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    Election 2024: झारखंड में कांग्रेस के रुख से झामुमो असहज, भाजपा ने भी चला बड़ा दांव

    हेमंत सोरेन अभी जेल में हैं। इस बीच दुमका सीट से उनके चुनाव लड़ने को लेकर भी चर्चाएं चल रही हैं। दुमका से आठ बार सांसद रहे झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन अब वृद्ध हो चुके हैं और यह लगभग तय माना जा रहा है कि इस बार वह चुनावी मैदान में नहीं होंगे। ऐसे में पार्टी सहानुभूति वोट के लिए हेमंत को दुमका से उतार सकती है।

    By Jagran News Edited By: Amit Singh Updated: Wed, 20 Mar 2024 04:00 AM (IST)
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    हेमंत सोरेन के चुनाव लड़ने की चर्चा।

    प्रदीप सिंह, रांची। झारखंड में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने लोस में सीटों के बंटवारे को लेकर कांग्रेस के साथ सहमति बनाई है, लेकिन अभी तक यह आधिकारिक तौर पर यह घोषित नहीं हुआ है। वहीं, इस बीच झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन की बड़ी बहू व पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन अपने परिवार की पार्टी छोड़ भाजपा में चली गई हैं।

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    ऐसे में झामुमो को अब परिवार के मोर्चे पर भी चुनौती झेलनी पड़ेगी। चर्चा इस बात की भी है कि भाजपा दुमका में अपना उम्मीदवार बदलकर सीता सोरेन को वहां से उतार सकती है। उधर, दुमका में झामुमो का गढ़ बचाने के लिए हेमंत सोरेन के भी वहां से चुनाव लड़ने की चर्चा है। ऐसा होता है तो सोरेन परिवार के सदस्य आमने-सामने होंगे।

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    सीट बंटवारे पर असहमति

    उधर, महागठबंधन के दलों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर रोज नए फार्मूले सामने आ रहे हैं। कांग्रेस के कुछ नेता कांग्रेस को सात सीटें मिलने का दावा कर रहे हैं, जबकि झामुमो का कहना है कि अभी इस पर निर्णय नहीं हुआ है। झामुमो की रणनीति थी कि सीटों के बंटवारे की घोषणा अंतिम समय में की जाए।

    मगर कांग्रेस के नेता आलमगीर आलम का एक बयान सामने आया, जिसमें उन्होंने सात सीटें कांग्रेस, पांच झामुमो और एक-एक सीट राजद व भाकपा माले को दिए जाने पर सहमति बनने का दावा किया। कांग्रेस की इस घोषणा से झामुमो असहज है। झामुमो अबतक खुद को गठबंधन में बड़े भाई की भूमिका में बताकर ज्यादा सीटों का दावा करता रहा है। ऐसे में झामुमो ने भितरखाने यह कहते हुए आपत्ति दर्ज कराई है कि इससे परिणाम के साथ-साथ उसकी सांगठनिक गतिविधियों पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।

    झामुमो ने तय किया है कि सीटों के तालमेल को लेकर अब कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व के साथ बात होगी। झामुमो की कोशिश है कि कम से कम एक और सीट पाले में आए। दबाव लोहरदगा सीट को लेकर है। हालांकि कांग्रेस इस सीट को छोड़ने को तैयार नहीं है। सिंहभूम की सांसद गीता कोड़ा के भाजपा में चले जाने के बाद अब कांग्रेस ने सिंहभूम संसदीय सीट पर दावेदारी छोड़ दी है। इस सीट से अब झामुमो अपना प्रत्याशी देगा।

    राजद के दावे अलग

    एक सीट दिए जाने के फार्मूले से इतर राजद के दो प्रत्याशी चतरा और पलामू में चुनाव प्रचार शुरू कर चुके हैं। उनका दावा है कि राजद को झारखंड में दो सीटें दिए जाने पर सहमति बन चुकी है।

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    सीटें बढ़ाने का रहेगा दबाव

    2019 के लोस चुनाव में कांग्रेस ने सिंहभूम और झामुमो ने राजमहल सीट पर जीत हासिल की थी। शेष सभी 12 सीटों पर राजग के प्रत्याशी (11 पर भाजपा और एक पर आजसू) जीते थे। ऐसे में आइएनडीआइए के सभी घटक दलों पर सीटों की संख्या बढ़ाने का दबाव है। राज्य में भाजपा ने कुल 14 में 11 लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। गठबंधन मजबूत प्रत्याशियों का चयन कर मतदान में उतारना चाहता है, ताकि परिणाम में उलटफेर कर भाजपा को झटका दिया जा सके।