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Lok Sabha Election: जब 54 प्रत्याशियों ने आजमाई किस्मत, 28 ने निर्दलीय चुनाव लड़ बनाया रिकॉर्ड; फिर क्‍या रहा परिणाम ?

Lok Sabha Election 2024 हिमाचल प्रदेश में लोकसभा की चार सीटें हैं। एक बार यहां 54 प्रत्याशियों ने अपनी किस्मत आजमाई थी। इनमें से 28 प्रत्याशी निर्दलीय थे। कुल 80 लोगों ने नामांकन दाखिल किया था। मगर बाद में 23 लोगों ने अपना नाम वापस ले लिया था। वहीं तीन के नामाकंन को चुनाव आयोग ने रद्द कर दिया था।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Published: Fri, 29 Mar 2024 02:50 PM (IST)Updated: Fri, 29 Mar 2024 02:50 PM (IST)
Lok Sabha Election: जब 54 प्रत्याशियों ने आजमाई किस्मत, 28 ने निर्दलीय चुनाव लड़ बनाया रिकॉर्ड; फिर क्‍या रहा परिणाम ?
लोकसभा चुनाव 2024: 1996 में 54 प्रत्याशियों ने आजमाई थी किस्मत।

हंसराज सैनी, मंडी। हिमाचल प्रदेश की चारों लोकसभा सीटों पर 1996 में सर्वाधिक 54 प्रत्याशियों ने किस्मत आजमाई थी। सबसे अधिक 80 लोगों ने नामांकन भरे थे। 28 निर्दलीयों ने चुनाव लड़ने का रिकॉर्ड बनाया था। 23 प्रत्याशियों ने नामांकन वापस ले लिया था, जबकि तीन के नामांकन को रद्द कर दिया गया था। छह राष्ट्रीय पार्टी और सात क्षेत्रीय दलों ने अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे थे।

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किसे मिले कितने मत?

साल 1996 के आम चुनाव में कांग्रेस को 54.33 प्रतिशत और भाजपा को 39.62 प्रतिशत मत मिले थे। सात क्षेत्रीय दलों के प्रत्याशियों की झोली में मात्र 2.86 प्रतिशत और 28 निर्दलीयों के हिस्से में मात्र 1.52 प्रतिशत मत ही आए थे।

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1977 चुनाव में 14 प्रत्याशी थे मैदान में

साल 1991 के चुनाव में 72 लोगों ने नामांकन पत्र भरे थे। 1977 के चुनाव में सबसे कम 14 प्रत्याशी मैदान में थे। चार राष्ट्रीय पार्टियों के 10 प्रत्याशी मैदान में थे। इसी चुनाव में सबसे कम चार निर्दलीय मैदान में थे। चारों के हिस्से मात्र 2.06 प्रतिशत मत आए थे।

वीरभद्र सिंह को भी मिली थी शिकस्त

1977 से अब तक हुए चुनाव में 2019 में सर्वाधिक 72.42 प्रतिशत मतदान हुआ था। 1977 के चुनाव में सबसे अधिक 2.49 प्रतिशत वोट रद्द हुए थे। इस चुनाव में 59.56 प्रतिशत मतदान हुआ था। 57.19 प्रतिशत मत लेकर जनता पार्टी ने प्रदेश की चारों सीटों पर जीत दर्ज की थी।

इसी चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को भी हार का सामना करना पड़ा था। 2019 के चुनाव में सर्वाधिक मतदान होने से कांग्रेस को चारों सीटों पर मुंह की खानी पड़ी थी। भाजपा प्रत्याशियों ने जीत का रिकॉर्ड बनाया था।

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