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    जादुई जिन्न बना Digital India, घर बैठे शिक्षा के साथ भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में भी मिली मदद

    Updated: Thu, 07 Mar 2024 11:16 AM (IST)

    आज पूरी दुनिया भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआइ) के माडल को अपनाने के लिए इच्छुक दिख रही है। विकसित देश तक भारत के डिजिटल भुगतान की सेवा अपने यहां लांच कर रहे हैं। मिशन डिजिटल इंडिया से जुड़ी सेवाओं की सबसे खास बात यह रही है कि यह लोकतांत्रिक तरीके से अमीर-गरीब बड़े शहर -छोटे शहर व गांव सबके लिए समान रूप से समान दर पर उपलब्ध रही।

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    डिजिटल इंडिया से भ्रष्टाचार पर लगाम व राजस्व बढ़ाने में मिली मदद।

    राजीव कुमार, नई दिल्ली। वर्ष 2015 के जुलाई माह में मिशन डिजिटल इंडिया लांच किया गया तो किसी ने सोचा भी नहीं था कि यह देश की आर्थिक तस्वीर बदल देगा। ये जादुई जिन्न नागरिक सुविधाओं को आपके द्वार तक पहुंचा देगा। चंद सेकेंड में लाखों रुपये का ट्रांजेक्शन करा देगा। घर बैठे शिक्षा और शहर जाए बगैर इलाज उपलब्ध करा देगा।

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    सामान खरीदने के लिए बाजार नहीं जाना होगा और गांव वालों को किसी सरकारी काम के लिए शहर नहीं जाना होगा। रोजगार के नए आयाम खुल जाएंगे और गांवों में बैठे-बैठे विदेश में अपने सामान को बेच सकेंगे। फोन से खाना मंगाने लगेंगे तो घूमने जाने के लिए टैक्सी बुलाने लगेंगे। गरीबों को घर बैठे उनके हिस्से की राशि मिल जाएगी और उनके नाम पर किए जाने वाले भ्रष्टाचार पर लगाम लग जाएगी।

    डीबीटी से जुड़ी स्कीम के तहत भेजी गई राशि

    वर्ष ट्रांजेक्शन कुल धनराशि
    2019-20 438 3,81,631
    2020-21 603 5,52,527
    2021-22 717 6,30,264
    2022-23 693 7,16,396

    विश्व का बादशाह भारत

    किसानों की खेती का तरीका बदल जाएगा। इन सबसे ऊपर यह कि यह मिशन भारत को डिजिटल दुनिया का बादशाह बना देगा। डिजिटल भारत का ही नतीजा है कि पिछले वर्ष 5.63 करोड़ लोगों आयुष्मान भारत के तहत इलाज कराया है। जीडीपी में डिजिटल इकोनाम की हिस्सेदारी आठ प्रतिशत पहुंच गई, जो 2025 तक 20 प्रतिशत तक हो जाएगी।

    सबके लिए समान रूप से उपलब्ध

    डिजिटल इंडिया मिशन के तहत किए गए प्रयास का ही नतीजा है कि आज पूरी दुनिया भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआइ) के माडल को अपनाने के लिए इच्छुक दिख रही है। विकसित देश तक भारत के डिजिटल भुगतान की सेवा अपने यहां लांच कर रहे हैं। मिशन डिजिटल इंडिया से जुड़ी सेवाओं की सबसे खास बात यह रही है कि यह लोकतांत्रिक तरीके से अमीर-गरीब, बड़े शहर -छोटे शहर व गांव सबके लिए समान रूप से समान दर पर उपलब्ध रही।

    तेजी से फैला इंटनेट

    पिछले नौ सालों में मोबाइल फोन व इंटरनेट सेवा का तेजी से प्रसार हुआ। इंटरनेट सेवा के मूल्य को काफी सस्ता रखने से ग्रामीण सेक्टर में तेजी से इंटरनेट का प्रसार हुआ । वर्ष 2015 में 30 करोड़ लोग इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे थे, जिनकी संख्या अब एक अरब के पार जा चुकी है। सस्ते मोबाइल फोन में कम दरों पर इंटरनेट के उपलब्ध होने से शहरों की तरह ही ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट की पैठ बन गई और डिजिटल सेवा के मामले में गांव व शहर में कोई फर्क नहीं रह गया ।

    यूपीआई ट्रांजेक्शन

    अवधि लेन-देन की संख्य (करोड़ में) धनराशि
    2024 1,220.30 18,41,083.00
    2023 803.60 12,98,726.62
    2022 461.71 8,31,993.11
    2021 230.27 4,31,181.89
    2020 130.50 2,16,242.97
    2019 67.27 1,09,932.43
    2018 15.18 15,571,20
    2017 0.45 1,696.22

    (जनवरी)               स्त्रोत: एनपीसीआइ

    योजनाओं को मिला विस्तार

    सरकारी योजनाओं की ई-डिलीवरी डिजिटल इकोनामी व डिजिटल सेवा के विस्तार को सरकार ने मोबाइल फोन में इंटरनेट सेवा उपलब्ध कराने के बाद ई-सर्विस और सरकारी योजनाओं की ई-डिलीवरी शुरू की। डिजिटल मदद से देशभर के लोगों को आधार से जोड़ा गया और बैंक खाते खोले गए। जन्म प्रमाण-पत्र से लेकर मृत्यु प्रमाण- पुत्र जैसी दर्जनों सेवाओं को घर बैठे उपलब्ध कराने के लिए ग्रामीण इलाके में कामन सर्विस सेंटर खोले गए, जहां से सेवानिवृत्त कर्मचारी बिना शहर के चक्कर लगाए पेंशन जारी रखने के लिए ई-प्रमाण पत्र दे सकते हैं।

    दुनिया का डिजिटल बाजार भारत

    सरकारी सेवाओं की ई-डिलीवरी के लिए सरकार ने उमंग एप लांच किया और इस पर नागरिक सैकड़ों सरकारी सेवा हासिल करने लगे। देखते-ही-देखते भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा डिजिटल बाजार बन गया और फिजिकल व्यापार ई-कामर्स में बदलने लगा। इस साल ई-कामर्स का बाजार 100 अरब डालर के पार जाने का अनुमान है। आनलाइन शिक्षा का कारोबार 3.2 अरब डालर तक पहुंच गया।