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    नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष ने उठाया सवाल, इंदिरा की आर्थिक नीतियों ने किया देश का सबसे ज्यादा नुकसान

    By Sanjeev TiwariEdited By:
    Updated: Tue, 02 Apr 2019 10:18 PM (IST)

    पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासनकाल में 1969 से 1976 के दौरान बनी आर्थिक नीतियों का खामियाजा देश को आज तक भुगतना पड़ रहा है। ...और पढ़ें

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    नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष ने उठाया सवाल, इंदिरा की आर्थिक नीतियों ने किया देश का सबसे ज्यादा नुकसान

    हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पानगडि़या ने लोकलुभावन घोषणाओं की राजनीति पर निशाना साधा है। ऐसी राजनीति को अर्थव्यवस्था के लिए घातक करार देते हुए उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासनकाल में 1969 से 1976 के दौरान बनी आर्थिक नीतियों का खामियाजा देश को आज तक भुगतना पड़ रहा है। ये सात साल आर्थिक रूप से सर्वाधिक क्षति पहुंचाने वाले थे।

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    पानगडि़या ने 'दैनिक जागरण' को दिए विशेष साक्षात्कार में यह बात कही है। उन्होंने कांग्रेस द्वारा अति गरीब 20 फीसद परिवारों को हर साल 72,000 रुपये देने की घोषणा को लोकलुभावन करार देते हुए सवाल किया कि इस योजना को अमल में लाने के लिए 3.60 लाख करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी। यह रकम सरकार के कुल खर्च के लगभग 13 फीसद के बराबर है। ऐसे में यह राशि कहां से आएगी? उन्होंने कहा कि विगत में भी सरकारें राजकोषीय अनुशासन को भूलकर लोकलुभावन घोषणाएं करती रही हैं, जिनसे अंतत: अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा है।

    पानगडि़या ने कहा कि 1969 से 1976 तक की अवधि आर्थिक रूप से सर्वाधिक नुकसान पहुंचाने वाली अवधि थी। इस अवधि में बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया तथा लाइसेंस राज को और कठोर किया गया। उसी समय एमआरटीपी कानून बनाया गया जिसके तहत 20 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति वाली कंपनी को बड़ी कंपनी मान लिया गया। जो बड़ी कंपनियां थीं, उनके लिए नियम बना दिया कि वे अधिक पूंजी निवेश वाले उद्योगों से बाहर नहीं जा सकतीं। ऐसे में रोजगार के अवसर कहां से पैदा होते? इसके अलावा कोयला और बीमा का राष्ट्रीयकरण किया गया। साथ ही श्रम कानूनों को भी कठोर बनाया गया। छोटी कंपनियों के लिए उत्पाद को लेकर आरक्षण कर दिया गया। कुछ उत्पाद ऐसे थे, जो सिर्फ छोटी कंपनियां ही बना सकती थीं। उसी दौर में चीन में इस तरह की कोई रोक टोक नहीं थी। इससे भारत पिछड़ गया और चीन का निर्यात बढ़ता चला गया।

    पानगडि़या ने कहा कि सत्तर के दशक में अर्थव्यवस्था डगमगा गई जिससे महंगाई दर काफी बढ़ गई। दो साल तो ऐसे भी बीते थे, जब महंगाई दर 20 फीसद रही। इंदिरा गांधी सरकार की कई नीतियां थीं जिन्हें कांग्रेस के ही प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव की सरकार ने और बाद में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की राजग सरकार ने बदला। खास बात यह है कि यूपीए सरकार ने अपने दोनों कार्यकाल में उन्हीं आर्थिक नीतियों को लागू करने का प्रयास किया जो अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक थीं। हालत यह है कि इंदिरा गांधी सरकार की कई खतरनाक आर्थिक नीतियों को अब तक भी नहीं बदला जा सका है।

    लोकसभा चुनाव 2019 से पहले कांग्रेस की लोकलुभावन 'न्याय' योजना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत सिर्फ संसाधनों का पुनर्वितरण करने की कोशिश है। इस योजना के लिए पैसा कहां से आएगा, यह स्पष्ट नहीं है।