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    मध्‍यप्रदेश की वो 4 सीटें जहां धुरंधर उतारे-मतदाताओं से मिन्‍नते कीं; फिर भी जनता ने कांग्रेस को नहीं दिया मौका

    Updated: Fri, 22 Mar 2024 01:19 PM (IST)

    Lok Sabha Election 2024 मध्य प्रदेश की चार लोकसभा सीटें भाजपा का गढ़ बन चुकी हैं। पिछले 35 साल से इन सीटों पर भाजपा का कब्जा है। इन्हीं में से एक सीट विदिशा से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और शिवराज सिंह चौहान चुनावी समर जीत चुके हैं। भाजपा ने इस बार यहां से पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान को प्रत्याशी बनाया है।

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    लोकसभा चुनाव 2024: मध्य प्रदेश की इन चार सीटों पर 35 साल से कांग्रेस को नहीं मिला मौका।

    चुनाव डेस्‍क, भोपाल। 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा ने मध्य प्रदेश की 29 में से 28 सीटों पर जीत दर्ज की थी। पार्टी का लक्ष्य इस बार सभी सीटों पर जीत हासिल करने का है। प्रदेश की चार लोकसभा सीटों पर पिछले 35 साल से भाजपा का कब्जा है।

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    कांग्रेस के सामने 2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा के इन किलों को ढहाने की चुनौती है। इन सीटों पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, सुषमा स्वराज, सुमित्रा महाजन, शिवराज सिंह चौहान और उमा भारती जैसे दिग्गज चुनाव जीत चुके हैं। आइये नजर डालते हैं इन लोकसभा क्षेत्रों पर...

    भोपाल लोकसभा सीट

    राजधानी भोपाल में भाजपा की पकड़ पिछले कई चुनाव से मजबूत है। भोपाल लोकसभा क्षेत्र में आठ विधायक सभा क्षेत्र आते हैं। इनमें से छह पर भाजपा और दो पर कांग्रेस का कब्जा है। 1989 से पहले भोपाल लोकसभा सीट पर कांग्रेस का कब्जा था। मगर भाजपा ने सुशील चंद्र वर्मा को चुनाव मैदान में उतारकर इस सीट को अपने कब्जे में कर लिया। तब से यह सीट भाजपा के पास है।

    सुशील चंद्र ने कांग्रेस के केएन प्रधान को हराया था। बेहद लोकप्रिय सुशील चंद्र वर्मा यहां से चार बार सांसद रहे। 1999 में यहां से उमा भारती चुनाव जीतीं। इसके बाद 2004 और 2009 में कैलाश जोशी ने भाजपा को जीत दिलाई। 2014 में भाजपा के आलोक संजर और 2019 में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने जीत दर्ज की।

    विदिशा लोकसभा सीट

    मध्य प्रदेश की विदिशा लोकसभा सीट की चर्चा पूरे देश में होती है। इसकी वजह यह है कि यहां से कई दिग्गज नेता चुनाव लड़ चुके हैं। 1991 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने लखनऊ के साथ इस सीट से भी नामांकन दाखिल किया था। तब यह सीट पूरे देश में चर्चा का केंद्र बनी।

    चुनाव जीतने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने इस सीट से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद 1991 से 2004 तक शिवराज सिंह चौहान इस सीट से चुनाव जीते। 2009 और 2014 में पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज यहां से दो बार सांसद बनीं।

    2019 में भाजपा प्रत्याशी रमाकांत भार्गव ने जीत दर्ज की। चेहरे बदलने के बावजूद भी इस सीट पर भाजपा का ही कब्जा है। विदिशा लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभाएं आती हैं। सात पर भाजपा और एक पर कांग्रेस का कब्जा है।

    इंदौर लोकसभा सीट

    भाजपा के गढ़ के रूप में इंदौर लोकसभा ने भी अपने आपको स्थापित किया। इस लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभाएं आती हैं। सभी सीटों पर भाजपा का कब्जा है। पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन यहां से लगातार आठ बार सांसद रह चुकी हैं।

    सुमित्रा महाजन ने 1989 में पहली बार यहां से लोकसभा का चुनाव लड़ा था। उस वक्त उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता प्रकाश चंद्र सेठी को शिकस्त दी थी। 1989 से 2014 तक सुमित्रा महाजन का इस सीट पर कब्जा था। 2019 में भाजपा ने प्रत्याशी बदला और शंकर ललवानी को टिकट दिया। ललवानी ने पांच लाख से अधिक मतों से जीत हासिल कर रिकॉर्ड बनाया था।

    भिंड लोकसभा सीट

    आठ विधानसभा क्षेत्रों वाली चंबल की भिंड सीट पर 1989 से भाजपा का कब्जा है। इससे पहले 1971 में यहां से विजया राजे सिंधिया भारतीय जनसंघ से सासंद रह चुकी हैं। 1989 में भाजपा की टिकट पर सबसे पहले नरसिंह राव ने चुनाव जीता। 1991 में योगानंद सरस्वती सांसद बने।

    इसके बाद भाजपा की टिकट पर रामलखन सिंह चार बार यहां से चुनाव जीते। 2009 में अशोक अर्गल और 2014 में भागीरथ प्रसाद ने यह सीट भाजपा की झोली में डाली। 2019 में भाजपा की संध्या राय ने जीत दर्ज की। आपको बता दें कि 2009 से यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।

    मध्य प्रदेश भाजपा की विचारधारा के पक्ष में मतदान करता आया है। लोकसभा के परिणामों में छिंदवाड़ा को छोड़कर भाजपामूलक मतदान ही होता आया है। इस बार हमें विश्वास है कि सभी 29 सीट जीतेंगे। - डॉ हितेश वाजपेयी, प्रवक्ता भाजपा।

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