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    फ्लैश बैक : पंच लाइट की रोशनी में मना था जीत का जश्न

    By Pradeep SrivastavaEdited By:
    Updated: Thu, 14 Mar 2019 05:18 PM (IST)

    सन् 1977 के चुनाव में कांग्रेस के कद्दावर नेता विश्वनाथ राय का विजय रथ रोकने वाले जनता पार्टी के प्रत्याशी उग्रसेन सिंह की जीत का जश्न पंच लाइट की रोशनी में मनाया गया था।

    फ्लैश बैक : पंच लाइट की रोशनी में मना था जीत का जश्न

    गोरखपुर, महेंद्र कुमार त्रिपाठी। सन् 1977 के चुनाव में कांग्रेस के कद्दावर नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे विश्वनाथ राय का विजय रथ रोकने वाले सोशलिस्ट नेता व जनता पार्टी के प्रत्याशी उग्रसेन सिंह की जीत का जश्न पंच लाइट की रोशनी में मनाया गया था। देवरिया में सियासी इतिहास बदलने वाली यह घटना आज भी तमाम बुर्जग आंखों में जीवंत है।

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    लोकसभा के चुनावी जंग में खांटी सोशलिस्ट नेता उग्रसेन सिंह के पक्ष में जय प्रकाश नारायण प्रचार करने देवरिया तो नहीं आ सके लेकिन गांव-गांव उनके संदेश को टेप रिकार्डर के माध्यम से प्रचारित किया गया। जिसमें जेपी के संदेश में कांग्रेस के खिलाफ आक्रोश था, लोग उसे पसंद भी करते थे, प्रतिद्वंद्वी विश्व नाथ राय भी कम नहीं थे। 1952 से 1977 तक लगातार सांसद रहे। लेकिन जेपी मूवमेंट में कांग्रेस की हवा निकल गई और सोशलिस्ट नेता उग्रसेन सिंह चुनाव जीत गए।

    देवरिया कलेक्‍ट्रेट में मतगणना हुई। क्योंकि व बैलेट का दौर था। लिहाजा मतगणना में काफी समय लगा। रात के करीब सवा दस बजे चुनाव घोषित हुआ। जैसे ही लाउडस्पीकर से घोषणा हुई कि उग्रसेन सिंह चुनाव जीत गए, वैसे ही बाहर हजारों की संख्या में मौजूद समर्थक झूमने लगे। बाहर समर्थक जमे थे। कोई घर जाने का नाम नहीं ले रहा था। सभी अपने नेता उग्रसेन को देखना चाहते थे। माइक से बोला गया गया कि आप लोग घर जाइए। उग्रसेन जी सबके गांव जाकर मिलेंगे। लेकिन कोई टस से मस नहीं हुआ।

    फिर उग्रसेन सिंह का विजय जुलूस कचहरी से कांग्रेस भवन कोतवाली रोड के लिए निकला। यह दूरी करीब एक किमी से भी कम है। लेकिन यहां पहुंचने में करीब ढाई घंटे लग गए। जनता पार्टी कार्यालय की छत पर जब उग्रसेन चढ़े तो बिजली गुल हो गई। फिर पंच लाइट की रोशनी में छत से उग्रसेन ने समर्थकों को संबोधित किया। उस दौरान उनकी बातों को सुनना आसान नहीं था। हर तरफ से जिंदाबाद का नारा गूंज रहा था।

    लोगों में उल्लास इसलिए भी था कि उग्रसेन ने कांग्रेस के कद्दावर नेता विश्वनाथ राय को पराजित किया। विश्वनाथ राय को चुनाव हराना आसान नहीं था। क्योंकि वह 1952 से 1977 तक कोई चुनाव नहीं हारे नहीं थे। उस समय के युवा नेता रहे व पूर्व विधायक सुबाष चंद्र श्रीवास्तव कहते हैं कि उग्रसेन का चुनाव जीतना सियासी एक घटना थी। जनता में वह लोकप्रिय थे और विश्वनाथ राय भी कम नहीं थे।