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पति धर्म निभाने में फंसे 'शॉटगन', कांग्रेसियों ने दी नसीहत- सार्वजनिक जीवन में विचारधारा महत्वपूर्ण

भाजपा का दामन छोड़कर हाथ का पंजा थामने वाले फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा अब कांग्रेस के लिए मुसीबत बन रहे हैं।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 19 Apr 2019 10:51 PM (IST)Updated: Sat, 20 Apr 2019 09:29 AM (IST)
पति धर्म निभाने में फंसे 'शॉटगन', कांग्रेसियों ने दी नसीहत- सार्वजनिक जीवन में विचारधारा महत्वपूर्ण
पति धर्म निभाने में फंसे 'शॉटगन', कांग्रेसियों ने दी नसीहत- सार्वजनिक जीवन में विचारधारा महत्वपूर्ण

लखनऊ, जेएनएन। हाल ही में भाजपा का दामन छोड़कर हाथ का पंजा थामने वाले फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा अब कांग्रेस के लिए मुसीबत बन रहे हैं। पति धर्म व पार्टी धर्म के बीच फंसे 'शॉटगन' ने पति धर्म अपनाया। इस पर कांग्रेसियों ने शत्रुघ्न को नसीहत दी और कहा कि रिश्ते निजी जीवन में महत्वपूर्ण होते हैं, सार्वजनिक जीवन में विचारधारा। वैचारिक प्रतिबद्धता में भटकाव नहीं होना चाहिए।

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दरअसल, शत्रुघ्न सिन्हा का जब भाजपा ने बिहार के पटना साहिब से टिकट काटा तो वह कांग्रेस में शामिल हो गए। कांग्रेस ने तत्काल उन्हें पटना साहिब से टिकट दे दिया। लखनऊ लोकसभा सीट से उनकी पत्नी पूनम सिन्हा को सपा ने टिकट दिया है। वह महागठबंधन की उम्मीदवार हैं, जबकि कांग्रेस ने यहां आचार्य प्रमोद कृष्णम् को उतारा है। गुरुवार को शत्रुघ्न सिन्हा कांग्रेस प्रत्याशी के बजाय पत्नी पूनम सिन्हा का नामांकन कराने लखनऊ आए। उन्होंने राजधानी में रोड शो भी किया।

इस पर कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद कृष्णम् ने आपत्ति जताते हुए शत्रुघ्न को पति धर्म के साथ ही अब पार्टी धर्म निभाने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि शत्रुघ्न सिन्हा एक दिन उनका प्रचार कर पार्टी धर्म का भी निर्वहन करें। '...अबे खामोश' डायलॉग से सिने प्रेमियों के दिल में जगह बनाने वाले शत्रुघ्न के इस व्यवहार से यूपी के कांग्रेसी नेता दुखी हैं।

हालांकि सिने अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा ने साफ कर दिया कि वह कांग्रेस अध्यक्ष को बताकर ही पत्नी पूनम सिन्हा का प्रचार करने आए हैं। प्रचार में कांग्रेस की मुखालफत नहीं करूंगा, लेकिन सपा-बसपा गठबंधन की उम्मीदवार अपनी पत्नी पूनम सिन्हा का भरपूर प्रचार करूंगा। शुक्रवार को शत्रुघ्न सिन्हा ने लखनऊ में भगवान चित्रगुप्त के मंदिर में पूजा-अर्चना की और कहा कि पत्नी के लिए लखनऊ के वृहद परिवार के साथ हूं। मायावती और अखिलेश बड़े जनाधार वाले नेता हैं। मैैं दलगत राजनीति से अलग हूं, मुझे एक राज्य में बांधा नहीं जा सकता और किसी पार्टी की अमानत नहीं बन सकता हूं। हमारा शिष्टाचार है, हमारी परंपरा है। हम पत्नी का साथ नहीं देंगे तो किसका देंगे।

कांग्रेस के प्रदेश संरक्षक व अनुशासन समिति के पूर्व चेयरमैन राम कृष्ण द्विवेदी कहते हैं कि शत्रुघ्न सिन्हा को पार्टी उम्मीदवार के साथ खड़ा होना चाहिए था। परिवार से बड़ी पार्टी होती है। उन्हें वैचारिक प्रतिबद्धता दिखानी चाहिए थी। कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता द्विजेन्द्र त्रिपाठी कहते हैं कि रिश्ते निजी जीवन में महत्वपूर्ण होते हैं, सार्वजनिक जीवन में विचारधारा का महत्व होना चाहिए, लेकिन शत्रुघ्न सिन्हा ने ऐसा नहीं किया।

पार्टी प्रवक्ता जीशान हैदर कहते हैं कि जब कांग्रेस ने उन्हें पटना साहिब से उम्मीदवार बनाया है तो उन्हें हर जगह कांग्रेस प्रत्याशी के साथ खड़ा होना चाहिए। राजनीति में पार्टी पहले होती है और पार्टी ही परिवार होती है। यह शत्रुघ्न सिन्हा को अच्छी तरह समझना चाहिए। कांग्रेस एमएलसी दीपक सिंह कहते हैं कि परिवार से बड़ी पार्टी होती है। इसलिए शत्रुघ्न सिन्हा को भी पार्टी धर्म का निर्वहन करना चाहिए। अगर वह ऐसा नहीं कर सकते हैं तो उन्हें पत्नी का भी प्रचार नहीं करना चाहिए।


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