राहुल के चुनावी वादे से डेढ़ से दो फीसदी तक बढ़ जाएगी महंगाई
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सत्ता में आने पर देश के बीस फीसदी गरीब परिवारों को सालाना 72000 रुपये देने के लिए न्याय योजना का ऐलान किया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। गरीबों को सालाना 72 हजार रुपये देने संबंधी कांग्रेस पार्टी की चुनावी घोषणा पर अगर अमल हुआ तो यह देश की अर्थव्यवस्था को पटरी से उतार देगा। विशेषज्ञों का मानना है कि न केवल यह देश के राजकोषीय संतुलन को ध्वस्त कर देगा बल्कि महंगाई भी बेकाबू हो सकती है।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सत्ता में आने पर देश के बीस फीसदी गरीब परिवारों को सालाना 72,000 रुपये देने के लिए 'न्याय' योजना का ऐलान किया है। इस आधार पर इस योजना के दायरे में पांच करोड़ परिवार आएंगे और इस पर सालाना 3.60 लाख करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस योजना से सरकार का राजकोषीय घाटा पांच प्रतिशत से ऊपर पहुंच जाएगा। महंगाई की दर में भी डेढ़ से दो प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है।
दरअसल चालू वित्त वर्ष में केंद्र सरकार का कुल बजट 27,84,200 करोड़ रुपये का है। यह अंतरिम बजट है और नयी सरकार जुलाई में पूर्ण बजट पेश करेगी। ऐसे में अगर नई सरकार मौजूदा योजनाओं और कार्यक्रमों के बजट में कटौती किए बगैर ही कांग्रेस की 'न्याय' योजना के लिए बजट में धनराशि आवंटित की जाती है तो बजट का आकार बढ़कर 31.44 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा। साथ ही राजकोषीय घाटा भी सात लाख करोड़ रुपये से बढ़कर लगभग साढ़े दस लाख करोड़ रुपये से अधिक हो जाएगा।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी में कंसल्टेंट व वरिष्ठ अर्थशास्त्री राधिका पांडेय ने कहा, ''फिलहाल राजकोषीय घाटा 7.03 लाख करोड़ रुपये है। अगर हम इसमें 3.6 लाख करोड़ रुपये को जोड़ लें तो यह बढ़कर 10.63 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा। नॉमिनल इनकम 210 लाख करोड़ रुपये मानने पर राजकोषीय घाटा बढ़कर 5.6 प्रतिशत हो जाएगा।''
राजकोषीय संतुलन बिगड़ने पर महंगाई भी बेकाबू हो सकती है। पांडेय ने कहा, ''आरबीआइ की एक रिपोर्ट के अनुसार राजकोषीय घाटे में एक प्रतिशत की वृद्धि से मुद्रास्फीति 0.5 प्रतिशत की वृद्धि होती है। इस तरह महंगाई में 1.5 प्रतिशत वृद्धि हो सकती है।''
वैसे तो रिजर्व बैंक ने महंगाई को चार प्रतिशत (प्लस-माइनस दो प्रतिशत के साथ) पर नियंत्रित रखने का लक्ष्य रखा है लेकिन राजकोषीय संतुलन बिगड़ने पर यह ऊपर भी जा सकती है। ऐसे में आरबीआइ महंगाई को काबू रखने के लिए ब्याजदरों में वृद्धि करेगा जिसका विपरीत असर विकास दर पर पड़ेगा।
गौरतलब है कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में राजकोषीय घाटा पांच प्रतिशत से अधिक था। उस समय खुदरा महंगाई की दर भी दस प्रतिशत से अधिक थी। वैसे तो महंगाई को कई कारक प्रभावित करते हैं लेकिन राजकोषीय घाटा बढ़ने पर महंगाई में खासी वृद्धि होती है।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार का भी कहना है कि कांग्रेस पार्टी का चुनाव जीतने के लिए बड़े-बड़े वादे करने का रिकार्ड रहा है। कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष ने ऐसी योजना घोषित की है जिससे राजकोषीय संतुलन ध्वस्त हो जाएगा। यह काम के विरुद्ध प्रोत्साहन का कार्य करेगा और यह कभी लागू नहीं होगी।
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