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    Damoh Lok Sabha Seat: यहां बाहरी प्रत्‍याशियों को भी मिला भरपूर प्‍यार, एक सांसद तो जीतने के बाद कभी क्षेत्र में आए ही नहीं

    Updated: Tue, 13 Feb 2024 07:56 PM (IST)

    Damoh Lok Sabha Election 2024 latest news देश के सभी राजनीतिक दल लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी में जुटे हैं। ऐसे में आपको अपनी लोकसभा सीट और अपने सांसद के बारे में जानना भी जरूरी है ताकि इस बार आप किसे जिताना चाहते हैं यह तय करने में कोई दुविधा न हो। पढ़िए आज हम आपके लिए लाए हैं दमोह लोकसभा सीट की पूरी जानकारी...

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    Damoh Chunav 2024: दमोह लोकसभा सीट की पूरी जानकारी

    सुनील गौतम, दमोह। Damoh Lok Sabha Chunav 2024 updates: बुंदेलखंड अंचल की प्रमुख दमोह लोकसभा सीट को कभी कांग्रेस का गढ़ माना जाता था, लेकिन साल 1989 में भाजपा के सिर जीत का सेहरा सजा, जो अब तक जारी है। दमोह के निवासी पिछले 35 साल से भाजपा के साथ ही खड़े हैं।

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    दमोह क्षेत्र दो तीर्थस्‍थलों की वजह से भी पहचाना जाता है। बांदकपुर में शिवजी का जागेश्वरनाथ धाम और कुंडलपुर में जैन तीर्थस्थल है। प्रदेश व केंद्र सरकार में दमोह संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले नेताओं का अच्छा प्रभाव रहा है।

    बाहरी प्रत्‍याशियों को भी मिला प्‍यार

    दमोह सीट के साथ रोचक संयोग यह भी है कि यहां बाहरी प्रत्याशियों का दबदबा रहा है। देश के चौथे राष्ट्रपति वराहगिरि वेंकट गिरि के बेटे वराहगिरि शंकर गिरि भी यहां से चुनाव लड़कर लोकसभा पहुंच चुके हैं।

    दमोह सीट पर 1962 से चुनाव

    स्वतंत्र सीट के रूप में दमोह क्षेत्र साल 1962 के चुनाव से अस्तित्व में आया। वर्ष 1962 से 1977 तक के चुनाव में बाहरी प्रत्याशी ही यहां से जीतते रहे। साल 1980 में पहली बार स्थानीय प्रत्याशी प्रभु नारायण टंडन ने जीत हासिल की। बाद में जीत हासिल करने वाले डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया, चंद्रभान सिंह और शिवराज सिंह लोधी भी स्थानीय प्रत्याशी थे।

    दो बार बदली गई भौगोलिक सीमा

    स्वतंत्रता के बाद संसदीय क्षेत्र की भौगोलिक सीमा में दो बार परिवर्तन भी हो चुका है। पहले दमोह, पन्ना और छतरपुर की आठ विधानसभा सीटों को शामिल करते हुए इस संसदीय क्षेत्र का नाम दमोह-पन्ना संसदीय क्षेत्र था। वर्ष 2009 में हुए परिसीमन में दमोह, छतरपुर और सागर जिले की विधानसभा सीटों को शामिल करते हुए नया क्षेत्र बनाया गया।

    दिल्ली से आए प्रत्याशी को चुना, लेकिन ...

    साल 1971 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने तत्कालीन राष्ट्रपति वराहगिरि वेंकट गिरि के बेटे वराहगिरि शंकर गिरि को दमोह संसदीय क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतारा था। उस दौर में कांग्रेस का टिकट पा जाने वाला व्यक्ति स्वयं को विजयी मान लेता था और यही हुआ भी। वराहगिरि शंकर गिरि सांसद चुने गए।

    यह अलग बात है कि उन्होंने अपने पांच वर्षीय कार्यकाल में शायद ही कभी दमोह का रुख किया। उन्होंने उद्योगों की स्थापना में जरूर योगदान किया। माइसेम सीमेंट फैक्ट्री (पुराना नाम- डायमंड सीमेंट फैक्ट्री) शंकर गिरि की ही देन है।

    अब तक सिर्फ एक महिला सांसद

    महिला जनप्रतिनिधियों को महत्व देने के मामले में दमोह की यह उपलब्धि है कि यहां से वर्ष 1962 में सहोद्रा राय सांसद चुनी गई थीं। उस दौर में महिलाओं का राजनीति में दखल वैसे भी कम हुआ करता था। हालांकि, इसके बाद भाजपा और कांग्रेस किसी भी दल ने महिला उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया।

    परमाणु समझौता के वक्‍त चर्चा में रहे दमोह सांसद

    केंद्र में यूपीए गठबंधन की सरकार के दौरान वर्ष 2008 में भारत-अमेरिका परमाणु समझौता को लेकर संसद में गतिरोध बना हुआ था। उस समय विश्वास मत जीतने के लिए काफी खींचतान हुई थी। दमोह से तत्कालीन भाजपा सांसद चंद्रभान सिंह ने लोकसभा में अनुपस्थित रहकर कांग्रेस की अगुआई वाली यूपीए सरकार को अपना समर्थन दिया था।

    यूपीए ने विश्वास मत जीत भी लिया था। यही कारण रहा कि बाद में चंद्रभान सिंह भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे। बाद में कांग्रेस ने उन्हें विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भी टिकट देकर मैदान में उतारा था।

    पांच बार सांसद और मंत्री रहे, बगावत कर चुनाव लड़े तो जमानत जब्त

    दमोह संसदीय क्षेत्र से चार बार व खजुराहो संसदीय क्षेत्र से एक बार सांसद चुने जाने वाले डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया मध्य प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री भी रहे हैं। भाजपा ने उन्हें पथरिया विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ाया था।

    डॉ. कुसमारिया को वर्ष 2018 में टिकट नहीं मिला, तो उन्होंने पथरिया और दमोह विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा। इस दिग्गज नेता की जमानत जब्त हो गई। इसके बाद वे कांग्रेस में शामिल हो गए। कुछ समय बाद फिर भाजपा में आ गए। वर्तमान में मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष के रूप में काम कर रहे हैं।

    दमोह लोकसभा सीट में कितनी विधानसभा शामिल हैं?

    दमोह, हटा, जबेरा, पथरिया, बड़ा मलहरा, देवरी, रहली और बंडा समेत आठ विधानसभा हैं।

    अब तक इन्होंने प्रतिनिधित्व किया

    साल सांसद पार्टी 
    1962 सहोद्रा राय कांग्रेस
    1967 मणि भाई पटेल कांग्रेस
    1971 वराहगिरि शंकर गिरि कांग्रेस
    1977 नरेंद्र सिंह यादवेंद्र सिंह भारतीय लोकदल
    1980 प्रभु नारायण टंडन कांग्रेस
    1984 डालचंद जैन कांग्रेस
    1989 लोकेंद्र सिंह भाजपा
    1991 डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया भाजपा
    1996 डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया भाजपा
    1998 डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया भाजपा
    1999 डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया भाजपा
    2004 चंद्रभान सिंह भाजपा
    2009 शिवराज सिंह लोधी भाजपा
    2014 प्रहलाद पटेल भाजपा
    2019 प्रहलाद पटेल भाजपा

    दमोह की ताकत

    • कुल मतदाता- 19,09,886
    • पुरुष मतदाता- 10,00,952
    • महिला मतदाता- 9,08,902
    • थर्ड जेंडर- 32

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