Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Lok Sabha Election 2024: कोटा में कांटे की टक्कर, बिरला के सामने पुराने स्वयंसेवक गुंजल; जनता किसे पहनाएगी ताज?

    Updated: Tue, 23 Apr 2024 02:19 PM (IST)

    कोटा से लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला लगातार तीसरी बार भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में है वहीं बिरला को उनके पुराने साथी प्रहलाद गुंजल टक्कर दे रहे हैं। दो बार विधायक रहे गुंजल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक रहे हैं। बिरला से नाराजगी के चलते कट्टर हिंदूवादी पृष्ठभूमि के गुंजल चुनाव की घोषणा के साथ ही भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए।

    Hero Image
    Lok Sabha Chunav 2024: कोटा में कांटे की टक्कर, बिरला और गुंजल में कांटे की टक्‍कर।

     नरेंद्र शर्मा, जयपुर। देश में कोचिंग हब के रूप में प्रसिद्ध राजस्थान के कोटा में लोकसभा चुनाव रोचक बना हुआ है। दो पुराने साथियों के आमने- सामने चुनाव लड़ने के कारण राजनीति से जुड़े लोगों के साथ ही आम जनता की नजर भी कोटा सीट पर टिकी हुई है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कोटा से लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला लगातार तीसरी बार भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में है, वहीं बिरला को उनके पुराने साथी प्रहलाद गुंजल टक्कर दे रहे हैं। दो बार विधायक रहे गुंजल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक रहे हैं। बिरला से नाराजगी के चलते कट्टर हिंदूवादी पृष्ठभूमि के गुंजल चुनाव की घोषणा के साथ ही भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए।

    बिरला के सामने मजबूत प्रत्याशी तलाश रही कांग्रेस ने गुंजल को टिकट दे दिया। गुंजल पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के विश्वस्त रहे हैं, पर बिरला से नाराजगी के कारण उन्होंने पार्टी छोड़ दी। प्रदेश के पूर्वमंत्री शांति धारीवाल ने गुंजल को टिकट देने का विरोध किया, पर कांग्रेस आलाकमान के हस्तक्षेप के बाद वह शांत हो गए।

    हालांकि, कांग्रेस के कुछ नेताओं में अब भी गुंजल की उम्मीदवारी को लेकर नाराजगी बरकरार है। वहीं, भाजपा के नेता व कार्यकर्ता बिरला के पक्ष में एकजुट हैं।

    राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं बिरला

    बिरला दो बार विधायक, दो बार सांसद, एक बार लोकसभा अध्यक्ष, भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं प्रदेश में संसदीय सचिव रहे हैं। वैसे बिरला और गुंजल दोनों का ही जनाधार मजबूत माना जाता है। दोनों कुछ साल पहले तक एक-दूसरे के निकट थे, लेकिन बाद में मनमुटाव हो गया।

    गुंजल ने पिछली कांग्रेस सरकार के खिलाफ संघर्ष किया था। संघर्ष और युवाओं में मजबूत पकड़ के कारण उनकी जुझारू नेता के रूप में पहचान है। हालांकि, इस चुनाव में भाजपा को बिरला की छवि और पार्टी नेताओं की एकजुटता के भरोसे जीत की उम्मीद है, वहीं गुंजल बार-बार कह रहे हैं कि बिरला ने कोटा में हवाई अड्डा बनाने का वादा पूरा नहीं किया। आईआईएम और एम्स जैसे संस्थान यहां नहीं ला सके।

    1952 से लेकर अब तक के सभी लोकसभा चुनावों की जानकारी के लिए यहां क्लिक करें

    लोकसभा अध्यक्ष को लेकर मिथक

    पिछले चार लोकसभा चुनाव से एक ऐसा मिथक बना हुआ है कि जो भी लोकसभा का अध्यक्ष रहता है, वह अगले चुनाव में वापस संसद में नहीं पहुंच पाता है। बलराम जाखड़ के बाद जीएमसी बालयोगी लगातार दो बार लोकसभा अध्यक्ष रहे थे। बालयोगी अपना दूसरा कार्यकाल पूरा करते, इससे पहले दो मार्च, 2002 को एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में उनकी मौत हो गई।

    यह भी पढ़ें -पप्पू यादव के सामने बड़ी चुनौती, इस समीकरण पर सबकी निगाहें, पढ़ें हॉट सीट पूर्णिया की ग्राउंड रिपोर्ट

    बालयोगी की मौत के बाद शिवसेना के सांसद मनोहर जोशी लोकसभा अध्यक्ष बने, लेकिन बाद में वह चुनाव हार गए। 2004 में 14वीं लोस चुनाव के बाद यूपीए सरकार में सोमनाथ चटर्जी लोकसभा अध्यक्ष बने थे। 2008 में वामपंथी दलों ने यूपीए सरकार से समर्थन वापस ले लिया था, लेकिन चटर्जी पद पर बने रहे। ऐसे में पार्टी ने उन्हें निष्कासित कर दिया।

    चटर्जी ने साल 2009 का चुनाव नहीं लड़ा और राजनीति से संन्यास ले लिया। साल 2009 में 15वीं लोकसभा में मीरा कुमार अध्यक्ष बनीं, लेकिन 2014 में 16वीं लोकसभा  चुनाव में वह हार गईं। साल 2014 में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी और सुमित्रा महाजन लोकसभा अध्यक्ष बनीं, वह 17 जून, 2019 तक अध्यक्ष रहीं। 2019 में लोकसभा के चुनाव हुए तो उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया।

    यह भी पढ़ें -Lok Sabha Election 2024: जरांगे पाटिल के ‘आह्वान’ की काट ढूंढ रही है भाजपा; क्‍या अशोक चव्हाण साबित होंगे तुरुप का पत्ता?