Lok Sabha Election 2024: कन्नौज में बड़ा मुकाबला; अखिलेश बचा पाएंगे सियासी किला या भाजपा मारेगी बाजी? जानिए क्या कहती है जनता
Kannauj Lok sabha Election 2024 कन्नौज में इस बार सपा और भाजपा के बीच कांटे का मुकाबला है। कारण यहां पिछले चुनाव में वर्षों से सपा का अभेद्य किला ढहाकर सांसद बने सुब्रत पाठक भाजपा से फिर मैदान में हैं। इन्हें चुनौती देने के लिए सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव खुद रणभूमि में उतरे हैं। तीसरे मोर्चे पर बसपा प्रत्याशी इमरान बिन जफर भी खड़े हैं।

विजय प्रताप सिंह/ रितेश द्विवेदी, कन्नौज। कन्नौज में मुकाबला बड़ा है, इसका अहसास मतदाताओं के मिजाज से भी झलकता है। शहर के बाहर कांशीराम आवासीय कालोनी के पास मिले मौजी लाल कहते हैं कि ‘चुनाव में कांटे की टक्कर होगी। राम मंदिर बड़ा मुद्दा था और वह अब तैयार हो चुका है। राशन और पेंशन भी मिल रही है, इसलिए वोट उसी को जिसने काम किया है।’
बेला के खेत में फूल तोड़ रहे पालनगर के केशव पाल के मन में कन्नौज के विकास को लेकर टीस है। वह कहते हैं, ‘मौजूदा सांसद ठीक हैं, लेकिन अखिलेश यादव ने कन्नौज में खूब विकास कार्य कराए हैं। हमारा वोट तो उन्हीं को जाएगा।’ चक्रवर्ती सम्राट महाराजा हर्षवर्धन की राजधानी रह चुके कन्नौज का लोकसभा क्षेत्र सबसे बड़ा सियासी अखाड़ा बन चुका है।
सीट का चुनावी इतिहास
1967 में अस्तित्व में आई इस सीट पर पहला चुनाव डॉ. राममनोहर लोहिया ने जीतकर समाजवादी विचारधारा की आधारशिला रखी। उसके बाद दो बार कांग्रेस, भारतीय लोकदल, जनता पार्टी और एक बार भाजपा ने चुनाव जीता। 1998 से लगातार यह सीट सपा के कब्जे में थी। इस काल में इस सीट पर सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव, फिर उनके पुत्र अखिलेश यादव सांसद बने।
2012 में अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने यह सीट छोड़ दी। वर्ष 2012 के उपचुनाव में अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव निर्विरोध सांसद चुनी गईं। 2009 में नए परिसीमन में इटावा की भरथना विस क्षेत्र की जगह कानपुर देहात का रसूलाबाद जुड़ने से नया समीकरण तैयार हुआ। इसके बावजूद डिंपल यादव महज 19 हजार वोटों से ही जीत हासिल कर सकीं।
2019 में ढहा किला
21 वर्ष से लगातार सपा के कब्जे में रही इस सीट को 2019 के चुनाव में मोदी लहर और स्थानीय नेता होने का लाभ उठाते हुए भाजपा के सुब्रत पाठक ने छीन ली। हार का अंतर भले ही 13 हजार मतों का रहा हो, लेकिन सपा का अभेद्य दुर्ग दरकने की कसक पूरे सैफई परिवार को हुई। यहीं से भाजपा ने भी अपनी पकड़ मजबूत करना शुरू कर दी। इसमें डबल इंजन सरकार की धमक भी काम करती है।
बड़ा बाजार के इत्र दुकानदार पिंटू पांडे कहते हैं कि ‘यहां कानून व्यवस्था दुरुस्त हो गई है। व्यापारी वर्ग तो अब सुकून में है।’ इसी तरह, शहर के बस अड्डे के बाहर लस्सी की दुकान लगाने वाले राजेश कहते हैं कि ‘उन्हें सरकार ने खूब दिया है। राशन के साथ ही प्रधानमंत्री आवास भी मिला है। सुरक्षा को लेकर अब चिंतित नहीं हैं।’
काट तैयार कर रही सपा
2019 के चुनाव में पत्नी डिंपल यादव को रसूलाबाद क्षेत्र में सबसे बड़ी हार मिली थी तो उन्होंने अपने चुनावी अभियान की शुरुआत रसूलाबाद में ही रोड शो करके की। दलित मतदाताओं को लुभाने के लिए अखिलेश यादव ने अपने रथ पर एक बालक प्रखर को भीमराव आंबेडकर के भेष में सवार किया और भाजपा द्वारा संविधान बदलकर आरक्षण खत्म करने का खौफ दिखाया।
भाजपा ने इसकी तोड़ के लिए कानपुर के पहले पुलिस कमिश्नर से इस्तीफा देकर कन्नौज सदर से विधायक बने असीम अरुण को आंबेडकर गौरव यात्रा पर निकाल दिया। तिर्वा विधानसभा क्षेत्र में मूर्ति लगाने को लेकर लोधी नेताओं, बिधूना में सतीश पाल से सुब्रत पाठक से हुए विवाद को भी सपा की ओर से भुनाने का प्रयास किया जा रहा है। सपा को उम्मीद है कि लोधियों के वोट को स्वामी प्रसाद मौर्य की राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी से आलोक वर्मा काटेंगे।
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आलोक वर्मा राज्यसभा के पूर्व सदस्य रामबख्स सिंह वर्मा के पुत्र हैं। जो कि कुछ वर्ष पहले सपा में थे। हालांकि लोधियों को भाजपा के पक्ष में थामे रखने के लिए स्थानीय भाजपा विधायक कैलाश राजपूत को सक्रिय किया है। पाल बिरादरी को थामने के लिए प्रयागराज के उमेश पाल की पत्नी जया पाल को जिम्मेदारी सौंपी गई। वह अपने अंदाज में सपा सरकार में खुद पर हुए अत्याचार को बता सहानुभूति जुटा रही हैं।
दिग्गज नेताओं की भी हुईं सभाएं
सपा के ‘घर’ इटावा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जनसभा कर कन्नौज को भी साधने की पूरी कोशिश की। इसके अलावा गृहमंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, केशव प्रसाद मौर्य समेत कई अन्य नेताओं की सभाओं से भी माहौल बनाने की पूरी कोशिश की गई। वहीं सपा अध्यक्ष स्वयं कन्नौज में पार्टी कार्यकर्ताओं के घरों में जाकर समर्थन जुटा रहे हैं। तीसरे चरण का मतदान होने के बाद अखिलेश यादव की पत्नी डिम्पल यादव और उनकी बेटी भी कन्नौज पहुंच गईं। इसके अलावा प्रदेश भर के सपा नेताओं का जमावड़ा कन्नौज में लगा है।
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