में अहम भूमिका निभाई। जीपीएम जिले में इंदिरा गांधी आदिवासी मुक्त विश्वविद्यालय शुरू कराया।

    कोरबा सासंद ज्योत्सना महंत का सदन में सवाल पूछने के मामले में रिकॉर्ड बेहतर रहा। वहीं संसद में मुद्दों पर बहस के मामले में भी रिकॉर्ड औसत से अधिक रहा। सांसद ने सदन में कुल 118 प्रश्न पूछे एवं 7 बहसों में भाग लिया। इसके अलावा उन्होंने अपनी सांसद निधि से 422 कार्य प्रस्तावित कराए, जिनमें से 106 कार्य अधूरे हैं, जबकि 87 कार्य शुरू नहीं हो सके।

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